दीदी को गुस्सा क्यों आता है?

दीदी को गुस्सा क्यों आता है?

बात-बिना बात

श्रीकांत पाराशर

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इन दिनों पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गुस्से में हैं। अगर आप निकट भविष्य में बंगाल जाने की योजना बना रहे हों तो जरा संभल कर। ममता आपकी चमड़ी उधड़वा सकती हैं। और यदि आप बंगाल में ही रहते हैं तब भी ममता दीदी से दूर ही रहिएगा। वे राह चलते लोगों को भी इन दिनों गिरफ्तार करवा रही हैं। दीदी का गुस्सा सातवें आसमान पर है। दीदी की हरकतों से तो अब वहां के प्रशासनिक अधिकारी भी अचंभित हैं। उनको भी समझ नहीं आ रहा कि क्या करें। दीदी अजीब हरकतें करने लगी हैं। जब से बंगाल में आम चुनाव में भाजपा की 18 सीटें आई हैं तब से दीदी ने आपा खो दिया है। उन्हें लगता है इसमें भगवान श्रीराम का हाथ है।बस अब वे श्रीराम के जयकारे से चिढ़ती हैं।

ऐसा लगता है जैसे हर पल, हर क्षण “जय श्रीराम” नारा ममता के कानों में गूंजता रहता है। वे इन दिनों खूब बेचैन हैं। हो सकता है कि नींद में भी उन्हें रह रह कर श्रीराम के नारे की गूंज सुनाई दे रही हो। अब वे घर से बाहर जब भी निकलती हैं तो यह मानकर ही चलती हैं कि रास्ते में उन्हें मोदी समर्थक मिलेंगे और वे जय श्रीराम का नारा लगाएंगे। रास्ते में सड़क किनारे ममता के दर्शन करने के लिए जो भीड़ दिखाई देती है, वह अपनी कार से उतर कर भीड़ में खड़े लोगों को भी डांट फटकार लगाने लगती हैं। डांटती भी ऐसे हैं कि हिटलर भी शर्मा जाए। लगता है कि उनका वश चले तो वे फांसी पर लटका दें।

संपादक की कलम से

अभी कोलकाता के नैहटी इलाके में वे कार से जा रही थीं कि उन्हें जय श्रीराम के नारे सुनाई दिए। उन्होंने तुरंत कार को रोका और सड़क किनारे खड़े लोगों को खूब हड़काया। ममता ने कहा, यहां यह नहीं चलेगा। यह बंगाल है, बंगाल है, बंगाल है। गुस्से में उन्होंने तीन बार बंगाल बोला। कहा, यह गुजरात नहीं है। बंगाल को गुजरात नहीं बनने दिया जाएगा। यह कहकर जैसे ही वह कार में बैठने लगीं वैसे ही कुछ लोगों ने ममता को चिढाने के लिए फिर से जय श्रीराम के नारे लगाने शुरू कर दिए। दीदी फिर कार से उतरीं। उन्होंने फिर जोर जोर से चिल्लाना शुरू किया…इधर आओ, सामने आओ, तुम बीजेपी के गुंडे हो, यह बंगाल है, तुम हमारे कारण जिंदा हो, तुम्हारी चमड़ी उधेड़ दूंगी। तुम आउट साइडर हो, बंगाल के नहीं हो, बंगाल में यह नहीं चलेगा। चोलबे ना, चोलबे ना।

उन्होंने अधिकारियों को इशारा किया और नारा लगाने वालों को पकड़ने का निर्देश दिया। तुरंत आठ लोगों को हिरासत में भी ले लिया गया। जिन्हें गिरफ्तार किया गया, उन्होंने नारा लगाया भी था या नहीं, कहना मुश्किल है। परंतु यह सच है कि जैसे ही ममता कार में फिर बैठने लगीं वैसे ही भीड़ में फिर जय श्री राम के नारे लगे। अब वह तमतमाने से ज्यादा कर भी क्या सकती थीं। इस बार मोदी मोदी के नारे भी लगे। ममता की कार आगे बढ़ गई। वह बिल्कुल मानो गर्म तवे पर ही बैठी हुई थीं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। कोलकाता के आरामबाग में भी ऐसी ही घटना कुछ दिन पहले घट चुकी है। उस दिन भी जय श्रीराम के नारे को सुनकर दीदी भड़क उठी थीं। कार रोककर राहगीरों को जमकर धमकाया था। उस घटना के सोशल मीडिया पर कई वीडियो खूब वायरल हुए थे।

दरअसल दीदी बंगाल में हाल के आम चुनाव में अपनी पार्टी के तेजी से गिरते ग्राफ से बौखला गई हैं। इतनी ज्यादा बौखला गई हैं कि अभी वे बोलती कुछ और हैं, और मुंह से निकलता कुछ और है। वे क्या बोलती हैं शायद उनको भी नहीं मालूम। भाजपा तो कह रही है की दीदी पगला गई हैं। वे पागल हुई हैं या नहीं, यह तो कोई चिकित्सक या अनुभवी मनोवैज्ञानिक ही बता सकता है किंतु उनका व्यवहार यह जरुर संकेत देता है कि उन्हें अपने स्वास्थ्य की जांच जरूर करानी चाहिए।

