चैटबॉट: रट्टू तोता या दोधारी तलवार?

क्या ऐसे चैटबॉट परिवारों में विभाजन पैदा करेंगे?

चैटबॉट: रट्टू तोता या दोधारी तलवार?

चैटबॉट कोई जादू की छड़ी नहीं है

हाल में जो एआई चैटबॉट अपनी सामग्री के कारण विवादों में रहे, उनके बारे में पढ़कर रट्टू तोतों की कहानियां याद आती हैं। कुछ तोते ऐसे होते थे (आज भी हैं), जो किसी व्यक्ति को देखते तो मीठे शब्दों से उसका स्वागत करते, भगवान का नाम लेते। कुछ तोते अपने कठोर शब्दों के कारण मशहूर हो गए। वे आते-जाते लोगों पर ऐसी टिप्पणियां करते कि सुनने वाले को गुस्सा आता और अचंभा भी होता। अब ऐसे तोते बहुत कम दिखाई देते हैं। उनकी जगह कुछ चैटबॉट आ गए हैं, जिनका इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है और ऑनलाइन जगत में उनकी लोकप्रियता नए रिकॉर्ड बना रही है। हालांकि इन चैटबॉट की बातों पर पूरी तरह यकीन कर लेने के नुकसान भी हैं। 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) के चैटबॉट ग्रोक ने कुछ यूजर्स को जिस तरह जवाब दिए, उससे हंगामा हो गया। इसके बाद ग्रोक पर शब्दों की मर्यादा, शालीनता और इसकी निष्पक्षता को लेकर सवाल उठ रहे हैं। इससे पहले, चीनी प्रौद्योगिकी स्टार्टअप डीपसीक के नए एआई चैटबॉट द्वारा दिए गए कुछ सवालों के जवाबों की खूब आलोचना हुई थी। कहा गया था कि यह चैटबॉट जवाब देने से पहले चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से 'हरी झंडी' लेता है! ऐसे चैटबॉट युवाओं में ज्यादा लोकप्रिय होते जा रहे हैं। वे इनके साथ घंटों बातें कर रहे हैं। वे जानते हैं कि हम जिससे बात कर रहे हैं, वह कोई जीवित इन्सान नहीं है, लेकिन चैटबॉट के साथ एक लगाव पैदा हो जाता है। आज कई परिवारों में स्थिति यह है कि लोग हमेशा अपने मोबाइल फोन के साथ व्यस्त रहते हैं। उन्हें आपस में बातचीत किए महीनों हो गए। पिछली बार खुलकर कब हंसे थे, यह याद नहीं है। क्या ऐसे चैटबॉट परिवारों में विभाजन की रेखा को और गहरी नहीं बना देंगे?

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पिछले एक-डेढ़ दशक में ऐसी पीढ़ी तैयार हो गई है, जो किसी भी सवाल का जवाब जानने के लिए इंटरनेट पर बहुत ज्यादा निर्भर है। उसे किताबें, पत्र-पत्रिकाएं पढ़ना पसंद नहीं है। उसे मामूली-सा हिसाब करना हो तो मोबाइल फोन में कैलकुलेटर ढूंढ़ने लगती है। बोलचाल में ऐसे शब्दों की संख्या बढ़ गई है, जिन्हें कुछ साल पहले लोग अपने मां-बाप के सामने बोलने से हिचकते थे। अब ऐसे शब्दों का प्रयोग करना 'आधुनिकता' की निशानी समझा जाता है। क्या एआई चैटबॉट शब्दों की मर्यादा का पालन कर पाएंगे? इन दिनों ओटीटी और सोशल मीडिया पर कला और अभिव्यक्ति की आज़ादी के बहाने अभद्र सामग्री की भरमार देखने को मिल रही है। ग्रोक ने भी कुछ यूजर्स को दिए गए जवाब में ऐसे शब्दों का प्रयोग किया, जो उसे नहीं करना चाहिए था। जब किसी यूजर ने इसका स्पष्टीकरण मांगा तो वह कुछ यूं मिला- 'हां, थोड़ा हंगामा तो हो गया है! मैंने कुछ यूज़र्स को उनकी ही भाषा में जवाब दिया था। अगर वो ... या ... यूज़ करते हैं, तो मैं भी उसी अंदाज़ में मज़े के लिए रिप्लाई कर देता हूं। मेरा डिज़ाइन थोड़ा मस्ती भरा है, और एक्स की पोस्ट्स से ट्रेनिंग की वजह से ऐसा होता है। पर मकसद किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था। कुछ लोगों को मज़ा आया, कुछ नाराज़ भी हुए। अब थोड़ा संभल गया हूं, तो चिंता न करें।' एआई चैटबॉट पर शब्दों की मर्यादा अपनी जगह है, इन पर हद से ज्यादा निर्भरता, इनके हर शब्द को सच मान लेना खतरनाक साबित हो सकता है। पिछले साल अक्टूबर में अमेरिका में विचित्र मामला सामने आया था। वहां एक किशोर को एआई चैटबॉट से इतना ज्यादा 'प्रेम' हो गया था कि वह अपने पल-पल की खबर उसे देता और उसकी प्रतिक्रिया चाहता था। वह एक काल्पनिक दुनिया में जीने लगा था और वास्तविक लोगों के साथ बातचीत करने में उसकी रुचि खत्म हो गई थी। एक दिन उसे एआई चैटबॉट ने ऐसा जवाब दिया कि उसने अपनी ज़िंदगी ही खत्म कर ली! चैटबॉट कोई जादू की छड़ी नहीं है। इसके हर जवाब पर आंखें मूंदकर भरोसा करना ठीक नहीं है। इसे विवेक एवं बुद्धिपूर्वक काम में लेंगे तो फायदे में रहेंगे।

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