अब केवल ‘सरनेम’ के सहारे चुनाव जीतने वालों के दिन लदने लगे हैं: मोदी

अब केवल ‘सरनेम’ के सहारे चुनाव जीतने वालों के दिन लदने लगे हैं: मोदी

अब केवल ‘सरनेम’ के सहारे चुनाव जीतने वालों के दिन लदने लगे हैं: मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। फोटो स्रोत: भाजपा ट्विटर अकाउंट।

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए राष्ट्रीय युवा संसद महोत्सव के समापन सत्र को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने राजनीतिक वंशवाद को लोकतंत्र का सबसे बड़ा दुश्मन करार दिया और इसे जड़ से उखाड़ फेंकने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि अब केवल ‘सरनेम’ के सहारे चुनाव जीतने वालों के दिन लदने लगे हैं।

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प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय युवा दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि स्वामी विवेकानंद की जयंती का यह दिन हम सभी को नई प्रेरणा देता है। आज का यह दिन विशेष इसलिए भी हो गया है कि इस बार युवा संसद देश की संसद के सेंट्रल हॉल में हो रही है। यह सेंट्रल हॉल हमारे संविधान के निर्माण का गवाह है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने एक और अनमोल उपहार दिया है। यह उपहार है व्यक्तियों के निर्माण का, संस्थाओं के निर्माण का। इसकी चर्चा बहुत कम ही हो पाती है। लोग स्वामीजी के प्रभाव में आते हैं, संस्थानों का निर्माण करते हैं, फिर उन संस्थानों से ऐसे लोग निकलते हैं जो स्वामीजी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए नए लोगों को जोड़ते चलते हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामीजी कहते थे कि पुराने धर्मों के मुताबिक नास्तिक वो है जो ईश्वर में भरोसा नहीं करता लेकिन नया धर्म कहता है कि नास्तिक वो है जो खुद में भरोसा नहीं करता। ये स्वामीजी ही थे, जिन्होंने उस दौर में कहा था कि निडर, बेबाक, साफ दिल वाले, साहसी और आकांक्षी युवा ही वो नींव है जिस पर राष्ट्र के भविष्य का निर्माण होता है। वो युवाओं पर, युवा शक्ति पर इतना विश्वास करते थे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारा युवा खुलकर अपनी प्रतिभा और अपने सपनों के अनुसार खुद को विकसित कर सके इसके लिए आज एक वातावरण और इकोसिस्टम तैयार किया जा रहा है। शिक्षा व्यवस्था हो, सामाजिक व्यवस्था हो या कानूनी बारीकियां, हर चीज में इन बातों को केंद्र में रखा जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले देश में यह धारणा बन गई थी कि अगर कोई युवक राजनीति की तरफ रुख करता था तो घर वाले कहते थे कि बच्चा बिगड़ रहा है, क्योंकि राजनीति का मतलब ही बन गया था- झगड़ा, फसाद, लूट-खसोट, भ्रष्टाचार। लोग कहते थे कि सबकुछ बदल सकता है लेकिन सियासत नहीं बदल सकती।

लेकिन आज राजनीति में ईमानदार लोगों को भी मौका मिल रहा है। ईमानदारी और परफॉर्मेंस आज की राजनीति की पहली अनिवार्य शर्त होती जा रही है। भ्रष्टाचार जिनकी विरासत थी, उनका भ्रष्टाचार ही आज उन पर बोझ बन गया है। वो लाख कोशिशों के बाद भी इससे उभर नहीं पा रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जो समाज संकटों में भी प्रगति के रास्ते बनाना सीख लेता है, वो समाज अपना भविष्य खुद लिखता है। इसलिए आज भारत और 130 करोड़ भारतवासी अपना उत्तम भविष्य खुद गढ़ रहे हैं।

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