सतर्कता और सख़्ती
जनरल मुनीर अपनी सेना, कट्टरपंथियों और आतंकवादियों की ओर से बड़े दबाव का सामना कर रहे हैं
जो भी आतंकवादी घुसपैठ की कोशिश करता है, वह पकड़ में आ जाता है और वहीं ढेर कर दिया जाता है
अनूपगढ़ में भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तानी रेंजर्स की ओर से गोलीबारी बताती है कि इस पड़ोसी देश में आए नए-नवेले सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर अपनी बदहाल अवाम के दिलों में 'हीरो' की छाप छोड़ने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं। जैसा कि इस स्थिति में स्वाभाविक था, भारत की ओर से बीएसएफ ने भी माकूल जवाब दिया।
श्रीगंगानगर के इस इलाके में हुई घटना के निहितार्थ गहरे हैं। नक्शे पर इस सीमारेखा का अनुसरण करते हुए उत्तर की ओर बढ़ते जाएं तो पंजाब होते हुए जम्मू-कश्मीर आ जाता है यानी नियंत्रण रेखा (एलओसी); वह इलाका जहां पाकिस्तानी सेना और उसके आतंकवादियों की भारतीय सेना और सशस्त्र बलों ने एक तरह से कमर तोड़ दी है।अब जो भी आतंकवादी एलओसी के रास्ते घुसपैठ कर इधर आने की कोशिश करता है, वह भारत के चौकस सैनिकों की पकड़ में आ जाता है और वहीं ढेर कर दिया जाता है। अगर कोई घुसपैठ में कामयाब भी हो जाता है तो उसकी उम्र बहुत थोड़ी बचती है। प्राय: दो-तीन महीनों में ही किसी न किसी मुठभेड़ में उसका खात्मा हो जाता है।
बेशक इन आतंकवादियों के खात्मे से पाकिस्तान के खजाने पर उतना बोझ नहीं पड़ता, जितना कि उसके किसी सैनिक या अधिकारी के मारे जाने से पड़ता है। फिर भी आतंकवादियों की भर्ती, उनका प्रशिक्षण, घुसपैठ आदि पर बहुत खर्चा आता है। एक तरह से पाकिस्तान भारत को परेशान करने के लिए यह 'निवेश' कर रहा है, जिसमें मुनाफा तो दूर रहा, अब यह डूब रहा है।
इस सूरत में जनरल मुनीर अपनी सेना, कट्टरपंथियों और आतंकवादियों की ओर से बड़े दबाव का सामना कर रहे हैं। हाल में पाक में सेना प्रमुख की नियुक्ति को लेकर जो विवाद हुए और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने जिस तरह तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल बाजवा को आड़े हाथों लिया, बहुत तनावपूर्ण माहौल में मुनीर को पद मिला, उससे ये नए सेना प्रमुख चाहते हैं कि वे किसी तरह अपने 'नंबर' बढ़ा लें और इमरान से बाज़ी ले जाएं। लिहाजा उन्होंने पद संभालते ही अंतरराष्ट्रीय सीमा पर तापमान बढ़ाने की कोशिश शुरू कर दी है।
जैसा कि ऊपर उल्लेख किया है, एलओसी पर पाक की हरकतें नाकाम हो रही हैं। वहीं, पंजाब में बीएसएफ की सतर्कता से पाक के ड्रोन पकड़े और धराशायी किए जा रहे हैं। इसलिए पाक इन दोनों जगह 'पिटने' के बाद अब नक्शे में नीचे की ओर रुख कर रहा है। आमतौर पर यह इलाका शांत माना जाता है। बीएसएफ की यहां कड़ी नजर होती है। फिर भी पाक घुसपैठिए इधर आ जाते हैं।
पूर्व में यहां कई घुसपैठिए और जासूस पकड़े जाते रहे हैं। इसके अलावा खुफिया यंत्र लगे पाकिस्तानी पक्षी, गुब्बारे आदि बीएसएफ की नजर में आ जाते हैं, जिन्हें पकड़कर उचित जांच की जाती है। यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि राजस्थान में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं और पाकिस्तान में भी चुनाव होने वाले हैं।
इसलिए पाकिस्तान अपनी चिर-परिचित हरकतों के जरिए न केवल शांतिभंग करने का कुत्सित प्रयास कर सकता है, बल्कि अपनी जनता का ध्यान महंगाई, बेरोजगारी, बाढ़ से तबाही, भुखमरी आदि से हटाने के लिए भारत के साथ तनाव बढ़ाने का हथकंडा भी आजमा सकता है, जिसने अतीत में उसे फायदा ही दिया है। भारतीय सेना एवं सुरक्षा बलों की सतर्कता और सख़्ती ही इसका इलाज है।