बारिश थमी तो राहत मिली लेकिन सरकारी उदासीनता कब तक?

बारिश थमी तो राहत मिली लेकिन सरकारी उदासीनता कब तक?

बेंगलूरु। दो दिनों की परेशानियों से भरी मूसलाधार बारिश के बाद रविवार को पूरे दिन बेंगलूरुवासियों ने राहत की सांस ली और शहर के कुछेक हिस्सों में थो़डी बारिश हुई। हालांकि आसमान पर बादल छाए रहे लेकिन बारिश न होने से शहर के निचले इलाके उन निवासियों ने राहत की सांस ली जिनके घरों में पिछले दो दिनों की बारिश के दौरान न सिर्फ बारिश और सीवेज का पानी घुस गया था बल्कि उनके फर्नीचर और घर के अन्य सामान को भी पानी के कारण नुकसान पहंुचा था। शुक्रवार और शनिवार के दौरान मुख्य रूप से दक्षिण और पूर्वी बेंगलूरु के कोरमंगला, एचएसआर लेआउट, बेगूर, जेपीनगर, अनुग्रहा लेआउट, बोम्मनहल्ली, गोट्टीगेरे आदि क्षेत्रों में स़डकों से लेकर लोगों के घरों तक में पानी घुस गया था। रविवार को दिन में बारिश न होने के कारण इन इलाकों के लोगों को अपने घरों की साफ सफाई करने का मौका मिला लेकिन उनकी परेशानी समाप्त नहीं हुई है क्योंकि पूरी संभावना है कि फिर से जब तेज बारिश होगी तब इन क्षेत्रों में जलजमाव होगा। मौसम विभाग के अनुसार अगले ४८ घंटों तक बेंगलूरु के आसमान पर बादल छाए रहेंगे और छिटपुट से लेकर तेज बारिश तक हो सकती है। आईटी सिटी बेंगलूरु के लिए अब तक ट्रैफिक को ब़डी समस्या के रूप में देखा जाता रहा था लेकिन इस सुहावने और सदाबहार मौसम वाले शहर में अब बारिश एक नई समस्या बनने लगी है। यूं तो बेंगलूरु में हर वर्ष अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक मानसून, मानूसन पूर्व और मानसून बाद की बारिश होती रही है लेकिन ढांचागत विकास की अधूरी तैयारियों के कारण अब बारिश शहर की सूरत बिगा़डने लगी है। न सिर्फ तेज बारिश के दौरान बल्कि ३० मिमी से ८० मिमी के बीच बारिश होने पर भी शहर के कई इलाके झील की शक्ल ले लेते हैं। किसी समय में बंेगलूरु में सैंक़डों झीलें थीं लेकिन शहरीकरण के विस्तार से उन झीलों का अस्तित्व समाप्त हो गया और अब बारिश के दौरान रिहायशी इलाके झील का रूप धारण करने लगे हैं। बारिश के दौरान बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के बीबीएमपी और राज्य सरकार के सारे दावे हर बार बारिश में बह जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार शहर की अधिकांश स़डकों पर बारिश के ठीक पहले डामरीकरण करने के बाद भी बारिश में स़डकें गड्ढे बन जा रही हैं। बरसाती नालों को अतिक्रमण मुक्त करने के अभियान और नवनिर्माण के अधूरे कामों के कारण आम लोगों के घरों में बरसात का पानी प्रवेश कर रहा है। शहरी विशेषज्ञकों का कहना है कि बेंगलूरु को वैश्विक मानकों पर उन्नत करने के सरकार के सारे दावे असफल साबित हुए हैं। आधी अधूरी तैयारियों की पोल अब बरसात में खुलने लगी है। बीबीएमपी और सरकार अगर अपनी उदासीन सोच में बदलाव नहीं करेगी तो आने वाले समय में बारिश से बेहाल होते बेंगलूरु में निवेश पर भी असर प़डेगा।

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बारिश जनित समस्याएं दूर नहीं हुईं तो निवेश प्रभावित होगा

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