कड़वी हक़ीक़त

कई शादीशुदा पाकिस्तानी पुरुष ऐसे हैं, जिन्होंने ब्रिटेन जाकर खुद को कुंआरा बताया

कड़वी हक़ीक़त

इंटरनेट पर अश्लील सामग्री सर्च करने के मामले में पाकिस्तान पहले स्थान पर है

ब्रिटेन की गृह मंत्री स्वेला ब्रेवरमैन द्वारा पाकिस्तानी पुरुषों पर की गई टिप्पणी बहुत लोगों को अतिशयोक्ति और भेदभावपूर्ण लग सकती है, लेकिन उसे सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता। यह एक कड़वी हक़ीक़त है कि ब्रिटेन में अंग्रेज लड़कियों को ड्रग्स की लत लगाकर उनसे दुष्कर्म के कई मामलों में पाकिस्तानी पुरुष लिप्त रहे हैं। उन पर मुकदमे चल रहे हैं, वे सजा पा रहे हैं। 

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निस्संदेह ऐसे अपराधों में ब्रिटेन समेत अन्य देशों के लोग भी पकड़े जाते हैं, लेकिन बात जब गिरोह के रूप में षड्यंत्रपूर्वक नशाखोरी और दुष्कर्म की हो तो उसमें पाकिस्तानियों की लंबी फेहरिस्त है। पाकिस्तानी पुरुषों के बारे में आम धारणा है कि वे ब्रिटेन की नागरिकता पाने और जल्द अमीर बनने के लिए फर्जीवाड़ा करने से नहीं हिचकते। 

कई शादीशुदा पाकिस्तानी पुरुष ऐसे हैं, जिन्होंने ब्रिटेन जाकर खुद को कुंआरा बताया। फिर स्थानीय अंग्रेज लड़की से शादी कर ली। निश्चित अवधि बाद नागरिकता मिल गई तो अपना रास्ता अलग कर लिया। कई पाकिस्तानी पुरुषों के साथ एक और बड़ी समस्या यह है कि वे बहुसांस्कृतिक समाज में खुद को समायोजित नहीं कर पाते। 

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के प्रति घृणा व भेदभाव और अत्यधिक कट्टरता के माहौल में पले-बढ़े लोग जब ब्रिटेन के उदार एवं बहुसांस्कृतिक माहौल में जाते हैं तो उसके साथ तालमेल बैठाने में खुद को असमर्थ पाते हैं। उनका पूरा जोर ज्यादा से ज्यादा सुविधाओं और संसाधनों का उपभोग करने पर होता है। वे ब्रिटिश लड़कियों और महिलाओं के पहनावे पर अशालीन टिप्पणियां करते हैं। वे चाहते हैं कि सबकुछ उनकी मर्जी से होना चाहिए। यहां तक कि महिलाओं का पहनावा भी उन (पाकिस्तानियों) के हिसाब से तय होना चाहिए।

बहुत लोगों को यह जानकर अचंभा हो सकता है कि इंटरनेट पर अश्लील सामग्री सर्च करने के मामले में पाकिस्तान पहले स्थान पर है। एक ऐसा देश, जहां इंटरनेट की सुविधा सुलभ नहीं है, जहां मोबाइल फोन बहुत महंगे हैं, वहां ऐसी सामग्री ढूंढ़ना बताता है कि उसका समाज किस दिशा में जा रहा है। जब उस माहौल से निकला कोई व्यक्ति ब्रिटेन जैसे देश में जाता है तो उसे लगता है कि यहां उच्छृंखल होने की पूरी स्वतंत्रता है। 

एक ओर जहां भारतीय विदेश जाते हैं तो वहां उन्हें लोगों से घुलने-मिलने में खास दिक्कत नहीं होती। चूंकि भारतीय समाज बहुसांस्कृतिक है। यहां हर धर्म के लोग रहते हैं। हमारा देश विभिन्न संस्कृतियों, भाषाओं, बोलियों, परंपराओं, खानपान से परिपूर्ण है। इसलिए अगर कोई भारतीय ब्रिटेन जाता है तो वह विभिन्न समुदायों के बीच (तुलनात्मक रूप से) जल्दी घुल-मिल जाता है। दूसरी ओर पाकिस्तान में इसका घोर अभाव है। वहां भाषा, धर्म, संस्कृति आदि की विविधता नहीं है। 

प्रायः पाकिस्तानियों को अन्य समुदायों के पर्व, पहनावे और परंपराओं के बारे में न के बराबर जानकारी होती है। इसके बाद जब वे ब्रिटेन में विभिन्न समुदायों को देखते हैं तो उन्हें बर्दाश्त नहीं कर पाते। ब्रिटिश महिलाएं, जो अपने पहनावे की स्वतंत्रता को लेकर बहुत मुखर रही हैं, उन्हें कट्टरता की मानसिकता से ग्रस्त पाकिस्तानी पुरुष निशाना बनाने से बाज़ नहीं आते। वे उन्हें घूरते हैं, अभद्र टिप्पणियां करते हैं। उन्हें लगता है कि ‘वे (महिलाएं) ग़लत रास्ते पर हैं, लिहाजा कोई पाकिस्तानी पुरुष अशालीन बात कह दे तो इसमें उस (पुरुष) की कोई ग़लती नहीं है।’ 

इंटरनेट की दुनिया में चीज़ें ज़्यादा दिनों तक छुपी हुई नहीं रह सकतीं। आज हर कोई जानता है कि कई पाकिस्तानियों द्वारा विदेशों में किए गए ‘कारनामों’ के कारण उनके पासपोर्ट की प्रतिष्ठा नहीं है। जब कोई पाकिस्तानी पासपोर्ट लेकर यूरोप या अमेरिका जाता है तो उसे संदेह की दृष्टि से देखा जाता है। अगर हवाईअड्डे के अधिकारियों को थोड़ी-सी भी गड़बड़ लगती है तो उसे अलग ले जाकर सख्ती से पूछताछ करते हैं। उन्हें पर्याप्त सबूत नहीं मिलते तो विभिन्न तरीकों से नज़र रखते हैं। इस तरह ब्रिटेन की खुफिया एजेंसियों ने कई आतंकवादी हमलों को विफल किया और पाक मूल के अपराधियों पर कानून का शिकंजा कसा है। 

ब्रिटेन को समय रहते सतर्क हो जाना चाहिए, अन्यथा ‘अति-उदारता’ उसके लिए भविष्य में बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकती है। उसे उन देशों के लोगों को ही नागरिकता देनी चाहिए, जो उसके सांस्कृतिक मूल्यों का सम्मान करें और विविधतापूर्ण ताने-बाने को कायम रखने के लिए प्रतिबद्ध हों।

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