आम चुनाव तो कांग्रस भी हारी है। और इतनी बुरी तरह हारी है कि सदमे से निकलने में उसे काफी समय लगेगा फिर भी ममता जैसी दयनीय स्थिति कांग्रेस वालों की दिखाई नहीं देती। कांग्रेसी अपना संतुलन बनाए हुए हैं। देखा जाए तो, कांग्रेस के तो पूरे सपने ही लुट गए हैं, जबकि ममता की संसदीय सीटों में से महज 18 सीटें भाजपा ने झपटी हैं। अभी भी 22 सीटें उनकी राजनीतिक इज्ज़त बचाने के लिए उनके पास हैं। सबको पता है चुनावों के दौरान पश्चिम बंगाल में जमकर राजनीतिक हुड़दंग और हिंसा हुई। दीदी ने, चुनाव जीतने के लिए जितने भी दांवपेच संभव थे, वह सब उन्होंने काम में लिए फिर भी परिणाम उनकी अपेक्षा के बिल्कुल विपरीत निकला। शायद यही कारण है कि वे अपना दिमागी संतुलन खोती दिख रही हैं।

बंगाल की जनता भी पहली बार यह तमाशा देख रही है कि कोई व्यक्ति भगवान श्रीराम के नाम से इतना चिढ़ता है कि राम का नाम लेने वालों को मारने के लिए उनके पीछे दौड़ने लगता है। अब तो ममता लोगों के मनोरंजन का साधन भी बन गई हैं। जब किसी कार्यक्रम में जाने के लिए वे सड़क पर अपने काफिले के साथ निकलती हैं तभी ये रामभक्त भी सड़क पर जय श्रीराम के नारे लगाने निकल पड़ते हैं। तू डाल डाल, मैं पात पात। कोई नारा नहीं भी लगाता है तो भी ममता को सुनाई देता है। भीड़ दिखते ही उन्हें नारा सुनता है। वे गाड़ी रुकवा कर नीचे उतरकर चिल्लाने लगती हैं। आफिसर्स को डर है कि कहीं चलती गाड़ी से नीचे न उतर जाएं। यह संभव है। कोई बड़ी बात नहीं।

उनके गुस्से का तापमान ही इतना हाई है कि वे तमतमाहट में अपना भी नुकसान कर सकती हैं। कर भी रही हैं। उनको पता नहीं है कि उनकी राजनीतिक फिसलन का कारण भी यही क्रोध है। अपने कार्यकाल में उन्होंने एक धर्मविशेष के लोगों पर गुस्से में तरह तरह की पाबंदियां लगानी शुरू कर दीं थीं। उनकी आस्था, उनके निजी धार्मिक विश्वास में अवरोध पैदा करने शुरू कर दिए थे और दूसरे समुदाय विशेष के लोगों को रेवड़ियां बांटने लगीं थीं। यह सिलसिला गत दो तीन वर्षों से चल रहा था। अब जनता ने चुनाव में इस भेदभाव का बदला ले लिया। मारकाट, हिंसा के बाद भी तृणमूल को करारी शिकस्त मिली, इससे वे बिदकी हुई हैं।

ममता को लगता है कि भाजपा और आरएसएस ने उनका चैन हरण किया है इसलिए उनकी ही शैली में उनको जवाब देना होगा। वे अब आरएसएस जैसा संगठन बना रही हैं। नाम की घोषणा भी कर दी है। यह संगठन आरएसएस से निपटेगा। उन्होंने श्रीराम के नारे से निपटने का भी बंदोबस्त कर लिया है। अब फोन उठाते समय तृणमूल समर्थक हैलो नहीं बोलेंगे। तृणमूल के कार्यकर्ता “जोय हिन्द, जोय बंगाल” बोलेंगे। यह विरोधियों से निपटने की ममता शैली है।

लोग कह रहे हैं कि ममता दीदी इन चोंचलों में उलझ जाएंगी और भाजपा का वो मोटा भाई ममता की झोली में से बंगाल विधानसभा भी निकाल ले जाएगा, पता भी नहीं चलेगा। राजनीतिक समझबूझ वाले लोग कह रहे हैं कि ममता को किसी अच्छे चिकित्सक को दिखाया जाना चाहिए और उन्हें सद्बुद्धि का एक इंजेक्शन लगवाया जाना चाहिए ताकि वह घृणा की राजनीति छोड़ भारतीय राजनीति की मुख्य धारा में प्रवेश करें तथा अपने विरोधियों को सही ढंग से पटखनी देने के रास्ते खोजें।

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