बेहतर बनाएं नया साल
हमें अपने लक्ष्य को आगे रखकर दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाते हुए काम करना होगा
इस साल जनता को 'चक्कर पे चक्कर' से मुक्ति मिलनी चाहिए
नए साल का प्रभात, सूरज की किरणों में नया उल्लास! सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं। पिछला साल कई चुनौतियां और उपलब्धियां देकर गया। एक राष्ट्र के तौर पर हमें अपने पूर्व अनुभवों से सीखकर इस साल को उससे बेहतर बनाना है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में भी कई बिंदुओं का उल्लेख कर भावी प्राथमिकताओं के बारे में बताया था। आज विकास के विभिन्न मापदंड यह संकेत दे रहे हैं कि 21वीं सदी भारत की सदी होने वाली है। चाहे अर्थव्यवस्था हो, युवा शक्ति हो, डिजिटल क्रांति हो या केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं का धरातल पर असर ... भारत में बहुत आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त शक्ति व सामर्थ्य का प्राकट्य हो रहा है।हमें अपने लक्ष्य को आगे रखकर दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाते हुए काम करना होगा। इस साल का एक भी दिन ऐसा नहीं जाना चाहिए, जिसमें हमारे प्रयासों में कोई कमी रह जाए। साल 2024 में श्रीराम मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है। 22 जनवरी का दिन इतिहास में स्वर्ण अक्षरों के साथ दर्ज हो जाएगा। यह साल देखने वाले कितने सौभाग्यशाली हैं! सदियां बीत गईं यहां तक पहुंचते-पहुंचते।
इस साल दृढ़ संकल्पित होकर उन आदर्शों की स्थापना करें, जिनका आदेश प्रभु श्रीराम ने दिया है। देश में सौहार्द हो, एकता हो, दया हो, परस्पर सहयोग की भावना हो। संप्रदाय, जाति आदि के आधार पर भेदभाव समाप्त हों। केंद्र और राज्य सरकारें ऐसे कदम उठाएं, जिनसे आम आदमी की ज़िंदगी आसान हो।
आज भी आम जनता को अपने काम के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। यही नहीं, कई बार तो जायज काम के लिए भी रिश्वत देनी पड़ती है। सरकारी दफ्तरों के कामकाज के तरीकों में न केवल तेजी लाई जाए, बल्कि पारदर्शिता भी सुनिश्चित की जाए। ज्यादातर सुविधाएं घर बैठे मिलनी चाहिएं। जो अधिकारी या कर्मचारी जानबूझकर काम में अवरोध डाले, सरकार को उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई करने से नहीं हिचकना चाहिए। इस साल जनता को 'चक्कर पे चक्कर' से मुक्ति मिलनी चाहिए।
यह साल चुनावी साल भी है। कुछ दिनों बाद नेताओं की जनसभाएं जोर पकड़ने लगेंगी। नेतागण सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप में न लगे रहें, नए सुधारों को लेकर खुद के नजरिए के बारे में भी बताएं। देश में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) पर चर्चा होनी चाहिए। बांग्लादेश, पाकिस्तान, म्यांमार जैसे देशों से आए लोगों के बारे में चर्चा होनी चाहिए। उनमें से जो लोग जुल्म और ज्यादती से परेशान होकर यहां आए हैं, उन्हें राहत मिलनी चाहिए। घुसपैठियों, अपराधियों और भारत के संसाधनों पर मौज करने का इरादा लेकर (अवैध ढंग से) आए विदेशी नागरिकों की पकड़-धकड़ करते हुए उन्हें उनके देश भेजने का पक्का इंतजाम करना चाहिए। घुसपैठियों का बोझ भारतीय नागरिक क्यों उठाएं?
इस साल ग्रामीण विकास पर विशेष ध्यान देना होगा। प्रधानमंत्री मोदी विभिन्न अवसरों पर कह चुके हैं कि वे 'अन्नदाता' को 'ऊर्जादाता' भी बनाना चाहते हैं। गांवों में ऐसे विशाल भूखंड हैं, जो सौर ऊर्जा के जरिए हर घर तक रोशनी पहुंचा सकते हैं। इसके लिए निवेश बढ़ाना होगा। आज विभिन्न योजनाओं के कारण गांवों में कई सुविधाएं मिलनी आसान हो गई हैं, लेकिन दो सुविधाएं ऐसी हैं, जिन्हें शीर्ष पर रखना होगा। ये हैं- रोजगार और चिकित्सा। अगर लोगों को गांवों में ही रोजगार के अच्छे अवसर मिलने लग जाएं और चिकित्सा सुविधाएं सुलभ हों तो शहरों की ओर पलायन कम हो सकता है। इस कार्य में इंटरनेट महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
लोकतंत्र को सशक्त बनाने के लिए चुनाव सुधारों की दिशा में गंभीरता से काम करना होगा। इसके लिए राजनीतिक दल सौहार्दपूर्ण वातावरण में चर्चा करें। पिछले साल हमारे देश ने डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में कई कीर्तिमान बनाए, लेकिन साइबर अपराधियों ने भी लोगों को खूब लूटा। नए साल में सरकार ऐसे अपराधियों के मंसूबों को विफल बनाए। आम आदमी की कमाई के एक-एक रुपए की सुरक्षा की गारंटी होनी चाहिए। पुन: अनेक शुभकामनाएं!