एक वर्ष की रोक के बाद फिर आयोजित हुई ‘कम्बाला’

एक वर्ष की रोक के बाद फिर आयोजित हुई ‘कम्बाला’

मूडबिदरी। अदालती आदेश के कारण पिछले वर्ष कम्बाला का आयोजन न होने के बाद तटीय कर्नाटक की लोकप्रिय पारंपरिक भैंसा दौ़ड ‘कम्बाला’’ शनिवार को पूरे उत्साह और रोमांच के साथ दक्षिण कन्ऩड जिले के मूडबिदरी में शुरु हुई। पिछले वर्ष नवम्बर-२०१६ में पशु संरक्षण संगठन ‘पेटा’’ की याचिका पर सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने कम्बाला पर रोक लगाने का आदेश दिया था जिस कारण तटीय कर्नाटक में कम्बाला का आयोजन नहीं हो पाया था। हालांकि अदालती निर्णय पर लोगों के भारी विरोध के बाद जनभावनाओं के अनुरूप कर्नाटक सरकार ने एक अध्यादेश लाकर कम्बाला आयोजन का रास्ता साफ कर दिया। कर्नाटक सरकार ने कम्बाला आयोजन सुनिश्चित कराने के लिए इस वर्ष जुलाई-२०१७ में पशु क्रूरता से बचाव (कर्नाटक संशोधन) संशोधन २०१७ पारित किया जिसकी वैधता २० जनवरी २०१८ तक है। हालांकि राज्य सरकार के अध्यादेश का विरोध करते हुए पेटा ने इस अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। ६ नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सुनवाई की थी लेकिन अध्यादेश पर अंतरिम स्थगन का आदेश देने से मना कर दिया था और मामले की अगली सुनवाई अब १३ नवम्बर को होगी। अब सबकी नजरें १३ नवम्बर के सुप्रीम कोर्ट के अगले निर्णय पर टिकी हैं। शनिवार को मूडबिदरी के कादलाकेरे में २४ घंटे का कम्बाला कार्यक्रम शुरु हुआ जिसका समापन रविवार सुबह ८.३० बजे होगा। इस वर्ष के सत्र में नवम्बर २०१७ से मार्च २०१८ के बीच तटीय कर्नाटक के अलग अलग क्षेत्रांे में कम्बाला के तहत कुल १९ दोहरी भैंसा दौ़डा होंगी। कम्बाला का आयोजन मुख्य रूप से दक्षिण कन्ऩड और उडुपी जिलों में होता है। इस सत्र का आखिरी कम्बाला मार्च-२०१८ में मेंगलूरु के पास तालपेटी में होगा। इसके अतिरिक्त तटीय क्षेत्र के गांवों में लघु स्तर के करीब १५० कम्बाला आयोजित होने की उम्मीद है। मूडबिदरी में इस वर्ष के पहले कम्बाला आयोजन के उद्घाटन सत्र में कांग्रेस विधायक के. अभयचन्द्र जैन भी पहुंचे। पहले कम्बाला में भैंसा के ५० से ज्यादा जो़डे दौ़ड के लिए उतरे। कम्बाला को लेकर भैंसों के मालिकों, आयोजकों और स्थानीय लोगों में काफी उत्साह दिखा। दो वर्ष बाद आयोजित हो रही कम्बाला दौ़ड को देखने के लिए हजारों लोग मूडबिदरी पहुंचे थे और एक उत्सवी नजारा देखने को मिला।

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