शिवलिंग जिस पर हर साल गिरती है बिजली, फिर जुड़ जाता है!
शिवलिंग जिस पर हर साल गिरती है बिजली, फिर जुड़ जाता है!
कुल्लू/दक्षिण भारत। कहा जाता है कि भारत के हर कंकर में शंकर का वास है। जब-जब पृथ्वी और उसके जीवों पर कोई संकट आता है तो भगवान भोलेनाथ उसे दूर करते हैं। वे शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। शिवजी ने संपूर्ण सृष्टि के कल्याण के लिए विषपान किया। भोलेनाथ से संबंधित हर कथा हमें जीवों पर दया और कल्याणकारी सोच रखने की शिक्षा देती है।
यूं तो हमारे देश में शिवजी के अनेक मंदिर हैं। उनसे जुड़ी कथाएं अद्भुत हैं। शिव का एक दिव्य धाम हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित है। यह बिजली महादेव के नाम से जाना जाता है। इससे कई रहस्य जुड़े हैं, जिनके बारे में श्रद्धालुओं की अलग-अलग मान्यताएं हैं। मंदिर द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, यहां हर साल बिजली गिरती है।यह बिजली कभी ध्वजा पर तो कभी शिवलिंग पर गिरती है। मान्यता के अनुसार, बिजली गिरने से यह शिवलिंग खंडित हो जाता है। तत्पश्चात मंदिर के पुजारी एक अनुष्ठान करते हैं। इसमें मक्खन का उपयोग किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि अनुष्ठान के बाद शिवलिंग धीरे-धीरे जुड़ने लगता है और पूर्व अवस्था को प्राप्त कर लेता है।
मंदिर के संबंध में कई कथाएं भी प्रचलित हैं। कहा जाता है कि प्राचीन काल में यहां कुलांत नामक दैत्य ने विशाल अजगर का रूप धारण कर उत्पात मचाया। उसने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर ब्यास नदी का पानी रोक दिया। इससे नदी का जलस्तर बढ़ने लगा और लोगों का जीवन संकट से घिर गया।
इसके बाद भक्तों ने भगवान शिव से गुहार की। तब शिवजी ने कुलांत का संहार कर उसका आतंक खत्म किया। मान्यता है कि शिवजी ने इंद्र को आदेश दिया कि कुलांत पर निश्चित अंतराल के बाद वज्रपात किया जाए। कालांतर में कुलांत की देह विशाल पर्वत बन गई और शिवजी ने लोगों की रक्षा के लिए इस पर अपना आसन जमा लिया। हर साल हजारों लोग इस मंदिर के दर्शन करने आते हैं और भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।