मनोज जैन ने बीईएल के निदेशक (आर एंड डी) के तौर पर कार्यभार संभाला
मनोज जैन ने स्वर्ण पदक के साथ बीई (इलेक्ट्रॉनिक्स) पूरा करने के बाद अगस्त 1991 में प्रोबेशनरी इंजीनियर के रूप में बीईएल जॉइन किया था
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। नवरत्न रक्षा पीएसयू भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) के निदेशक (आर एंड डी) के तौर पर मनोज जैन ने सोमवार को कार्यभार संभाला। वे इस पदोन्नति से पहले बीईएल के बेंगलूरु कॉम्प्लेक्स में इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर एंड एवियोनिक्स एसबीयू के महाप्रबंधक थे।
मनोज जैन ने स्वर्ण पदक के साथ आरईसी जयपुर (एमएनआईटी) से बीई (इलेक्ट्रॉनिक्स) पूरा करने के बाद अगस्त 1991 में प्रोबेशनरी इंजीनियर के रूप में बीईएल जॉइन किया था। तीन दशक से अधिक के शानदार करियर में, उन्होंने अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।बीईएल की कोटद्वार इकाई में डी एंड ई में अपने प्रारंभिक वर्षों के दौरान, मनोज जैन ने डिजिटल मल्टीप्लेक्सर्स, क्रॉस कनेक्ट्स, सीडीओटी एक्सचेंजों और सैन्य स्विच के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
वे 1999 में बेंगलूरु में बीईएल की केंद्रीय अनुसंधान प्रयोगशाला गए और रक्षा नेटवर्क और नेटवर्क और बल्क सुरक्षा समाधानों के लिए प्रौद्योगिकियों के विकास में लगे रहे।
वे बीईएल के प्रमुख व्यवसायों में से एक, रडार के क्षेत्र में, वीईएक्सटी, स्कैन कन्वर्टर और एफपीजीए का उपयोग करके डिस्प्ले के विकास में शामिल थे।
मनोज जैन ने सभी तकनीकी क्षेत्रों में विकास की देखरेख करते हुए दिसंबर 2017 से मई 2019 तक सीआरएल-बेंगलूरु के मुख्य वैज्ञानिक के रूप में कार्य किया।
उन्होंने जून 2019 में बीईएल के उत्पाद विकास और नवाचार केंद्र (पीडी एंड आईसी) के महाप्रबंधक के रूप में पदभार संभाला। यहां अपने दो साल के कार्यकाल के दौरान, पीडी एंड आईसी ने बीईएल के लिए आवश्यक कई नए उत्पादों/उप-प्रणालियों को विकसित किया, इस प्रकार नवाचार और मूल्यवर्धन सुनिश्चित किया।
मनोज जैन ने जून 2021 में बीईएल-बेंगलूरु में महाप्रबंधक और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर एंड एवियोनिक्स एसबीयू के प्रमुख के रूप में पदभार संभाला। एसबीयू के सभी व्यावसायिक कार्यों की देखरेख के अलावा, उन्होंने इसकी प्रगति में आवश्यक योगदान दिया।
मनोज जैन को विभिन्न अनुसंधान एवं विकास पुरस्कार, प्रमुख योगदानकर्ता पुरस्कार, रक्षा मंत्री पुरस्कार और एसओडीईटी पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कई तकनीकी पत्र प्रकाशित किए, कई पेटेंट के लिए आवेदन किया और रक्षा उपयोगकर्ताओं और डीआरडीओ से संवाद किया है।