आ रही परीक्षा की घड़ी

बच्चे पर अपनी अपेक्षाओं का दबाव न बनाएं

आ रही परीक्षा की घड़ी

Photo: PixaBay

दिनेश प्रताप सिंह ‘चित्रेश'
मोबाइल: 7379100261

Dakshin Bharat at Google News
जनवरी माह की शुरुआत हो चुकी है| सीबीएससी सहित अन्य बोर्ड परीक्षाएं दरवाजे पर दस्तक दे रही हैं| बहुत कम ऐसे बच्चे मिलेंगे, जिनको अपनी साल भर की पढ़ाई पर भरोसा है और वह उत्साह के साथ आगामी छह-सात सप्ताह के अन्दर पाठ दोहराने के लिए टाइम टेबल को नया रूप दे रहे हैं| जबकि अधिकतर विद्यार्थी निकट आती परीक्षा की आहट से असहज करने वाले भय से घिरने लगते हैं| मजे की बात यह कि इन भयग्रस्त किशोरों में फर्स्ट डिवीजनर भी होते हैं| वास्तव में भय परीक्षा से नहीं, उसके परिणाम से होता है| हमें शुरू से ही ऐसा बना दिया जाता है कि हम परीक्षा को परिणाम की दृष्टि से देखने लगते है| परीक्षा से परिणाम का आना स्वाभाविक प्रक्रिया है, मगर परिणाम के प्रति हमारा अत्यधिक निजी आग्रह शिक्षाकाल में सीखने-जानने की प्रक्रिया के आनन्द को खत्म कर देता है| शिक्षा हो या परीक्षा, इसका उद्देश्य जीवन में भय, चिंता, तनाव, बेचैनी, अवसाद आदि से परिचित कराना न होकर सीखने की सतत प्रक्रिया को दिशा, गति और प्रोत्साहन देकर सुयोग्य नागरिक तैयार करना होता है|  पिछले दशकों के बीच ढेर सारे नम्बर लाने का सपना अस्तित्व में आया, तभी से पढ़ाई और परीक्षा की प्रक्रिया परिणाम से जुड़कर भयावनी शक्ल अख्तियार करने लगी है| परीक्षा का कुछ तनाव पहले भी होता था, किन्तु तब इसके आत्मघाती होने की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी|    

खैर...अभी जब बोर्ड परीक्षाएं सामने हैं तो यह समय खेल-कूद, गपशप, मोबाइल से दूरी बनाकर परीक्षा की तैयारी में लगाने का है| अभिभावकों के लिए भी नेक सलाह है कि वह बच्चे पर अपनी आपेक्षाओं का दबाव न बनाएं, बल्कि उसे भरोसा दें कि एक परीक्षा के रिजल्ट से कुछ नहीं होता है| पढ़ाई जो होनी थी हो चुकी है| बस बचे हुए समय में प्रत्येक विषय के पहले पाठ को विधिवत पढ़ डालना है| यह आपकी पूरी पढ़ाई को सबल बनाएगा| कुछ प्रश्न और पैटर्न सिलेबस में बड़े महत्व के होते हैं| यहॉं से सवाल जरूर पूछे जाते हैं और यह मार्क्स स्कोर करने में मददगार होते हैं| इनको समझने के लिए पुराने पेपरों की मदद ली जा सकती है| क्वेश्चन बैंक की पुस्तक में भी इस विषय में उपयोगी सामग्री मिल जाती है| अनुभवी अध्यापक भी विद्यार्थियों को महत्वपूर्ण प्रश्नों की सूची उपलब्ध कराते हैं| पुराने एग्जाम पेपर की मदद से इस प्रकार के सवालों को समझना और हल करना परीक्षा के अन्तिम दिनों की तैयारी को इंपोर्टेन्ट  चैप्टर और प्रश्नों की दिशा में केंद्रित कर देती है|

पढ़ाई के समय जो नोट बनाया जाता है, उसके महत्वपूर्ण अंशों को हाईलाइटर से फोकस करके  और उसे अच्छी तरह याद कर लेना चाहिए| दीर्घउत्तरीय प्रश्नों की भूमिका में यदि समस्त मुख्य विंदु समाहित हों तो परीक्षक अच्छे अंक देते हैं| हाईलाइट किए गए बिंदु इस सिलसिले में बड़ी सहायता करते हैं| परीक्षा मूलतः छात्रों की योग्यता की जांच का उपक्रम है| इसलिए सवालों के जवाब अच्छी तरह देना एक परीक्षार्थी का धर्म होता है|  इन आखिरी दिनों में लिखने की प्रैक्टिस के साथ पाठों का रिवीजन किया जाए, तो यह परीक्षा कक्ष में बहुत उपयोगी सिद्ध होता है| अक्सर परीक्षार्थी इस बात का अफसोस करते देखे जाते हैं कि प्रश्नोत्तर याद रहते हुए भी समय की कमी के कारण वह उसे लिख नहीं पाए| इससे बचने का प्रामाणिक तरीका है कि पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र को असल परीक्षा की तरह तीन घंटे के अन्दर हल करने का अभ्यास किया जाए| विशेषज्ञों का मत है कि इस अभ्यास के बीच अगर बोल-बोलकर लिखा जाए तो यह बहुत कारगर होगा| क्योंकि इससे आँख, हाथ, मस्तिष्क, मुंह, कान के बीच एक स्वाभाविक लय बन जाती है, जो परीक्षा के बीच एकाग्रता बनाए रखने में कारगर भूमिका निभाती है| प्रतिदिन एक या दो पुराने प्रश्नपत्रों को तीन घण्टे में हल करने का अभ्यास किया जाए| मात्र पॉंच-छह प्रश्नपत्रों के हल करने की प्रक्रिया में समय और लिखने की गति पर ठीक-ठाक नियंत्रण हो जाएगा|  

