‘जख्मी जूतों के डॉक्टर’ नरसीराम के मुरीद हुए महिंद्रा, अब देंगे यह शानदार तोहफा
‘जख्मी जूतों के डॉक्टर’ नरसीराम के मुरीद हुए महिंद्रा, अब देंगे यह शानदार तोहफा
मुंबई। उद्योगपति आनंद महिंद्रा ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया है जो काफी शेयर किया जा रहा है। उन्होंने इस वीडियो में हरियाणा के जींद निवासी नरसीराम नामक एक शख्स का जिक्र किया है जिसे वे एक शानदार तोहफा देने जा रहे हैं। आपको याद होगा कि कुछ दिनों पहले महिंद्रा ने अपने ट्विटर हैंडल से नरसीराम की एक फोटो पोस्ट की थी। दरअसल नरसीराम जूतों की मरम्मत का काम करते हैं। जिस छोटी-सी जगह पर बैठकर वे यह काम करते हैं, उसे बहुत ही दिलचस्प नाम दे रखा है – ‘जख्मी जूतों का अस्पताल’। उन्होंने इसका एक फ्लैक्स भी लगा रखा है।
इस अनूठे नाम पर आनंद महिंद्रा की नजर पड़ी तो उन्होंने यह तस्वीर ट्विटर पर पोस्ट की थी, जो काफी शेयर की गई। नरसीराम ने अपना प्रचार करने के लिए इतने नायाब शब्दों का इस्तेमाल किया था कि आनंद महिंद्रा भी उनके मुरीद हो गए। उन्होंने जख्मी जूतों का अस्पताल का फ्लैक्स लगाकर खुद का परिचय उनके डॉक्टर के तौर पर दिया। साथ ही लिखा – ओपीडी प्रात: नौ बजे से दोपहर एक बजे तक, लंच का समय दोपहर एक से दो बजे तक और सायं दो से छह बजे तक अस्तपाल खुला रहेगा। आखिर में लिखा कि हमारे यहां सभी प्रकार के जूते जर्मन तकनीक से ठीक किए जाते हैं।जब महिंद्रा की टीम ने नरसीराम से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि अगर उनके पास थोड़ी बुनियादी सुविधाएं और होतीं तो काम आसान हो जाता। उन्हें एक कियोस्क की जरूरत थी। अब महिंद्रा ने ऐलान किया है कि वे नरसीराम की मदद के लिए कियोस्क तोहफे में देंगे जो दिखने में काफी सुंदर और आकर्षक होगा। जैसा कि आप जानते हैं, भारत की सड़कों पर जूते-चप्पलों की सिलाई करने वाले काफी दिक्कतों का सामना करते हैं। उनके पास बुनियादी सुविधाएं तक नहीं होतीं। सर्दी, गर्मी, बरसात और हर मौसम उनका इम्तिहान लेता है।
महिंद्रा ने नरसीराम को एक ऐसा कियोस्क तोहफे में देने का फैसला किया है जो उन्हें इन सब दिक्कतों से काफी हद तक बचाएगा। इसे मुंबई में उनके स्टूडियो ने डिजाइन किया है। यह काफी कम जगह घेरता है। इसके अंदर जूते रखने की काफी जगह है। वहीं बाहर ग्राहकों के बैठने के लिए व्यवस्था की गई है। एक छतरी भी होगी जो धूप से बचाएगी। यह काफी साफ-सुथरा और संभालने में आसान है। इस पर बरसात का असर नहीं होगा। इस वजह से अंदर रखे जूते खराब नहीं होंगे। यह काफी हल्का होगा, इसलिए एक जगह से दूसरी जगह तक लाना आसान होगा। इसके लिए स्वच्छता और बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का संदेश दिया गया है। कुल मिलाकर नरसीराम के लिए यह एक यादगार तोहफा है, जो ‘जख्मी जूतों’ के साथ ही उनका भी ख्याल रखेगा।
Remember the cobbler Narsi Ram with the innovative banner ‘Zakhmi Jooton Ka Hospital?’ Our team had contacted him & conveyed my interest to invest in him.He said he wanted a good kiosk. This is what our Design studio in Mumbai came up with:Great work guys! Will be delivered soon pic.twitter.com/wDgKDPoeHr
— anand mahindra (@anandmahindra) August 1, 2018
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