क्या है बीएच-शृंखला जिसके तहत वाहनों के रजिस्ट्रेशन में होगी आसानी?
क्या है बीएच-शृंखला जिसके तहत वाहनों के रजिस्ट्रेशन में होगी आसानी?
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। सरकार ने वाहनों के निर्बाध हस्तांतरण की सुविधा के लिए ‘भारत शृंखला’ (बीएच-सीरीज़) के तहत नए वाहनों के लिए एक नया पंजीकरण चिह्न पेश किया है। यह जानकारी शनिवार को सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने दी है।
इस संबंध में मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा कि सरकार ने सुविधा के लिए नागरिक केंद्रित कई कदम उठाए हैं। वाहन पंजीकरण के लिए आईटी-आधारित समाधान ऐसा ही प्रयास है। मंत्रालय ने कहा कि वाहन पंजीकरण प्रक्रिया में दूसरे राज्य में जाने के दौरान वाहन के पुन: पंजीकरण पर ध्यान देने की बहुत जरूरत थी।इस तरह की आवाजाही के दौरान कर्मचारियों को मूल राज्य से दूसरे राज्य में पंजीकरण के हस्तांतरण की प्रक्रिया का सामना करना होता है, जिसमें काफी दिक्कतें होती हैं।
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 47 के तहत, किसी व्यक्ति को जिस राज्य में वाहन पंजीकृत है, के अलावा किसी भी राज्य में 12 महीने से अधिक समय तक उसे रखने की अनुमति नहीं है, लेकिन नए राज्य-पंजीकरण प्राधिकरण के साथ एक नया रजिस्ट्रेशन 12 महीने के निर्धारित समय के भीतर करना होता है। इसक लिए उसे लंबी प्रक्रिया अपनानी होती है।
इसको ध्यान में रखते हुए वाहनों के हस्तांतरण को सुविधाजनक बनाने के लिए, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 26 अगस्त की अधिसूचना के जरिए नए वाहनों के लिए नया पंजीकरण चिह्न यानी ‘भारत शृंखला’ (बीएच-सीरीज़) पेश किया है।
इसके तहत जब वाहन का मालिक एक राज्य से दूसरे राज्य में जाएगा तो इस पंजीकरण चिह्न वाले वाहन को नए पंजीकरण चिह्न की जरूरत नहीं होगी।
भारत सीरीज के तहत यह वाहन पंजीकरण सुविधा रक्षा कर्मियों, केंद्र सरकार/राज्य सरकार/केंद्र/राज्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और निजी क्षेत्र की कंपनियों/संगठनों के कर्मचारियों, जिनके कार्यालय चार या अधिक राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में हैं, के लिए स्वैच्छिक आधार पर उपलब्ध होगी।
मोटर वाहन कर दो साल के लिए या दो के गुणक में लगाया जाएगा। यह योजना एक नए राज्य/संघ राज्य क्षेत्र में स्थानांतरित होने पर भारत के राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में निजी वाहनों की मुफ्त आवाजाही की सुविधा प्रदान करेगी। चौदहवें वर्ष के पूरा होने के बाद, मोटर वाहन कर वार्षिक रूप से लगाया जाएगा जो उस वाहन के लिए पहले वसूल की गई राशि का आधा होगा।