परीक्षा शिक्षा का एक अहम पड़ाव है| इसे एक चुनौती के स्तर पर लें| चुनौती को जब हम हंसी-खुशी से स्वीकारते हैं, तब यह उत्सव और खेल बन जाती है| तनाव से मुक्त होकर, उत्साह और आत्मविश्वास की ऊर्जा से भरकर जब परीक्षा दी जाती है, तो हमें कई अप्रत्याशित खुशियों के खजाने मिल सकते हैं| मैं अपना एक अनुभव साझा करना चाहूँगा, हाई स्कूल में अंग्रेजी की मेरी तैयारी अच्छी थी| पहला पेपर बहुत शानदार  हुआ था| सेकंड पेपर वाले दिन मैं आत्मविश्वास और उत्साह से भरा हुआ परीक्षा कक्ष में पहुंचा था| किन्तु पेपर के शुरुआती तीन प्रश्न पढ़ते हुए पेपर के कठिन होने का आभास हुआ| ट्रांसलेशन पर खूब भरोसा था| उसका पहला वाक्य था-गौतम बुद्ध का जन्म लुम्बिनी नामक वन में हुआ था, जब उनकी माता महामाया देवी अपने पिता के यहॉं जा रही थीं| हाई स्कूल की दृष्टि से यह  वाक्य जटिल था| मैं इसके स्ट्रक्चर के विषय में सोच रहा था, तभी मेरे मस्तिष्क में बिजली सी कौंध गई| हमारे कक्षा आठ की अंग्रेजी की  किताब में ‘गौतम बुद्ध’ पर एक पाठ था, जिसमें एक प्रश्न था-‘वर एण्ड ह्वेन गौतम बुद्धा वाज बार्न?’ स्मृतिकोष में पड़ा इस प्रश्न का उत्तर मेरे सामने आ गया और ट्रांसलेशन की शुरुआत मैंने इसी उत्तर से की थी|

ऐसे ही इंटर हिन्दी के तृतीय प्रश्नपत्र में टिप्पणी लिखने के लिए तीन बिंदु दिए गए थे, जिसमें एक विंदु था-कबीर वाणी में गुरु महिमा’| वैसे तो किसी बिंदु पर मेरी तैयारी नहीं थी, किन्तु कक्षा पॉंच में कबीर का ‘गुरू गोविंद दोऊ खड़े....’ वाला दोहा हमारी हिन्दी की पुस्तक में था| इस पाठ के अभ्यास कार्य में अध्यापक की सहायता से ‘गुरु’ सम्बन्धी अन्य दोहे याद करने का निर्देश था| हेडमास्टर साहब ने इस सिलसिले में गुरु महिमा पर कबीर के पॉंच दोहे और एक साखी लिखवाया था| इस सामग्री का उपयोग करते हुए मैंने टिप्पणी लिखी थी| यह सब बताने का मेरा आशय यह है कि परीक्षा चाहे मैट्रिक की है या इंटर की| इसमें कई सवालों के जवाब प्राथमिक और उच्च प्राथमिक कक्षाओं में पढ़ी हुई सामग्री की सहायता से दिए जा सकते हैं| यह पूर्व ज्ञान हमारे लिए तभी उपयोगी हो सकता है, जब हम परीक्षा कक्ष में शांतचित्त और संतुलित भाव से प्रवेश करेंगे| 

About The Author

Related Posts

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download

Latest News

केजीएफ पहुंची तेरापंथी महासभा संगठन यात्रा केजीएफ पहुंची तेरापंथी महासभा संगठन यात्रा
हेंद्र दक ने सभा के वैधानिक एवं संवैधानिक नियमों से अवगत कराया
बेंगलूरु: दो दिवसीय 'श्री उत्सव' प्रदर्शनी का उल्लासपूर्ण वातावरण में हुआ आगाज
प्रवासी भारतीय दिवस: प्रधानमंत्री 8 जनवरी को और राष्ट्रपति 9 जनवरी को भुवनेश्वर पहुंचेंगे
कांग्रेस नेता का दावा- दिल्ली चुनाव में 'आप' की सीटें सिंगल डिजिट में आएंगी
डेटिंग ऐप पर फर्जी फोटो लगाकर 700 से ज्यादा महिलाओं को ठगा!
दिल्ली: विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने जारी की उम्मीदवारों की पहली सूची
बेंगलूरु: 'अग्रवाल ट्रेड फेयर' को लेकर उद्योग व व्यापार जगत में विशेष उत्साह