शुरू हुआ खर मास, अब एक माह तक मांगलिक कार्य रहेंगे वर्जित
शुरू हुआ खर मास, अब एक माह तक मांगलिक कार्य रहेंगे वर्जित
नई दिल्ली। रविवार (16 दिसंबर) से खर मास प्रारंभ हो गया है। इसे धनु का मल मास भी कहा जाता है। एक महीने की इस अवधि में शुभ एवं मांगलिक कार्य शुरू नहीं किए जाते। मकर संक्रांति को जब सूर्य मकर राशि में आएंगे, तब खर मास समाप्त हो जाएगा। देश के अलग-अलग हिस्सों में खर मास के लिए विभिन्न परंपराएं प्रचलित हैं। इस अवधि में अपने पितृदेवों का स्मरण और उनके नाम पर दान-पुण्य भी किया जाता है।
खर मास की शुरुआत के साथ ही मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है। इस दौरान विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, नए वाहन की खरीद, नींव खोदना, कुआं खोदने की शुरुआत जैसे कार्य नहीं किए जाते। मकर संक्रांति को स्नान—दान आदि के बाद शुभ मुहूर्त में ही मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि जो व्यक्ति खर मास में अपने पितृदेवों के नाम पर दान करता है, वह पुण्य का भागी होता है और पितृदेव उस पर अत्यंत प्रसन्न होते हैं।इस संबंध में एक कथा भी प्रचलित है, जो सूर्य की किरणों का महत्व बताती है। संस्कृत में खर का मतलब गधा होता है। मान्यता है कि एक बार सूर्यदेव ने अपने रथ में खर को जोत लिया था। उसके बाद ही खर मास की परंपरा शुरू हुई। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सूर्यदेव के रथ में सात शक्तिशाली घोड़े हैं। वे हमेशा गतिमान रहते हैं।
एक बार सूर्यदव का रथ किसी सरोवर के निकट से गुजरा। उनके रथ में जुते घोड़े प्यासे थे और उन्हें पानी पीने की इच्छा हुई। सरोवर पर दो खर पानी पी रहे थे। चूंकि सूर्यदेव अपना रथ रोक नहीं सकते थे, उन पर संपूर्ण सृष्टि तक प्रकाश पहुंचाने की जिम्मेदारी थी। इसलिए उन्होंने घोड़ों को पानी पीने के लिए खोल दिया और खरों को जोत लिया। खरों में रथ के घोड़ों जितना बल नहीं था। इसलिए वे धीरे-धीरे रथ को खींचने लगे।
इससे सूर्य की किरणें धरती तक कम संख्या में पहुंचने लगीं और वहां तापमान कम हो गया। उधर जब घोड़ों ने पानी पी लिया तो वे वापस रथ की ओर दौड़े चले आए। सूर्यदेव ने उन्हें दोबारा रथ में जोत लिया। इस तरह एक बार फिर उनका रथ पूरी गति से दौड़ने लगा और सूर्य का तेज बढ़ गया। इस कथा के जरिए बताया गया है कि एक मास में सूर्य की किरणें धरती पर कम मात्रा में पहुंच पाती हैं। इस अवधि में स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए। साथ ही पुण्य के कार्य कर आध्यात्मिक लाभ लेना चाहिए। मकर संक्रांति के बाद सूर्य की किरणों का तेज बढ़ता है।