आदित्य एल1 का तमिलनाडु के तेन्काशी से है गहरा संबंध
आदित्य एल1 सूर्य पर होने वाली विभिन्न घटनाओं का अध्ययन करेगा
यह यान 125 दिन में लैग्रेंजियन बिंदु ‘एल1’ के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित होगा
श्रीहरिकोटा/भाषा। इसरो के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से शनिवार को सूर्य के अध्ययन के लिए रवाना हुआ 'आदित्य एल1' इस परियोजना की निदेशक तेन्काशी निवासी निगार साजी के नेतृत्व में कई लोगों के कड़े परिश्रम का नतीजा है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सूत्रों ने बताया कि इसरो में गत 35 साल से सेवाएं दे रहीं शाजी ने भारतीय रिमोट सेंसिंग, संचार और अंतर ग्रहीय उपग्रह कार्यक्रम में विभिन्न जिम्मेदारियों का शानदार तरीके से निवर्हन किया है।शाजी मूल रूप से तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से 55 किलोमीटर दूर स्थित तेन्काशी की रहने वाली हैं और वह मयिलसामी अन्नादुराई, एम वनिता और पी वीरुमुथुवेल जैसे शानदान वैज्ञानिकों की कतार में शामिल हैं, जो तमिलनाडु से आते हैं और जिन्होंने भारत के तीन चंद्रयान मिशनों में उल्लेखनीय योगदान दिया है।
शाजी 1987 में इसरो के उपग्रह केंद्र से जुड़ी थीं। वक रिसोर्ससैट-2ए की एसोसिएट प्रोजेक्ट डायरेक्टर भी थीं, जो राष्ट्रीय संसाधन निगरानी और प्रबंधन के लिए भारतीय रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट है। उन्होंने इमेज कम्प्रेशन, सिस्टम इंजीनियरिंग समेत अन्य विषयों पर कई अनुसंधान पत्र लिखे हैं।
उन्होंने मदुरै स्थित कामराज विश्वविद्यालय से इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार में बीई (बैचलर इन इंजीनियरिंग) की डिग्री हासिल की और बीआईटी, रांची से इलेक्ट्रॉनिक्स में स्नातकोत्तर किया। वह बेंगलूरु में इसरो के सैटेलाइट टेलीमेट्री सेंटर की प्रमुख भी रह चुकी हैं।
इसरो के अनुसार, आदित्य-एल1 मिशन का मुख्य पेलोड (उपकरण) ‘विजिबल लाइन एमिशन कोरोनाग्राफ’ (वीईएलसी) है, जिसे भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान, बेंगलूरु द्वारा विकसित किया गया है।
26 जनवरी, 2023 को आयोजित एक समारोह में, पेलोड को इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ और शाजी की उपस्थिति में यूआर राव सैटेलाइट सेंटर को सौंपा गया था।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कुछ दिन पहले चंद्रमा पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने के बाद एक बार फिर इतिहास रचने के उद्देश्य से शनिवार को देश के पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य एल1’ का यहां स्थित अंतरिक्ष केंद्र से सफल प्रक्षेपण किया। इसरो ने बताया कि आदित्य-एल1 यान पीएसएलवी रॉकेट से सफलतापूर्वक अलग हो गया है। भारत का यह मिशन सूर्य से संबंधित रहस्यों से पर्दा हटाने में मदद करेगा।
इसरो के अनुसार, ‘आदित्य-एल1’ सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है। यह अंतरिक्ष यान 125 दिन में पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर लंबी यात्रा करने के बाद लैग्रेंजियन बिंदु ‘एल1’ के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित होगा, जिसे सूर्य के सबसे करीब माना जाता है। यह वहीं से सूर्य पर होने वाली विभिन्न घटनाओं का अध्ययन करेगा।