कावेरी मुद्दे पर आए फैसले पर राज्य की पार्टियों ने जाहिर की हैरानी

कावेरी मुद्दे पर आए फैसले पर राज्य की पार्टियों ने जाहिर की हैरानी

चेन्नई। सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी के पानी के बंटवारे के मुद्दे पर चल रहे मामले में आदेश सुनाया। सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश पर तमिलनाडु की विभिन्न पार्टियों ने निराशा जाहिर की है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने इस फैसले में तमिलनाडु को पहले इसे आवंटित किए गए पानी के हिस्से में से १४.७५ टीएमसी फिट(थाउजैंड मिलियन क्यूबिक फिट) पानी कम कर दिया गया है। न्यायालय ने राज्य में भूजल की उपलब्धता १० टीएमसी फिट होने के कारण इसे कर्नाटक से पहले से मिल रहे पानी के हिस्से को कम करने का आदेश सुना दिया। ज्ञातव्य है कि कावेरी जल विवाद पंचाट ने वर्ष २००७ में कावेरी के पानी के लिए कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच चल रहे अंतरराज्यीय विवाद का निपटारा करते हुए अपने अंतिम आदेश में कर्नाटक सरकार को सामान्य वर्षों में तमिलनाडु और कर्नाटक की सीमा बिलिगुंडुलु पर १९२ टीएमसी फिट तमिलनाडु के लिए छो़डने का आदेश दिया था। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर केन्द्र सरकार ने वर्ष २०१३ में इस आदेश को गजट में भी प्रकाशित किया था। पंचाट ने केन्द्र सरकार को कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच पानी के बंटवारे का समाधान करने के लिए कावेरी प्रबंधन बोर्ड और कवेरी जल नियामक समिति का गठन करने का भी आदेश दिया था। हालांकि अभी तक इस समिति और बोर्ड का गठन नहीं हो सका है। कर्नाटक सरकार ने कावेरी जल पंचाट के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी और इसी मामले में शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा फैसला सुनाया गया। इस फैसले के आने के कुछ ही देर बाद दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत में अखिल भारतीय अन्ना द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) के राज्यसभा सांसद ए नवनीतकृष्णन ने कहा कि कावेरी पर जारी यह आदेश हमारे लिए ब़डा झटका है। उन्होंने कहा कि हम पूरे आदेश का अध्यन करेंगे और उसके बाद कोई समुचित कदम उठाएंगे।राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी द्रवि़ड मुनेत्र कषगम (द्रमुक) ने भी सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश पर हैरानी प्रकट की है। द्रमुक के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने राज्य सरकार पर कावेरी नदी के पानी पर राज्य के अधिकार को भुलाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को कावेरी नदी के पानी का समुचित हिस्सा राज्य को दिलाने के लिए आगे उठाए जाने वाले कदमों के बारे में विचार विमर्श करने के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य को मिलने वाले पानी के हिस्से में कटौती करना राज्य के साथ अन्याय है।तमिलनाडु प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एस तिरुनावुक्कारसार ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले से राज्य में नाराजगी है। इस मामले में पहले भी न्यायालय द्वारा आदेश सुनाया गया था लेकिन कर्नाटक की सरकारों ने उन आदेशों को कभी नहीं माना। हालांकि कांग्रेस के नेता ने इस निर्णय का स्वागत किया और कहा कि नदियों का जल राष्ट्रीय संपत्ति है और कोई भी इस पर अपनी दावेदारी पेश नहीं कर सकता है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) के राज्य सचिव जी रामकृष्णन ने इस आदेश के आने के बाद राज्य के डेल्टा क्षेत्रों के किसानों के प्रति चिंता प्रकट की। उन्होंने कहा कि यह आदेश राज्य के चावल के कटोरे नाम से जाने जाने वाले डेल्टा क्षेत्र के किसानों के लिए समस्या का कारण बनेगा और उन्हें अपनी फसलों की बुवाई और सिंचाई के लिए पानी की कमी से जूझना होगा। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष तमिलसै सौंदरराजन ने इस फैसले के आने के बाद राज्य में लंबे तक शासन करने वाली द्रमुक और अन्नाद्रमुक सरकार की कावेरी विवाद में उनकी भूमिका के लिए निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि हम इस आदेश का स्वागत नहीं करते। इसमें कुछ भी खुशी महसूस होने वाली बात नहीं है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक लंबे समय से तमिलनाडु को धोखा दे रहा है। सौंदरराजन ने कहा कि अब आइए देखते हैं कि कांग्रेस की नेतृत्व वाली कर्नाटक सरकार फैसले के अनुरुप तमिलनाडु को पानी छो़डती है या नहीं। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु सरकार को राज्य के अधिकारों को सुनिश्चित करना चाहिए।

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