दर्शन हीरानंदानी के आरोपों के बाद महुआ मोइत्रा ने दागे कई सवाल
तृणकां सांसद मोइत्रा पर 'सवाल के बदले धन' के आरोप लगे हैं
'प्रधानमंत्री मोदी अपनी बेदाग प्रतिष्ठा के कारण किसी को भी नीति, शासन या व्यक्तिगत आचरण को लेकर हमला करने मौका नहीं दे रहे थे'
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। तृणमूल कांग्रेस (तृणकां) सांसद महुआ मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछे जाने को लेकर एक व्यवसायी से धन लेने के आरोप के मामले में सोशल मीडिया पर खासा घमासान मचा हुआ है। महुआ ने भी एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर सवालों के साथ अपनी 'सफाई' पेश की है।
बता दें कि रियल एस्टेट समेत कई क्षेत्रों में कार्यरत हीरानंदानी समूह के सीईओ दर्शन हीरानंदानी ने आरोप लगाया था कि तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'बदनाम' करने के लिए उद्योगपति गौतम अडाणी पर निशाना साधा था। दर्शन के मुताबिक, प्रधानमंत्री की प्रतिष्ठा के कारण विपक्ष के अन्य दलों को ऐसा करने का मौका नहीं मिल रहा था।महुआ पर यह भी आरोप लगाया गया है कि संसद में अडाणी समूह के बारे में सवाल उठाए जाने के बदले उन्हें कई चीजें दी गई थीं।
यही नहीं, दर्शन ने अपने हलफनामे में कहा कि उन्होंने मोइत्रा के संसदीय लॉगिन का इस्तेमाल भी किया था। दरअसल इसके लिए यह कहा गया है कि इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन द्वारा हीरानंदानी समूह की कंपनी के एलएनजी टर्मिनल की जगह ओडिशा स्थित धामरा एलएनजी (जिसका संचालन अडाणी समूह करता है) को चुन लिया गया था। ऐसे में अडाणी को निशाना बनाने के लिए सवाल पूछे जाने के संबंध में संसदीय लॉगिन का इस्तेमाल हुआ।
दर्शन ने आरोप लगाया कि इन सबके बदले महुआ ने कई चीजें लीं। इनमें विलासिता की कीमती चीजें, बंगले के नवीनीकरण में मदद, यात्रा का खर्च और देश-विदेश में घूमने के लिए 'मदद' शामिल हैं।
ऐसे शुरू हुआ विवाद
मामले पर विवाद तब शुरू हुआ, जब भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और वकील जय अनंत देहाद्रई (जो मोइत्रा से अलग हुए साथी हैं) ने आरोप लगाया कि तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने संसद में सवाल उठाने के बदले दर्शन हीरानंदानी से 'मदद' ली थी। इसके बाद महुआ ने आरोपों का खंडन करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया और मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया।
उधर, निशिकांत दुबे की शिकायत को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद की आचार समिति के पास भेज दिया था।
दर्शन हीरानंदानी का कहना है कि वे साल 2017 में महुआ से मिले थे, मौका था ‘बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट’। तब महुआ विधायक थीं। आरोपों के अनुसार, उसके बाद वे ‘करीबी निजी दोस्त’ बन गईं और उनके माध्यम से दर्शन को उन राज्यों में कारोबार का मौका मिलने की उम्मीद थी, जहां विपक्षी दलों की सरकारें हैं।
मोदी पर हमले से प्रसिद्धि की चाह
दर्शन ने साल 2019 के लोकसभा चुनावों में प. बंगाल की कृष्णानगर सीट से महुआ की उम्मीदवारी का उल्लेख करते हुए उन्हें जीत के लिए 'बहुत महत्वाकांक्षी' बताया। साथ ही यह कहा कि वे राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम कमाना चाहती थीं। आरोपों के अनुसार, महुआ को उनके दोस्तों और सलाहकारों ने सलाह दी कि सबसे छोटा रास्ता अपनाएं और प्रधानमंत्री मोदी पर व्यक्तिगत हमला करके प्रसिद्धि पाएं।
दर्शन कहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी अपनी बेदाग प्रतिष्ठा होने के कारण किसी को भी नीति, शासन या व्यक्तिगत आचरण को लेकर हमला करने मौका नहीं दे रहे थे। इस सूरत में महुआ ने सोचा कि मोदी पर हमला करने का एकमात्र तरीका यह है कि गौतम अडाणी और उनके समूह पर हमला किया जाए। चूंकि दोनों समकालीन हैं और गुजरात से आते हैं।
दर्शन के आरोपों के अनुसार, व्यापार, राजनीति और मीडिया के कुछ वर्गों में लोग अडाणी से ईर्ष्या करते हैं, जिसके फलस्वरूप उनकी आलोचना की जाती है। महुआ को उम्मीद थी कि अगर वे अडाणी को निशाने पर लेकर हमला बोलेंगी तो प्रधानमंत्री को बदनाम व शर्मिंदा करने के लिए इन वर्गों से मदद मिलेगी।
सवालों का मसौदा तैयार किया!
उस दौरान दर्शन को मालूम हुआ कि आईओसी ने धामरा एलएनजी को चुन लिया है तो इसके आधार पर महुआ ने कुछ सवालों का मसौदा तैयार किया। दर्शन आरोप लगाते हैं कि महुआ ने बतौर सांसद अपनी ई-मेल आईडी भी उनके साथ साझा कर दी, ताकि वे उन्हें जानकारी भेजें और वे (महुआ) बाद में संसद में सवाल उठाएं। यह प्रस्ताव उन्होंने स्वीकार कर लिया।
दर्शन के दावे के मुताबिक, सवालों के पहले सेट को जो प्रतिक्रिया मिली, उससे महुआ खुश थीं। इसके बाद उन्होंने 'अनुरोध' किया कि वे (दर्शन) अडाणी समूह पर हमले करने में अपना सहयोग बनाए रखें। इसके लिए अपना संसद लॉगिन और पासवर्ड दे दिया, ताकि वे सीधे ही उनकी ओर से प्रश्न पोस्ट कर सकें।
क्या बोलीं महुआ?
