कुचलो आतंकवाद का फन
सुरक्षा बलों की चौकसी को आधुनिक तकनीक के साथ और बढ़ाना चाहिए
आतंकवादी ताकतों को कुचलने में और तेजी आए
जम्मू के सिधरा इलाके में एकसाथ चार आतंकवादियों का खात्मा बताता है कि भारतीय सुरक्षा बल कितने सतर्क और सजग हैं। जवानों ने अपनी जान पर खेलकर पूरी कार्रवाई को अंजाम देते हुए एक बड़ी साजिश विफल कर दी, जिसके लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए, कम है। अगर आतंकवादी अपने मंसूबों में कामयाब हो जाते तो निश्चित रूप से नए साल या गणतंत्र दिवस पर बड़ी वारदात कर देश को नुकसान पहुंचाते।
सुरक्षा बलों की चौकसी को आधुनिक तकनीक के साथ और बढ़ाना चाहिए, ताकि आतंकवादी ताकतों को कुचलने में और तेजी आए। बलों ने जम्मू-कश्मीर को आतंकवाद से मुक्त कर शांति स्थापना की दिशा में बड़े बलिदान दिए हैं। इसका असर धरातल पर साफ नजर आ रहा है। कुछ साल पहले तक जो अलगाववादी दहशत का कैलेंडर निकाला करते थे, जो अपने शब्दों से भारत के लिए खुलकर जहर उगलते थे, वे अब ठंडे पड़ गए हैं। आए दिन पत्थरबाजी कर अशांति फैलाने वाले भी तकरीबन गायब हैं।सुरक्षा बलों का खुफिया नेटवर्क इतना मजबूत हो गया है कि अब जो भी देश के खिलाफ बंदूक उठाता है, अपने अंजाम को पहुंच जाता है। आम कश्मीरी ही सुरक्षा बलों के आंख-कान हैं, जो उन तक आतंकवादियों की खुफिया रिपोर्ट पहुंचा देते हैं, क्योंकि वे समझ गए हैं कि पाकिस्तान के इशारे पर जिस कथित आज़ादी का नारा लगाया गया, उससे सिवाय तबाही के और कुछ नहीं मिलने वाला है। पिछले दिनों कश्मीरी पंडितों और प्रवासी मजदूरों पर जिन आतंकवादियों ने हमले किए, वे भी एक-एक ढेर किए जा रहे हैं। यह कामयाबी स्थानीय लोगों के सहयोग से मिल रही है। जो आतंकवादी अभी सुरक्षा बलों के निशाने पर नहीं आए, उनका खात्मा निकट भविष्य में होना तय है।
निस्संदेह हाल के वर्षों में सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों ने आतंकवाद पर कड़ा शिकंजा कसा है। पहले जो आतंकवादी घुसपैठ कर महानगरों में विध्वंस मचाते थे, अब वे सरहद और एलओसी पर ही खत्म कर दिए जा रहे हैं। जो तत्त्व देश में रहकर उनके इशारों पर काम करते हैं, वे भी पकड़े जा रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की निगरानी में ऐसे संगठनों पर ताबड़तोड़ कार्रवाइयां की गईं, जो देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बन चुके थे।
अपनी हर चाल में शिकस्त पाते देख पाक में बैठे आतंकवादियों के आका अब बड़ी वारदात करना चाहते थे। जम्मू में ट्रक में मारे गए चारों आतंकवादी इसी कड़ी का हिस्सा थे, जिसे सुरक्षा बलों ने तोड़ दिया। इन आतंकवादियों के कब्जे से सात एके-47 राइफल, एक एम4 राइफल, तीन पिस्तौल और 14 ग्रेनेड सहित भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद मिलने से साफ है कि ये भीड़भाड़ वाले इलाके में भारी तबाही मचाने जा रहे थे।
हालांकि ट्रक चालक हालांकि मौके से फरार हो गया। जिस दिन वह पकड़ा जाएगा, कई राज़ और खुलेंगे। उक्त आतंकवादियों का खात्मा इसलिए भी संभव हुआ, क्योंकि जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) के तीन आतंकियों की गिरफ्तारी और नवंबर में नरवाल बाईपास में तेल टैंकर से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद की बरामदगी होने के बाद से सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर थीं। इसका फायदा देश को मिला है।
इस बार आतंकवादी छोटे वाहन के बजाय ट्रक का इस्तेमाल कर रहे थे। उसकी नंबर प्लेट फर्जी थी। इंजन और चेसिस नंबर से भी छेड़छाड़ की गई थी। जाहिर है कि इतने बड़े वाहन पर खर्च भी ज्यादा आया है। इसलिए आतंकवाद को जड़ समेत खत्म करने के लिए जरूरी है कि उसके अर्थतंत्र पर भी चोट की जाए। इसके पीछे एक पूरा इकोसिस्टम होता है, जिसे ध्वस्त करना होगा।
जम्मू-कश्मीर पुलिस की जांच इकाई (एसआईयू) ऐसे स्थानों पर लगातार छापे मार रही है। इससे आतंकवादियों के संसाधनों पर नकेल कसी जा रही है। जो लोग देश के दुश्मनों को धन मुहैया करा रहे हैं, उन पर खूब सख्ती बरतने से ही आतंकवाद की कमर टूटेगी।