रसोई से निकला लज़ीज़ बिज़नेस आइडिया
रसोई से निकला लज़ीज़ बिज़नेस आइडिया
.. राजीव शर्मा ..
गुरुग्राम/दक्षिण भारत। यूं तो हमारी ज़िंदगी से रसोईघर का बहुत करीबी रिश्ता है, लेकिन क्या इससे एक शानदार बिज़नेस आइडिया भी निकल सकता है? इस सवाल का बेहतर जवाब गुरुग्राम निवासी इला प्रकाश सिंह के पास है, जिन्होंने 5,000 रुपए से बेकरी का कारोबार शुरू किया और आज इसके उत्पाद बड़ी तादाद में ग्राहकों द्वारा खूब पसंद किए जा रहे हैं।इला को केक, चॉकलेट, बिस्किट आदि बनाना बेहद पसंद है। वे होटल मैनेजमेंट कोर्स में स्नातक भी हैं। उन्होंने करियर की शुरुआत में कई मशहूर होटलों में काम किया। इससे उनके अनुभव में वृद्धि हुई और बेकरी से संबंधित उत्पादों को लेकर समझ विकसित हुई।
एक दिन उनके किसी परिचित, जो उनकी प्रतिभा को जानते थे, ने सलाह दी कि आपको बेकरी का कारोबार शुरू करना चाहिए। यह इला द्वारा बनाए गए पकवानों की कोरी तारीफ नहीं बल्कि एक सही सलाह थी जिसकी बदौलत 2007 में ‘ट्रफल टैंगल्स’ की शुरुआत हुई।
इला ने यह शुरुआत अपने घर से की। परिवार के लिए खाना बनाते-बनाते अब उनका अगला कदम कारोबारी दुनिया की ओर था, जिसमें काफी अनिश्चितता थी। चूंकि उस समय इंटरनेट का ज्यादा प्रसार नहीं हुआ था। ऐसे में इला के लिए शुरुआत काफी संघर्ष भरी रही, लेकिन एक बार जब उनके केक और चॉकलेट्स का स्वाद लोगों की जुबान पर चढ़ा तो ‘ट्रफल टैंगल्स’ की शोहरत बढ़ती गई।
आज इला अपनी बेकरी में करीब 40 उत्पाद बनाती हैं। इनमें केक, कुकीज, चॉकलेट्स के अलावा ब्रेड, डेसर्ट, पिज्जा और अन्य चीजें शामिल हैं। कारोबार की शुरुआत के बारे में इला बताती हैं कि उस समय कोई मेन्यू तय नहीं था और न कोई खास योजना। उन्होंने खुद ही पोस्टर बनाए और काम में जुट गईं।
चूंकि इला को केक बनाने में महारत हासिल थी, इसलिए जल्द ही उनके पास जन्मदिन जैसे अवसरों पर ऑर्डर आने लगे जो धीर-धीरे बढ़ते गए। इससे आत्मविश्वास पैदा हुआ कि इस काम को आगे बढ़ाना चाहिए।
इसके लिए इला घंटों काम में जुटी रहतीं और केक बनाने को लेकर नए-नए प्रयोग करतीं। सोशल मीडिया के प्रसार ने इला के बेकरी कारोबार को नई पहचान दी। अब लोग ऑनलाइन ऑर्डर करने लगे जिससे ‘ट्रफल टैंगल्स’ की धाक सोशल मीडिया पर भी जमती गई।
इला बताती हैं कि बेकरी के काम में काफी व्यस्त रहने के कारण उनके पति और बच्चे पूरा सहयोग करते हैं और उनकी कामयाबी में परिवार का बड़ा योगदान है। वे अपने पिताजी को प्रेरणास्रोत मानती हैं जिन्होंने हमेशा मेहनत और ईमानदारी पर अमल करने की सीख दी, चाहे कामयाबी में कितना ही वक्त क्यों न लगे। इला इन्हीं शब्दों को अपने जीवन का मूलमंत्र मानती हैं।