तिरुवल्लुवर की प्रतिमा को भगवा वस्त्र पहनाने वाले नेता को पुलिस ने हिरासत में लिया

तिरुवल्लुवर की प्रतिमा को भगवा वस्त्र पहनाने वाले नेता को पुलिस ने हिरासत में लिया

तंजावुर/दक्षिण भारत। तमिल कवि तिरुवल्लुवर के कथित ’भगवाकरण’ को लेकर भाजपा और द्रमुक के बीच हालिया विवाद के बाद, अब हिंदू मक्कल काची के संस्थापक अर्जुन संपत द्वारा महान कवि की प्रतिमा को भगवा वस्त्र और रुद्राक्ष माला पहनाने से यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में है। अर्जुन संपत का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ था, जिसके बाद उन्हें तंजावुर पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। इस वीडियो में अर्जुन संपत महान कवि की प्रतिमा पर वस्त्र चढ़ाते और पूजा करते हुए दिखाई दिए थे।
एक रिपोर्ट के अनुसार, अभी वे तंजावुर तमिल विश्वविद्यालय स्टेशन में हैं, लेकिन मामले में एफआईआर दर्ज होनी बाकी है। मंगलवार को कवि की इसी प्रतिमा के साथ अभद्रता की घटना सामने आई थी। ऐसे में पुलिस सूत्रों का कहना है कि वे नहीं चाहते कि तनाव बढ़े। पिछले शनिवार को बैंकॉक में तिरुक्कुरल (तिरुवल्लुवर द्वारा रचित) के थाई अनुवाद के विमोचन के दौरान, राज्य भाजपा ने कवि का एक चित्र ट्वीट किया था, जिसमें उन्हें भगवा वस्त्र में दिखाया गया था।
विपक्षी दलों ने इसका यह कहते हुए विरोध किया कि कवि को हमेशा श्वेत वस्त्रों में चित्रित किया गया है और भाजपा उनके इतिहास एवं शिक्षाओं के साथ छेड़छाड़ कर रही है। वहीं, इन आरोपों के बीच भाजपा ने अपनी राज्य इकाई के सदस्यों को निर्देश दिया कि वे महान कवि के प्रति सम्मान व्यक्त करें। तमिलनाडु भाजपा की एक विज्ञप्ति में कहा गया है, नौ और 10 नवंबर को अपने घरों, कार्यालयों और सार्वजनिक स्थानों पर तिरुवल्लुवर के चित्रों को पुष्पांजलि अर्पित करें्। इस आयोजन को ट्विटर और फेसबुक पर हैशटैग तिरुवल्लुवर के साथ पोस्ट करें्। ये तस्वीरें नए साल के अवसर पर होने वाले आयोजनों में शामिल होनी चाहिए।
भाजपा और उसके समर्थकों की दलील है कि तिरुवल्लुवर एक हिंदू संत थे, इसलिए उन्हें भगवा वस्त्र पहनाना उचित है। दूसरी ओर, द्रमुक के सदस्यों का कहना है कि तिरुवल्लुवर सफेद वस्त्र पहनते थे। वे रुद्राक्ष की माला या भस्म जैसे कोई भी चिह्न धारण नहीं करते थे। इस पर, तमिल भाषा और संस्कृति मंत्री के. पांडियाराजन ने कहा कि सभी धर्म के लोगों को तिरुवल्लुवर को अपना धार्मिक आदर्श मानने का अधिकार है। उन्होंने मीडिया से कहा, सोने के सिक्के पर ध्यान करते हुए उकेरी गई आकृति से यह माना जा सकता है कि वे समणम, सैवम या वेणवम में से एक संत हैं। यकीनन, वे नास्तिक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू, ईसाई और मुसलमानों सहित सभी धर्म के लोगों को तिरुवल्लुवर को अपना धार्मिक आदर्श मानने का अधिकार है और किसी को भी इससे रोकने का हक नहीं है।

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