मंदिर में दर्शन के बाद करें परिक्रमा तो हमेशा याद रखें ये 3 जरूरी बातें
मंदिर में दर्शन के बाद करें परिक्रमा तो हमेशा याद रखें ये 3 जरूरी बातें
परिक्रमा के महत्व को इसी से जाना जा सकता है कि गणेशजी ने भगवान शिव और मां पार्वती की परिक्रमा से ही समस्त संसार की परिक्रमा का पुण्य प्राप्त कर लिया था और वे देवों में सर्वश्रेष्ठ कहलाए।
बेंगलूरु। मंदिर में भगवान के दर्शन आदि करने के बाद हम परिक्रमा जरूर करते हैं। परिक्रमा करने के अनेक कारण बताए गए हैं। वास्तव में इसमें सृष्टि के प्रारंभ का एक गहरा रहस्य भी जुड़ा है। जैसा कि आप जानते हैं, ग्रह आदि अपने पथ में चक्कर लगाते रहते हैं। इस प्रकार वे परमात्मा के आदेशों का पालन कर उसकी शक्ति को नमन करते हैं। इसी प्रकार मनुष्य भी मंदिरों में भगवान की परिक्रमा करता है। यह भी श्रद्धा का ही एक रूप है। मंदिर में परिक्रमा करते समय इन बातों का ध्यान रखना जरूरी है-
1. परिक्रमा के पथ में न तो बहुत तेज चलें और न ही इतने धीमे कि दूसरों को तकलीफ हो। परिक्रमा के दौरान भगवान के नाम का स्मरण करें, परिवार और दुनिया से जुड़े मसलों पर यहां बात न करें।2. परिक्रमापथ में भगवान की प्रतिमा के ठीक पीछे उन्हें नमन करें। इस दौरान मन में सदैव शुभ भाव होने चाहिए। किसी और बात पर चिंतन न करते रहें। परिक्रमा करते हुए अपने इष्टदेव के मंत्र का जाप करना भी श्रेष्ठ माना जाता है।
3. गणेशजी एक परिक्रमा में ही प्रसन्न हो जाते हैं तो शिवजी को आधी परिक्रमा लगाने से कृपा प्राप्त हो जाती है। विष्णुजी को तीन परिक्रमाएं लगाने से कल्याण होता है। परिक्रमा पूर्ण होने के बाद भगवान के दर्शन करें।
परिक्रमा के महत्व को इसी से जाना जा सकता है कि गणेशजी ने भगवान शिव और मां पार्वती की परिक्रमा से ही समस्त संसार की परिक्रमा का पुण्य प्राप्त कर लिया था और वे देवों में सर्वश्रेष्ठ कहलाए। इसलिए सच्ची श्रद्धा से की गई परिक्रमा सदैव कल्याणकारी होती है।
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