शिकारीपुरा में चार दशक में पहली बार येडियुरप्पा नहीं हैं मैदान में, बेटे विजयेंद्र का पहला चुनाव

येडियुरप्पा ने इस बार चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया

शिकारीपुरा में चार दशक में पहली बार येडियुरप्पा नहीं हैं मैदान में, बेटे विजयेंद्र का पहला चुनाव

कांग्रेस ने शिकारीपुरा से जी मालातेश को मैदान में उतारा है

शिकारीपुरा/भाषा। शिवमोग्गा जिले की शिकारीपुरा सीट पर चार दशक में पहली बार ऐसा चुनाव हो रहा है, जब पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस येडियुरप्पा मैदान में नहीं हैं।

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येडियुरप्पा ने इस बार चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया और उनके बेटे तथा भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र चुनावी राजनीति में प्रवेश करते हुए 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव में इस सीट से भाजपा के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं।

कांग्रेस ने शिकारीपुरा से जी मालातेश को मैदान में उतारा है, जो पिछले विधानसभा चुनाव (2018) में येडियुरप्पा से 35,000 से अधिक वोट से हारे थे, वहीं कांग्रेस के बागी एसपी नागराज गौड़ा निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ताल ठोक रहे हैं।

क्षेत्र के अनेक कांग्रेस कार्यकर्ता गौड़ा को टिकट मिलने की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

शिकारीपुरा में कुछ लोगों का मानना है कि गौड़ा इस चुनाव में विजयेंद्र को कड़ी टक्कर दे सकते हैं, क्योंकि येडियुरप्पा परिवार से निराश और कांग्रेस से नाराज चल रहे मतदाता बदलाव की आस लगाकर बैठे हैं।

गौड़ा ने सदर लिंगायत समुदाय का समर्थन मिलने की भी उम्मीद जताई जिसकी शिकारीपुरा में अच्छी संख्या है। निर्दलीय प्रत्याशी को बंजारा समुदाय का समर्थन मिलने की भी उम्मीद है, क्योंकि माना जा रहा है कि अनुसूचित जातियों के बीच आंतरिक आरक्षण की घोषणा से इस समुदाय के लोग सत्तारूढ़ भाजपा से नाराज चल रहे हैं।

गौड़ा ने कहा, किसी भी पार्टी का अधिकृत उम्मीदवार नहीं होने के बावजूद मुझे लोगों का बहुत समर्थन और प्यार मिल रहा है। कांग्रेस का टिकट नहीं मिलने से एक तरह से मुझे जनता की सहानुभूति पाने में मदद मिलेगी और मुझे जीत मिलेगी।

उन्होंने कहा कि शिकारीपुरा में 40 साल के भाजपा के प्रतिनिधित्व से लोग तंग आ गए हैं और उनका समर्थन कर रहे हैं।

हालांकि, कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं और भाजपा समर्थकों का मानना है कि गौड़ा के मैदान में रहने से कांग्रेस की संभावनाएं कमजोर होंगी और विजयेंद्र को मदद मिलेगी।

शिकारीपुरा में तो इस तरह की भी चर्चा है कि विजयेंद्र को आसान जीत दिलाने के लिए भाजपा और कांग्रेस के नेताओं के बीच आपसी समझ के तहत मालातेश को एक बार फिर कांग्रेस उम्मीदवार बनाया गया है।

हालांकि, मालातेश ने साल 2018 के चुनाव में येडियुरप्पा जैसे दिग्गज के खिलाफ 51,568 वोट पाने की ओर इशारा करते हुए इस बार अपने पक्ष में सकारात्मक परिणाम की उम्मीद जताई।

उधर येडियुरप्पा और विजयेंद्र को इस सीट पर एक बार फिर भाजपा का परचम फहराने का भरोसा है।

विजयेंद्र ने कहा, पार्टी ने मुझे शिकारीपुरा से चुनाव लड़ने का अवसर दिया है। चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि मेरे पिता और बड़े भाई बीवाई राघवेंद्र (शिवमोग्गा सांसद) ने यहां बहुत विकास कार्य किए हैं। हमारे पास कार्यकर्ताओं की मजबूत टीम है। इन सभी आधार पर मेरी जीत पक्की है।

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