कावेरी बोर्ड का गठन नहीं करने के लिए द्रमुक ने केंद्र की आलोचना की

कावेरी बोर्ड का गठन नहीं करने के लिए द्रमुक ने केंद्र की आलोचना की

चेन्नई। राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी के पानी के बंटवारे के विवाद मंे कावेरी जल पंचाट द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड और कोवरी जल नियामक कमेटी का गठन नहीं करने के लिए केन्द्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की आलोचना की। इस आदेश को वर्ष २०१३ में सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद केन्द्रीय गजट में प्रकाशित किया गया था।एक बयान जारी कर स्टालिन ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश अम्विता रॉय और एएम खानविलकर ने भी इस मामले में सुनवाई के दौरान पिछले सोमवार को काफी समय बीत जाने के बाद कावेरी जल प्रबंधन बोर्ड और कावेरी जल नियामक समिति का गठन नहीं करने के लिए केन्द्र सरकार को फटकार लगाई थी। मुख्य न्यायाधीश ने कहा था कि कावेरी डेल्टा क्षेत्र में कृषि बुरी तरह प्रभावित हुई है और किसान आत्महत्या जैसे गंभीर कदम उठाने को बाध्य हो रहे हैं इसके बावजूद केन्द्र सरकार द्वारा बोर्ड और समिति का गठन क्यों नहीं किया गया है?स्टालिन ने कहा है कि हालांकि केन्द्र सरकार ने इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष यह दलील दी कि पंचाट द्वारा दिए गए अंतिम आदेश को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। इस आदेश में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि गंभीर स्थिति पैदा होने की स्थिति में कावेरी जल का कितना हिस्सा नदी के निचले इलाके में स्थित राज्य को छो़डा जाना है। स्टालिन ने कहा कि केन्द्र सरकार की यह दलील सिर्फ पंचाट के आदेश को लागू नहीं करने के लिए एक बहाना है। उन्होंने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार कावेरी जल पंचाट के आदेश के लाभ को राज्य के लोगों तक पहुंचने नहीं देना चाहती है।स्टालिन ने आरोप लगाया कि केन्द्र सरकार ने तमिलनाडु के लोगों के साथ विश्वासघात किया है। उन्होंने कहा कि राज्य के लोग इस कार्य के लिए केन्द्र सरकार को कभी भी माफ नहीं करेंगे। उन्होंने इस बात पर भी प्रश्न उठाए कि केन्द्र सरकार अब कावेरी जल पंचाट के अंतिम निर्णय पर प्रश्न क्यों उठा रही है? उन्होंने कहा कि पंचाट के निर्णय में यह स्पष्ट रुप से कहा गया है कि कर्नाटक द्वारा हर महीने तमिलनाडु को उसके हिस्से का पानी छो़डा जाएगा। ज्ञातव्य है कि इस मामले की सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने अपना आदेश अगली सुनवाई तक के लिए सुरक्षित रख लिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले के सभी पार्टियों मसलन, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और पुदुच्चेरी को शीर्ष अदालत में हुई २९ सुनवाई के दौरान सामने आए विभिन्न पहलुओं को लिखित रुप से सौंपने का निर्देश दिया है।

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