सार्वजनिक भूमि से अतिक्रमण हटाया जाना चाहिए, भले ही वहां मंदिर हो: उच्च न्यायालय

सार्वजनिक भूमि से अतिक्रमण हटाया जाना चाहिए, भले ही वहां मंदिर हो: उच्च न्यायालय

सार्वजनिक भूमि से अतिक्रमण हटाया जाना चाहिए, भले ही वहां मंदिर हो: उच्च न्यायालय

फोटो स्रोत: PixaBay

चेन्नई/दक्षिण भारत। रामपुरम के पास एक मंदिर द्वारा सड़क के अतिक्रमण पर उचित स्पष्टीकरण नहीं देने पर मद्रास उच्च न्यायालय ने गुरुवार को चेन्नई नगर निगम आयुक्त को एक व्यक्ति नियुक्त करने और याचिकाकर्ता को निरीक्षण में शामिल कर 14 दिनों में रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिया।

Dakshin Bharat at Google News
इस मामले के मुताबिक रामपुरम कलासथम्मन कोइल मंदिर प्रशासन अतिरिक्त पंडाल लगाकर सड़क का अतिक्रमण कर रहे हैं और केवल दो पहिया वाहनों के लिए सड़क को प्रतिबंधित करने के लिए बैरिकेड्स लगा रहे हैं जिससे मार्ग बाधित हो रहा है।

याचिकाकर्ता ए नकेरन के अनुसार तहसीलदार ने उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह कानून का मामला है वह पर कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। वहीं याचिकाकर्ता आरएस अकिला के वकील ने कहा कि सड़क बाधित होने के कारण लोगों को अतिरिक्त दो किमी की यात्रा रोज करनी पड़ती है।

इसके अलावा आपात स्थिति में मिनीबस, एम्बुलेंस और अग्निशमन सेवा के वाहन यहां फंस जाते हैं। सभी गवाह और याचिकाकर्ता को सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की पीठ ने पाया कि सिर्फ इसलिए कि यह एक मंदिर है, यह सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण का कारण नहीं बन सकता है। यदि इससे सड़क बाधित हो रही है तो वहां बुलडोज़र भी चलाया जा सकता है।

सुनवाई के दौरान निगम और मंदिर प्रशासन अदालत के नोटिस का संतोषजनक जवाब देने में विफल रहे है जिस पर पीठ ने कहा कि यदि सड़क मार्ग का एक बड़ा हिस्सा बाधित है तो आपातकालीन वाहनों को अनुमति देने के लिए अतिक्रमण हटाना होगा।

पीठ ने आदेश जारी करते हुए कहा कि हम याचिकाकर्ता के साथ एक व्यक्ति को नियुक्त कर रहे हैं जो निगम आयुक्त के साथ एक सड़क का संयुक्त तौर पर निरीक्षण करेंगे। जिसके बाद याचिका को राज्य, निगम और मानव संसाधन विभाग को 25 फरवरी तक जवाब दाखिल करने तक स्थगित कर दिया गया।

Tags:

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download