आदिवासी समाज में शौर्य भी है, प्रकृति के साथ सहजीवन और समावेश भी है: मोदी

आदिवासी समाज में शौर्य भी है, प्रकृति के साथ सहजीवन और समावेश भी है: मोदी

प्रधानमंत्री ने बिरसा मुंडा को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी


नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को जनजातीय नेता बिरसा मुंडा को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर उन्होंने अपने संदेश में कहा कि मैं देश के महान सपूत महान क्रांतिकारी भगवान बिरसा मुंडा को आदरपूर्वक नमन करता हूं। 15 नवंबर की यह तारीख, भारत की आदिवासी परंपरा के गौरवगान का एक विशेष दिन है।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा केवल हमारी राजनीतिक आजादी के महानायक थे, इतना ही नहीं है। वे हमारी आध्यात्मिक, सांस्कृतिक ऊर्जा के संवाहक भी थे। आज देश भगवान बिरसा मुंडा समेत करोड़ों जनजातीय वीरों के सपनों को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत के जनजातीय समाज ने अंग्रेजों को विदेशी शासकों को दिखा दिया था कि उनका सामर्थ्य क्या है। आदिवासी समाज में शौर्य भी है, प्रकृति के साथ सहजीवन और समावेश भी है। इस भव्य विरासत से सीखकर भारत को अपने भविष्य को आकार देना है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में हमारे जनजातीय भाई-बहन देश की हर योजना के, हर प्रयास के प्रेरणा भी रहे हैं और आरंभ में उनका स्थान भी रहा है। केंद्र सरकार की योजनाओं से देश के करोड़ों आदिवासी परिवारों का जीवन आसान हुआ है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले वर्ष आज के ही दिन रांची के बिरसा मुंडा संग्रहालय को देश को समर्पित करने का अवसर मिला था। आज भारत देश के विभिन्न क्षेत्रों में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित ऐसे ही अनेक म्यूजियम बना रहा है।

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