इन आरोपों का खंडन करते हुए महुआ मोइत्रा ने शुक्रवार को एक्स पर पोस्ट किया, 'मैं सीबीआई और आचार समिति (जिसमें भाजपा सदस्यों का पूर्ण बहुमत है) को सवालों के जवाब देने का स्वागत करती हूं, अगर वे मुझे बुलाएं। मेरे पास अडाणी द्वारा निर्देशित मीडिया सर्कस ट्रायल चलाने या भाजपा ट्रोल्स को जवाब देने के लिए न तो समय है और न ही रुचि। मैं नादिया में दुर्गा पूजा का आनंद ले रही हूं। शुभो षष्ठी।'
हलफनामा किसे दिया?
इससे पहले, महुआ ने पूरे प्रकरण के संबंध में कई सवाल दागे। उन्होंने पूछा कि दर्शन हीरानंदानी को अभी तक सीबीआई या आचार समिति या किसी भी जांच एजेंसी ने तलब नहीं किया है। फिर उन्होंने यह हलफनामा किसे दिया? हलफनामा व्हाइट पेपर पर है, न कि आधिकारिक लेटरहेड या नोटरीकृत पर। भारत का सबसे सम्मानित / शिक्षित व्यवसायी व्हाइट पेपर पर इस तरह हस्ताक्षर क्यों करेगा, जब तक कि ऐसा करने के लिए उसके सिर पर बंदूक नहीं रखी गई हो?
उन्होंने कहा कि पत्र की सामग्री एक मजाक है। यह स्पष्ट रूप से पीएमओ में कुछ आधे-अधूरे लोगों द्वारा तैयार किया गया है, जो भाजपा के आईटी सेल में एक रचनात्मक लेखक के रूप में काम करते हैं। यह (पत्र) मोदी और गौतम अडाणी के लिए गीत गाता है, जबकि उनके हर प्रतिद्वंद्वी को मुझसे और मेरे कथित भ्रष्टाचार से जोड़ता है।
महुआ ने आरोप लगाया कि शार्दूल श्रॉफ सिरिल श्रॉफ के भाई हैं, जिनका व्यवसाय से कड़वाहट के साथ अलगाव हो गया है। सिरिल श्रॉफ गौतम अडाणी के ''समधी'' हैं और हितों के टकराव के मामले में सेबी की समिति में थे। राहुल गांधी और शशि थरूर दोनों ऐसे लोग हैं, जिन्हें सरकार लगातार निशाना बनाती रहती है। सुचेता दलाल एक खोजी पत्रकार हैं, जो हमेशा सरकार की पोल खोलती रहती हैं। स्पष्ट रूप से किसी ने कहा, 'सब का नाम घुसा दो, ऐसा मौका फिर नहीं आएगा।'
'पहली बार की विपक्षी सांसद'
महुआ ने कहा कि दर्शन और उनके पिता भारत के सबसे बड़े कारोबारी समूह के संचालक हैं। उप्र और गुजरात में उनकी हालिया परियोजनाओं का उद्घाटन मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री द्वारा किया गया। दर्शन हाल ही में प्रधानमंत्री के साथ व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल के हिस्से के रूप में विदेश गए थे। महुआ ने सवाल उठाया कि ऐसे धनी, सफल कारोबारी, जिनकी हर मंत्री और पीएमओ तक सीधी पहुंच है, उन्हें पहली बार की विपक्षी सांसद द्वारा उपहार देने और उसकी मांगों को मानने के लिए क्यों मजबूर किया जाएगा? उन्होंने इस दावे को अतार्किक बताते हुए कहा कि इससे सच्चाई पुख्ता होती है कि पत्र का मसौदा दर्शन ने नहीं, बल्कि पीएमओ ने तैयार किया था।
अब पलटवार करना चाहते हैं?
महुआ ने इस पर बात पर सवालिया निशान लगाया कि दर्शन ने कोई प्रेसवार्ता नहीं की, आरोपों को खुद पढ़ा या ट्वीट नहीं किया और उनकी कंपनी ने इसे सामने नहीं रखा। महुआ ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार अडाणी मुद्दे पर किसी तरह उनका मुंह बंद कराने की बेसब्री से कोशिश कर रही है। उन्होंने देहाद्रई को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उनसे पुराने कड़वे संबंध रहे हैं, जो अब पलटवार करना चाहते हैं। उन्होंने पूछा, अगर वे वास्तव में मेरे सारे भ्रष्टाचार के गवाह थे तो उस दौरान साथ क्यों थे और सार्वजनिक करने के लिए इंतजार क्यों किया? उन्होंने निशिकांत दुबे को पत्र भेजे जाने पर कहा कि किसी भी जांच से पहले असत्यापित पत्र को एक समाचार एजेंसी को क्यों लीक किया गया?
महुआ ने पीएमओ द्वारा दर्शन और उनके पिता को कारोबार को नुकसान पहुंचाने की 'धमकी' का आरोप लगाया और कहा कि पत्र का मसौदा पीएमओ ने भेजा तथा इस पर हस्ताक्षर करने के लिए दबाव बनाया गया। महुआ ने कहा कि उन्हें बदनाम करने और करीबी लोगों को अलग-थलग करने, डराने की कोशिश की जा रही है।