बेंगलूरु में रक्षक ही बन रहे भक्षक: देर रात घर जा रहे दंपति के साथ पुलिस की बदसलूकी, धमकी देकर वसूली की

सवाल- ऐसे कर्मी सेवा से क्यों न हों बर्खास्त?

बेंगलूरु में रक्षक ही बन रहे भक्षक: देर रात घर जा रहे दंपति के साथ पुलिस की बदसलूकी, धमकी देकर वसूली की

क्या 21वीं सदी की पुलिस का आचरण ऐसा होना चाहिए?

बेंगलूरु/दक्षिण भारत। यूं तो आमजन के साथ देशभर में पुलिस का बर्ताव सवालों के घेरे में रहता है, लेकिन बेंगलूरु पुलिस के दो कर्मियों ने तो हद ही पार कर दी। उन्होंने शुक्रवार देर रात अपने रास्ते जा रहे दंपति को खूब परेशान किया, जिसके बाद पति ने सारा मामला ट्विटर पर लिखकर पुलिस के आचरण पर सवाल दागे तो दोनों कर्मियों को निलंबित किया गया है।

Dakshin Bharat at Google News
मान्यता टेक पार्क के निवासी कार्तिक पत्री ने यह आपबीती ट्विटर पर पोस्ट कर बेंगलूरु के पुलिस आयुक्त और शहर पुलिस को टैग किया था। जब पुलिसकर्मियों के बर्ताव की चौतरफा निंदा होने लगी तो विभाग की आंखें खुलीं और उसने कदम उठाया।

कार्तिक ने बताया कि वे अपनी पत्नी के साथ एक दोस्त के यहां जन्मदिन कार्यक्रम में शिरकत के बाद घर लौट रहे थे तो होयसला पुलिस ने उन्हें रोक लिया और रात को सड़क पर 'घूमने' को लेकर उनसे पूछताछ शुरू हो गई।

यही नहीं, पुलिस कर्मियों ने उन्हें कथित तौर पर परेशान किया और कहा कि अगर वे 'आगे' परेशानी से बचना चाहते हैं तो 'जुर्माना' भरें।

यह है घटना

कार्तिक ने ट्वीट किया, मैं एक दर्दनाक घटना साझा करना चाहता हूं, जिसका मेरी पत्नी और मैंने एक रात पहले सामना किया था। रात के करीब 12.30 बजे थे। मैं और मेरी पत्नी एक दोस्त के यहां केक काटने की रस्म में भाग लेने के बाद घर वापस आ रहे थे। हम मान्यता टेक पार्क के पीछे एक सोसाइटी में रहते हैं।

कार्तिक ने बताया कि जब वे सोसाइटी के अपने प्रवेश द्वार से कुछ ही मीटर की दूरी पर थे कि एक गुलाबी होयसला गश्ती वैन उनके पास आकर रुकी। पुलिस की वर्दी में दो लोगों ने उनसे अपना आईडी कार्ड दिखाने को कहा।

इससे दंपति दंग रह गए। कार्तिक सवाल करते हैं, एक सामान्य दिन सड़क पर चलने वाले वयस्क जोड़े को अपना आईडी कार्ड दिखाने के लिए क्यों कहा जाना चाहिए?

रिश्ते को लेकर पूछताछ

चूंकि उनके पास फोन और केक के डिब्बे के अलावा कुछ भी नहीं था। संयोगवश फोन में आधार कार्ड की तस्वीरें थीं। उन्होंने वे पुलिसकर्मियों को दिखाईं। उन्हें उस समय अचंभा हुआ, जब पुलिसकर्मियों ने उनके फोन ले लिए और आपसी रिश्ते, कार्यस्थल, माता-पिता के विवरण आदि के बारे में पूछताछ शुरू कर दी।

हालांकि इसके बावजूद दंपति ने सवालों के जवाब विनम्रता से ही दिए। इसी दौरान उनमें से एक ने चालान बुक जैसी नजर आने वाली चीज़ निकाली और दंपति के नाम और आधार संख्या को नोट करना शुरू कर दिया। इससे दंपति घबरा गए और 'चालान' काटने की वजह पूछी।

रात 11 बजे बाद घूमने की इजाजत नहीं?

