हम ऐसे भारत का निर्माण करेंगे, जो सक्षम और समर्थ होगा: मोदी
प्रधानमंत्री ने अंडमान-निकोबार के 21 द्वीपों के नाम 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर किए
जहां नेताजी ने तिरंगा फहराया था, वहां आज गगनचुंबी तिरंगा पराक्रम का गुणगान कर रहा है
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अंडमान और निकोबार के 21 द्वीपों के नाम 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखने के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आज के इस दिन को आजादी के अमृत काल के एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में आने वाली पीढ़ियां याद करेंगी। उनके लिए ये द्वीप एक चिरंतर प्रेरणा का स्थल बनेंगे। मैं सभी को इसके लिए बहुत बहुत बधाई देता हूं।
अंडमान की यह धरती वो भूमि है, जिसके आसमान में पहली बार मुक्त तिरंगा फहरा था। सेल्युलर जेल की कोठरियों से आज भी अप्रतिम पीड़ा के साथ-साथ उस अभूतपूर्व जज़्बे के स्वर सुनाई पड़ते हैं।प्रधानमंत्री ने कहा कि अंडमान में जिस जगह नेताजी ने सबसे पहले तिरंगा फहराया था, वहां आज गगनचुंबी तिरंगा आजाद हिंद फौज के पराक्रम का गुणगान कर रहा है। समंदर किनारे लहराते तिरंगे को देख, यहां आने वाले लोगों में देशभक्ति का रोमांच बढ़ जाता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दशकों से नेताजी के जीवन से जुड़ीं फाइलों को सार्वजानिक करने की मांग हो रही थी। यह काम भी देश ने पूरी श्रद्धा के साथ आगे बढ़ाया। आज हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं के सामने 'कर्तव्य पथ' पर नेताजी की भव्य प्रतिमा हमें हमारे कर्तव्यों की याद दिला रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि ये काम देशहित में बहुत पहले हो जाने थे, क्योंकि जिन देशों ने अपने नायक-नायिकाओं को समय रहते जनमानस से जोड़ा, वो विकास और राष्ट्र निर्माण की दौड़ में बहुत आगे गए। आज आजादी के अमृत काल में भारत यही काम कर रहा है, जी-जान से कर रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जिन 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम से इन द्वीपों को जाना जाएगा, उन्होंने मातृभूमि के कण-कण को अपना सबकुछ माना था, उन्होंने भारत मां की रक्षा के लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वो अलग-अलग राज्यों से थे, लेकिन मां भारती की अटूट भक्ति उन्हें जोड़ती थी, एक बनाती थी। जैसे समुद्र अलग-अलग द्वीपों को जोड़ता है, वैसे ही 'एक भारत - श्रेष्ठ भारत' का भाव भारत मां की हर संतान को एक कर देता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की सेनाएं देश के कण-कण की रक्षा में हमेशा तैयार रहती हैं। हर मौके और हर मोर्चे पर हमारी सेनाओं ने अपने शौर्य को सिद्ध किया है। यह देश का कर्तव्य था कि राष्ट्र रक्षा के अभियानों में स्वयं को समर्पित करने वाले जवानों को व्यापक स्तर पर पहचान दी जाए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश उस कर्तव्य को, उस जिम्मेदारी को पूरा करने का हर संभव प्रयास कर रहा है। आज जवानों और सेना के नाम से देश को पहचान दी जा रही है। अब लोग इतिहास को जानने और उसको जीने के लिए भी यहां आ रहे हैं। अपनी विरासत पर गर्व की भावना इस परंपरा के लिए और अधिक आकर्षण पैदा कर रही है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले लोग समुद्री किनारों और प्राकृतिक सौंदर्य को देखने अंडमान आते थे, लेकिन अब अंडमान से जुड़े स्वाधीनता के इतिहास को जानने के लिए भी उत्सुकता बढ़ रही है।
हमारे पूर्वोत्तर के राज्यों और अंडमान-निकोबार द्वीप जैसे हिस्सों को लेकर हमेशा यह सोच रही कि ये तो दूरदराज के दुर्गम और अप्रासंगिक क्षेत्र हैं। ऐसी सोच के कारण ऐसे क्षेत्रों की दशकों तक उपेक्षा हुई और उनके विकास को नजरअंदाज किया गया। अंडमान-निकोबार द्वीप भी इसका साक्षी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में पहले की सरकारों ने, और खास कर विकृत वैचारिक राजनीति के कारण दशकों से जो हीनभावना और आत्मविश्वास की कमी रही, उसके कारण देश के सामर्थ्य को हमेशा कमतर आंका गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश को प्राकृतिक संतुलन और आधुनिकता के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है। अंडमान-निकोबार में इंटरनेट की सुविधा बढ़ी है और डिजिटल लेन-देन बढ़ने से यहां आने वाले पर्यटकों को लाभ मिल रहा है। मुझे विश्वास है कि हम एक ऐसे भारत का निर्माण करेंगे, जो सक्षम होगा, समर्थ होगा और आधुनिक विकास की बुलंदियों को छूएगा।