... तो आम आदमी कितना सुरक्षित?
हनी ट्रैप को बहुत गंभीर अपराध घोषित किया जाए

ऐसे गिरोहों का पर्दाफाश किया जाए
कर्नाटक के लोक निर्माण मंत्री सतीश जारकीहोली द्वारा किया गया यह दावा कि राज्य के एक वरिष्ठ मंत्री पर ‘हनी ट्रैप’ के दो असफल प्रयास किए गए, ऐसी गंभीर समस्या की ओर संकेत करता है, जिससे सरकार को खूब सख्ती से निपटना होगा। जो व्यक्ति जाने-अनजाने में इस 'जाल' में फंसता है, वह भारी नुकसान उठाता है। कुछ मामलों में तो पीड़ित बिल्कुल ही मासूम रहता है, लेकिन शर्मिंदगी के कारण ब्लैकमेल होता है। सोचिए, जब नेतागण ऐसे गिरोहों के निशाने पर हो सकते हैं तो आम आदमी कितना सुरक्षित है? हमने हनी ट्रैप का मुद्दा कई बार उठाया है। हमारे सुरक्षा बलों के अधिकारियों एवं जवानों, वैज्ञानिक तथा शोध संस्थानों से जुड़े लोगों को फंसाने के लिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने खूब चालें चली हैं। कभी-कभार लोग उसके जाल में फंस जाते हैं। उसका मकसद भारत की सुरक्षा से जुड़ी गोपनीय जानकारी हासिल करना है। वहीं, भारत में रहकर कुछ गिरोह आम लोगों से लेकर वरिष्ठ नेताओं और अधिकारियों पर 'मोहपाश' फेंक रहे हैं। वे ऐसी हरकतों के जरिए धन ऐंठते हैं, कोई अनुचित काम करवाते हैं या किसी की प्रतिष्ठा पर दाग लगाकर उसे रास्ते से हटाते हैं। यह मानना होगा कि इंटरनेट के दुरुपयोग ने हनी ट्रैप करने वालों का काम बहुत आसान कर दिया है। पिछले दिनों हनी ट्रैप का एक मामला चर्चा में रहा था। किसी बुजुर्ग व्यापारी से एक युवती ने सोशल मीडिया पर दोस्ती कर ली। धीरे-धीरे बात आगे बढ़ी और उसने मिलने के लिए बुलाया। जब वह व्यापारी मिलने गया तो वहां युवती के चार साथी पहले से तैयार बैठे थे। उन्होंने आपत्तिजनक तस्वीरें खींच लीं और धमकी दी कि अगर 40 लाख रुपए नहीं दिए तो तुम्हारी पुरानी चैट्स समेत पूरी सामग्री सोशल मीडिया पर डाल देंगे। व्यापारी ने अपनी जमा-पूंजी का बहुत बड़ा हिस्सा ब्लैकमेलरों के हवाले कर दिया। आखिरकार उसने पुलिस की मदद ली और उसकी जान छूटी।
मेवात में साइबर ठगों ने हनी ट्रैप के जरिए लोगों को लूटने का बड़ा ही खतरनाक तरीका ढूंढ़ निकाला था। वे किसी अनजान व्यक्ति को वीडियो कॉल करते और कैमरे के सामने कोई आपत्तिजनक वीडियो चला देते। जब उधर व्यक्ति वीडियो कॉल उठा लेता तो उसका अलग से वीडियो बना लेते। वे उसे कोई आपत्तिजनक हरकत करने के लिए उकसाते। कुछ लोग उनके उकसावे में आ जाते थे। जब उसकी गतिविधियां रिकॉर्ड हो जातीं तो वीडियो उसे भेजकर ब्लैकमेल किया जाता। बहुत लोग इस जाल में फंसे और अपनी कमाई गंवा बैठे। एक दुकानदार के मोबाइल फोन की घंटी बजी, कोई अनजान नंबर था। थोड़ी देर बाद वीडियो कॉल आया। उसने सोचा कि कोई ग्राहक होगा। सामने एक युवती नजर आई, जो आपत्तिजनक हावभाव कर रही थी। जब तक दुकानदार को कुछ समझ आता, कॉल कट गया। अब वॉट्सऐप पर मैसेज आया कि तुरंत 5,000 रुपए भेजो, अन्यथा तुम्हारा यह वीडियो एक ग्रुप में वायरल कर दिया जाएगा। दुकानदार ने दिए गए क्यूआर कोड पर रुपए भेज दिए। अगले दिन फिर वही मैसेज आया। इस बार रकम बढ़ाकर 20,000 रुपए कर दी गई। दुकानदार डरा हुआ था। उसने ठगों के क्यूआर कोड को स्कैन कर रुपए भेज दिए। इसके बाद तो ठगों की मांग बढ़ती ही गई। हताश दुकानदार लाखों रुपए गंवाने के बाद पुलिस की शरण में पहुंचा। वहां उसे निजात मिली। इसी तरह हनी ट्रैप गिरोह के झांसे में आए एक सुरक्षा गार्ड ने बहुत खौफनाक कदम उठा लिया था। उसके पास रुपए नहीं थे। उसने अपनी जान दे दी! ऐसी घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए जरूरी है कि हनी ट्रैप को बहुत गंभीर अपराध घोषित करते हुए इन हरकतों को अंजाम देने वालों की पकड़-धकड़ में तेजी लाई जाए। उनका पर्दाफाश किया जाए। उन्हें सख्त सज़ा दी जाए। ऐसे दो-चार गिरोहों के खिलाफ जोरदार कार्रवाई हो गई तो बाकी लोगों को सबक मिल जाएगा।About The Author
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