तब उनमें से एक ने कहा कि रात 11 बजे के बाद सड़क पर घूमने की इजाजत नहीं है। इससे दंपति को अचंभा हुआ, क्योंकि उन्होंने ऐसे किसी नियम के बारे में नहीं पढ़ा था। फिर एक पुलिसकर्मी चिल्लाया कि तुम जैसे पढ़े-लिखे लोगों को ऐसे नियमों के बारे में पता होना चाहिए।

बदतमीजी से पेश आ रहे थे पुलिसकर्मी

चूंकि रात काफी हो चुकी थी, फोन जब्त कर लिए गए थे, कहीं से मदद नजर नहीं आ रही थी और दोनों पुलिसकर्मी बदतमीजी से पेश आ रहे थे, तो दंपति ने कोई बहस नहीं की। उन्होंने यह कहते हुए माफी मांग ली कि हमें नियम के बारे में जानकारी नहीं थी और भविष्य में कभी रात को बाहर नहीं निकलेंगे।

3,000 रुपए मांगे

दंपति ने सोचा कि अब मामला खत्म हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पुलिसकर्मियों ने फिर भी उन्हें नहीं जाने दिया और 'जुर्माने' के तौर पर 3,000 रुपए मांगे। इससे पति-पत्नी और घबरा गए।

कार्तिक कहते हैं, यह दिन के उजाले की तरह साफ था कि दो आदमी (दु:खद है, अगर वे वास्तव में पुलिसकर्मी थे) बेखौफ होकर नागरिकों को धोखा देने के लिए बाहर थे और हम उनके शिकार बन गए। हमने सचमुच उनसे जाने देने की विनती की, लेकिन वे टस से मस नहीं हुए।

गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी

कार्तिक बताते हैं, उन्होंने हमें 'दोषियों' की तस्वीरें दिखाईं और अगर हमने 'भुगतान' नहीं किया तो हमें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी। मैं मुश्किल से खुद को रोक पा रहा था, जबकि मेरी पत्नी की आंखों में आंसू थे।

... तो न्यूनतम राशि का भुगतान कर दें!

यह देख पुलिसकर्मियों ने कहा कि केवल मुझे (कार्तिक) सजा दी जाएगी। इसके बाद ड्राइविंग सीट पर बैठा शख्स उन्हें एक तरफ ले गया और सलाह दी कि आगे परेशानी से बचने के लिए वे न्यूनतम राशि का भुगतान कर दें। अब तक कार्तिक मानसिक रूप से बुरी तरह थक चुके थे और उनकी पत्नी भी बहुत डरी हुई थीं, इसलिए वे नहीं चाहते थे कि मामला और लंबा खिंचे।

'फिर दिखे तो ... !'

इसके बाद कार्तिक 1,000 रुपए देने के लिए तैयार हो गया। उस शख्स ने तुरंत पेटीएम क्यूआर कोड दिखाया, जिससे भुगतान हो गया। फिर उसने दंपति को यह कड़ी 'चेतावनी' देते हुए जाने दिया कि अगर दोनों आधी रात को कभी सड़क पर चलते दिखे तो मजबूत केस दर्ज करेंगे और दोनों कोर्ट के चक्कर लगाते रहेंगे।

इस बुरे अनुभव के बाद दंपति रात को सो भी नहीं पाए। इस घटना ने एक तरह से पुलिस व्यवस्था के प्रति विश्वास को हिलाकर रख दिया।

ट्विटर का सहारा

आखिरकार कार्तिक ने ट्विटर का सहारा लिया और पुलिस के आला अधिकारियों से उक्त बुरे बर्ताव को लेकर सवाल किए। उन्होंने कहा कि मेरा मेरा विनम्र सवाल है। क्या यह आतंकवाद नहीं है, क्या यह कानूनी यातना नहीं है? क्या इस देश के ईमानदार, कानून का पालन करने वाले नागरिकों के साथ ऐसा व्यवहार किया जाना चाहिए?

उन्होंने पूछा, यदि कानून के रक्षक ही कानून तोड़ेंगे और असहाय नागरिकों का शिकार करेंगे तो हम किसके पास जाएं?

बेंगलूरु पुलिस की कार्रवाई

ट्वीट का जवाब देते हुए, बेंगलूरु पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की और आवश्यक विवरण लेने के बाद संबंधित पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया।

ऐसा बर्ताव बर्दाश्त नहीं

डीसीपी उत्तर पूर्व अनूप ए शेट्टी ने ट्वीट किया, घटना के लिए जिम्मेदार संपीगेहल्ली पुलिस थाने के दो कर्मियों की पहचान कर ली गई है। उन्हें निलंबित कर दिया गया है और विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी गई है। बेंगलूरु शहर पुलिस अपने कर्मचारियों से विकृत बर्ताव बर्दाश्त नहीं करेगी।

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download