शहरों में सस्ता आवास
शहरों में सस्ता आवास
शहरी इलाकों में नागरिकों के लिए सस्ते घर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से नीति आयोग ने नई योजना का प्रारूप तैयार कर लिया है। आयोग का यह मानना है कि अगर शहरों में संपत्ति के पंजीकरण के वक्त जमा की जाने वाली स्टांप ड्यूटी को घटाया जाए और साथ ही फ्लोर स्पेस एरिया को अगर ब़ढाने की अनुमति दे दी जाये तो ऐसा किया जा सकता है। आयोग ने इस ऐक्शन अजेंडा को तीन वर्षों की समय सीमा दी है और २०१७-१८ से २०१९-२० के लिए इस तैयार किया गया है। आयोग ने इस बारे में केंद्र सरकार को अपनी सिफारिशें सौंप दी हैं। नीति आयोग की एक और सिफारिश यह भी है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की जो जमीनें शहरी इलाकों में बेकार प़डी हैं, या फिर जिन पर अवैध तरीके से कब़्जा किया गया है उन सभी का शहरों में सस्ते आवास बनाने के लिए उपयोग करना चाहिए। केंद्र सरकार शहरी आवास की अपनी महत्वाकांक्षी योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए उत्सुक है और ऐसे अनेक उपायों पर पिछले अनेक महीनों से विचार विमर्श अलग अलग स्तरों पर चल रहा है। नीति आयोग की यह महत्वपूर्ण सिफारिशें सामने आने के बाद सरकार की इस दिशा में गंभीरता भी ऩजर आती है। सच तो यह है कि शहरी इलाकों में कम दाम पर मकान उपलब्ध कराना आसान नहीं है और सरकार के लिए भी यह एक ब़डी चुनौती बनी हुई है। देश के अलग-अलग राज्यों में स्टांप ड्यूटी की दरें भी अलग-अलग हैं। हालाँकि औसतन यह देश भर में ६ से ८ फीसद के बीच है। कई राज्य सरकारों का यह भी कहना है कि इस दर को घटने से उनके खजाने पर बुरा असर प़डेगा। लेकिन नीति आयोग कास विषय पर यह माना है कि स्टांप ड्यूटी कम किए जाने से भी राज्य के राजस्व में किसी भी तरह की कमी नहीं आएगी। नीति आयोग का मानना है कि फ्लोर स्पेस एरिया ब़ढा देने से बिल्डरों को भी कुछ राहत मिलेगी, जिसका उपयोग मकानों की कीमत गिराने में किया जा सकता है। देखने वाली बात होगी कि इन सिफारिशों को अमल में लाने से हाउसिंग और रीयल एस्टेट बिजनस में कुछ हलचल आती है या नहीं। घर-दुकान-दफ्तर की आसमान छूती कीमतों ने मध्यम वर्ग को भी जिस तरह इनकी खरीद-फरोख्त से दूर कर दिया है, उसे देखते हुए सरकार की ओर से कोई ब़डी पहल जरूरी है। ब्याज दरों में कटौती और रेरा कानून का लागू होना पहले से ही सुस्ती के शिकार इस सेक्टर को नोटबंदी और जीएसटी से लगे झटकों की भरपाई नहीं कर पाया है। अगर सरकार भवन निर्माण क्षेत्र में सक्रियता बढाती है तो भारतीय अर्थव्यवस्था में आम लोगों का भरोसा कुछ हद तक लौट सकता है और आम जनता को इस योजना से राहत मिल सकती है।