हर संभव कदम उठाएं
ट्रेन यात्रा को सबसे सुरक्षित यात्राओं में से एक माना जाता है
रेल मंत्री ने कहा है कि इस ट्रेन हादसे की असल वजह की पहचान कर ली गई है
ओडिशा के बालासोर जिले में ट्रेन हादसा अत्यंत दु:खद है। इसने पूरे देश को झकझोर दिया है और सबको भारी शोक हुआ है। हाल के वर्षों में उन्नत तकनीक के कारण बड़े ट्रेन हादसों की संख्या में काफी कमी आई थी। भारतीय रेलवे ने टिकट बुकिंग से लेकर पटरियों, विद्युत लाइनों, इंजन, डिब्बों और विभिन्न सुविधाओं में बड़े सुधार किए थे।
ट्रेन यात्रा को सबसे सुरक्षित यात्राओं में से एक माना जाता है। बालासोर ट्रेन हादसे ने जो पीड़ा दी है, उस पर गंभीरता से विचार होना चाहिए और भविष्य में ट्रेन यात्राओं को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिएं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव घटना स्थल पर गए, अस्पताल में घायलों के हालचाल जाने और बचाव व राहत अभियान पर नजर रखी, उससे इस बात की उम्मीद है कि मामले की तह तक जांच होगी, जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी और भविष्य में हादसों को टालने पर काम होगा।रेल मंत्री ने कहा है कि इस ट्रेन हादसे की असल वजह की पहचान कर ली गई है। यह रेलवे सिग्नल के लिए अहम ‘प्वाइंट मशीन’ और ‘इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग’ प्रणाली से संबंधित है। हादसे से प्रभावित हुईं पटरियों की सामान्य सेवाओं के लिए बुधवार तक मरम्मत किए जाने की उम्मीद है। हादसे के बाद ‘कवच’ प्रणाली पर काफी सवाल उठ रहे हैं।
रेलवे इसे अपने नेटवर्क में उपलब्ध कराने की प्रक्रिया में है, ताकि ट्रेनों के आपस में टकराने से होने वाले हादसे न हों। वैष्णव ने स्पष्ट कर दिया है कि कवच प्रणाली का इस दुर्घटना से कोई संबंध नहीं है। यह इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग प्रणाली में बदलाव की वजह से हुआ था।
प्वाइंट मशीन की सेटिंग में बदलाव किया गया था। यह कैसे और क्यों किया गया, इसका खुलासा जांच रिपोर्ट में होगा। चूंकि हादसे की जांच पूरी कर ली गई है। अब रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) अपनी रिपोर्ट देंगे। उसके बाद ही पूरी जानकारी सामने आएगी।
इस हादसे के बाद केंद्र और राज्य सरकार ने जिस तरह घायलों की मदद में तेजी दिखाई, वह उल्लेखनीय है। स्थानीय लोग भी राहत और बचाव अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे थे। कई लोग स्वेच्छा से रक्तदान के लिए आगे आए। इस दौरान विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोग भी मदद कर रहे थे। यह सेवाभाव प्रशंसनीय है।
ऐसी मुश्किल घड़ियों में ही हमारी परख होती है। किसी एक की पीड़ा का अहसास सबको हो, कोई एक मुसीबत में हो तो मदद का हाथ बढ़ाने वाले अनेक हों ... यही हमारी संस्कृति है। इस हादसे में जिन लोगों ने जान गंवाई है, उनकी भरपाई कभी नहीं हो सकती। सरकार ने मुआवजे की घोषणा कर उनके परिवारों को राहत देने की कोशिश जरूर की है।
इसी तरह, घायलों को अच्छी चिकित्सा सहायता दी जा रही है। उन्हें भी सहायता राशि दी जाएगी। इस समय जरूरत इस बात की है कि पूरा देश उन पीड़ितों के साथ खड़ा हो, जिन्हें यह हादसा गहरे घाव देकर चला गया। राजनेताओं को भी चाहिए कि वे अभी आरोप-प्रत्यारोप से परहेज करें। जब घर में कोई संकट आता है तो परिवार के सदस्यों का कर्तव्य होता है कि वे एक-दूसरे को हिम्मत दें, एकजुट होकर काम करें।
अगर वे एक-दूसरे की खिंचाई और दोषारोपण में लग जाएंगे तो पड़ोस में उनके खिलाफ बातें बनेंगी, कार्यक्षमता पर सवाल खड़े किए जाएंगे। वह परिवार एक बार जब उस स्थिति से निपट ले, तब उचित समय पर चर्चा करे कि कहां ग़लती हुई, उसे कैसे टाला जा सकता था, बेहतर उपाय और क्या हो सकते थे, भविष्य के लिए क्या तैयारी होनी चाहिए।
आलोचना मात्र इसलिए नहीं होनी चाहिए कि हर कीमत पर विरोध ही करना है, बल्कि वह रचनात्मक होनी चाहिए। उम्मीद है कि बालासोर ट्रेन हादसे के हर पहलू का विश्लेषण किया जाएगा और भविष्य में ट्रेन यात्रा को अधिक सुरक्षित बनाने के लिए हर संभव कदम उठाया जाएगा।