मोदी सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक कर पाक को मुंहतोड़ जवाब दिया था: शाह

'हमारी सरकार न आतंकवाद को सहन कर सकती है और न ही आतंकवादियों को'

मोदी सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक कर पाक को मुंहतोड़ जवाब दिया था: शाह

Photo: amitshahofficial FB Page

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने मंत्रालय की कार्यप्रणाली पर शुक्रवार को राज्यसभा में जवाब देते हुए कहा कि मोदी सरकार आने के बाद उरी और पुलवामा में आतंकी हमले हुए, लेकिन भारत ने 10 दिन के अंदर ही सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक करके पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया था। केवल दो देश अमेरिका और इजराइल, अपनी सुरक्षा और सीमाओं के लिए खड़े होते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को भी इस सूची में शामिल कर दिया है।

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अमित शाह ने कहा कि मैं देश की आजादी के बाद, आंतरिक सुरक्षा को और देश की सरहदों को सुरक्षित करने के लिए बलिदान देने वाले स्टेट पुलिस और सेंट्रल पैरामिलिट्री फोर्स के हजारों जवानों को श्रद्धांजलि देना चाहता हूं। उनके बलिदान से ही देश आजादी के 76 साल पार कर विश्व में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। मैं बलिदानियों के परिजन का भी धन्यवाद करता हूं। 

अमित शाह ने कहा कि मैं अपने संविधान निर्माताओं को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने अनुच्छेद 370 को अस्थायी बनाया और उसी अनुच्छेद के अंतर्गत इसे हटाने का समाधान भी दिया था, लेकिन वोटबैंक की राजनीति ने इसे बचाए रखा था। पांच अगस्त, 2019 को मोदी ने इसे हटाने का ऐतिहासिक कदम उठाया, जिससे कश्मीर के शेष भारत के साथ एकीकरण के एक नए युग की शुरुआत हुई।

अमित शाह ने कहा कि साल 2014 में जब मोदी सरकार चुनकर आई, तब कई सारे मुद्दे हमें मिले। इस देश की सुरक्षा, विकास और सार्वभौमत्व को तीन बड़ी समस्याओं के कारण चुनौतियां मिलती रहीं। तीन नासूर देश की शांति में खलल डालते रहे, देश की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगाते रहे, देश के विकास की गति को अवरुद्ध करते रहे।

अमित शाह ने कहा कि तीन नासूर थे... जम्मू कश्मीर में आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद और उत्तर पूर्व का उग्रवाद। इन समस्याओं के कारण चार दशक में देश के करीब 92 हजार नागरिक मारे गए। इसके बावजूद इन समस्याओं के संपूर्ण उन्मूलन के लिए एक सुनियोजित प्रयास कभी नहीं हुआ था। जो नरेंद्र मोदी की सरकार के आने के बाद हुआ।

अमित शाह ने कहा कि कश्मीर में आए दिन पड़ोसी देश से आतंकवादी घुसकर बम धमाके करते थे। एक भी त्योहार ऐसा नहीं होता था, जो चिंता के बगैर जाता था, लेकिन केंद्र सरकार का रवैया लचीला होता था, बोलने में डर लगता था, चुप्पी साध जाते थे, वोट बैंक का डर था। नरेंद्र मोदी के आने के बाद आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई।

अमित शाह ने कहा कि एक देश में दो निशान, दो प्रधान और दो विधान नहीं होंगे। कैसे हो सकते हैं? देश में एक ही प्रधानमंत्री हो सकता है, एक ही विधान और देश का ​झंडा भी एक ही हो सकता है, लेकिन चलाए गए, वर्षों तक चलाए गए। पांच अगस्त, 2019 को एक निशान, एक विधान और एक प्रधान का नया दौर शुरू हुआ और वहीं से शुरू हुआ कश्मीर को हमेशा के लिए भारत के साथ एकरूप करने की प्रक्रिया।

अमित शाह ने कहा कि संप्रग शासन में जम्मू-कश्मीर में 33 साल से सिनेमाघर नहीं खुले थे, हमारे समय में खुले। ताजिया के जुलूस को अनुमति नहीं थी, हमारे समय में दी गई। जी-20 के दौरान दुनियाभर के राजनयिक शांति से जम्मू-कश्मीर गए और वहां के खाने, संस्कृति, खूबसूरती का आनंद उठाया। 

अमित शाह ने कहा कि 10 साल पहले जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों का महिमामंडन होता था, जनाजों का जुलूस निकाला जाता था। हमारे समय में भी आतंकवादी मारे गए, ज्यादा मारे गए, लेकिन किसी के जनाजे का जुलूस नहीं निकाला गया। जो आतंकवादी जहां मारा जाता है, वहीं दफना दिया जाता है।

अमित शाह ने कहा कि कई वर्षों से कश्मीर की तिजोरी खाली थी। साल 2015 में नरेंद्र मोदी ने 80 हजार करोड़ रुपए की 63 परियोजनाओं की शुरुआत की। कुछ लोग मेरे खर्च का हिसाब पूछ रहे थे। अरे भाई, थोड़ा कम हुआ होगा, हमने रखने की हिम्मत तो की, आपके समय में तो खर्च का प्रोविजन ही नहीं था। 80 हजार करोड़ रुपए में से 51 हजार करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं और 63 में से 53 परियोजनाएं क्रियान्वित हो चुकी हैं।

अमित शाह ने कहा कि ये हिसाब मांगते हैं कि क्या हुआ 370 हटाने का परिणाम! साहब, हिसाब तो उनको दिया जाता है, नजारा तो उनको दिखाया जाता है, जिनकी नजरें साफ हों। जो काला चश्मा पहन कर, आंखें मूंद कर बैठे हैं, उनको विकास नहीं दिखा सकते हैं।

अमित शाह ने कहा कि पैदल यात्रा निकाली, कश्मीर तक गए, अपने कार्यकर्ताओं के साथ बर्फ की होली खेली और कहा कि दूर से आतंकवादी दिखाई पड़ा था। अरे भाई, जिनकी नजर में आतंकवादी है, तो आपको सपने में भी आएगा और आपको कश्मीर में भी दिखाई पड़ेगा। हम तो आतंकवादी देखते ही सीधा दो आंखों के बीच में गोली मारते हैं। हमारी सरकार न आतंकवाद को सहन कर सकती है और न ही आतंकवादियों को।

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