फिर वही ग़लती?

जनरल आसिम मुनीर ने इमरान समेत समूची पीटीआई को सबक सिखाने का मन बना लिया है

फिर वही ग़लती?

'लोकतंत्र को बचाने' के लिए इमरान ख़ान का रिकॉर्ड कोई पाक-साफ नहीं है

दुनिया में कई देश अतीत की ग़लती दोहरा देते हैं। पाकिस्तान ऐसा विचित्र देश है, जो अपनी ग़लती को बार-बार दोहराता है। इसकी सरकार ने अपने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की पार्टी पीटीआई को दबाने की अपनी सबसे नई कोशिश में प्रतिबंध लगाने संबंधी जो घोषणा की है, वह इस पड़ोसी देश के विभाजन की पटकथा लिख सकती है। पीटीआई संस्थापक इमरान खान, पूर्व राष्ट्रपति डॉ. आरिफ अल्वी और नेशनल असेंबली (एनए) के पूर्व उपाध्यक्ष कासिम सूरी के खिलाफ अनुच्छेद 6 के तहत कार्रवाई करने के फैसले से पाकिस्तान में एक बड़े तबके में आक्रोश फैलेगा। यह कोई राज़ की बात नहीं है कि उक्त फैसले की योजना रावलपिंडी में बनाई गई। सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने इमरान समेत समूची पीटीआई को सबक सिखाने का मन बना लिया है। वे वही ग़लती करने जा रहे हैं, जो कभी जनरल याह्या खान ने की थी। उन्होंने शेख मुजीबुर्रहमान को जेल में डालकर अवामी लीग को खत्म करने के लिए ऐसे ही कदम उठाए थे। उन पाबंदियों ने शेख मुजीबुर्रहमान का सियासी कद और बढ़ा दिया था। उनकी पार्टी खत्म होने के बजाय ज्यादा लोकप्रिय हो गई थी, क्योंकि उसे जनता से खूब सहानुभूति मिली थी। इन सबके नतीजे में लोगों का आक्रोश बुरी तरह फूटा और पाकिस्तान का विभाजन हो गया था। आज आज़ाद बांग्लादेश रावलपिंडी के शिकंजे से मुक्त होकर सांस ले रहा है। पाक सरकार का यह कदम इमरान को भी भरपूर सहानुभूति दिलाएगा। इससे उनके समर्थक जहां और एकजुट होंगे, वहीं अन्य लोगों को भी इमरान में ऐसा मसीहा नजर आएगा, जो 'लोकतंत्र को बचाने' के लिए लड़ रहा है।

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हालांकि 'लोकतंत्र को बचाने' के लिए इमरान ख़ान का रिकॉर्ड कोई पाक-साफ नहीं है। वे खुद सेना के आशीर्वाद से राजनीति में आए थे। उन्हें नवाज शरीफ को 'नियंत्रित' करने के लिए सेना की ओर से आगे बढ़ाया गया था। उन्होंने लोकतंत्र के सिद्धांतों को कई बार ताक पर रखकर तानाशाहों जैसा व्यवहार किया था। इमरान जब तक प्रधानमंत्री रहे, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और शासन में कोई कमाल नहीं दिखा सके थे। 'तब्दीली' लाने के पीटीआई के वादे 'खोदा पहाड़, निकली चुहिया' ही साबित हुए थे। लोकप्रियता रसातल में जा चुकी थी। इसे इमरान का दुर्भाग्य या सौभाग्य, जो भी कहें, सरकार गिरने और उनके जेल जाने से लोकप्रियता जरूर बढ़ गई है। पाक सरकार का यह कदम पीटीआई को नेशनल असेंबली में सबसे बड़ी पार्टी बनने से रोकने की कोशिश भी है। यह घोषणा आरक्षित सीटों के मामले में शीर्ष अदालत द्वारा पार्टी को राहत दिए जाने के साथ-साथ इद्दत मामले में इमरान को राहत मिलने के तुरंत बाद की गई। यानी भविष्य में और राहत मिले, उससे पहले ही 'पर कतरने' की तैयारी है! इस्लामाबाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सूचना मंत्री अत्ता तरार का यह कहना कि 'अगर देश को आगे बढ़ना है तो वह पीटीआई के रहते ऐसा नहीं कर सकता', अत्यंत हास्यास्पद है। तरार यह क्यों भूल रहे हैं कि पाकिस्तान के लिए तो पीएमएल-एन, पीपीपी और अन्य पार्टियों के रहते भी 'आगे बढ़ने' की कोई संभावना नहीं है? जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देता रहेगा, सेना की तानाशाही चलती रहेगी, उसके आगे बढ़ने की संभावना शून्य ही है। हां, पाकिस्तान के भ्रष्ट सैन्य अधिकारी, उनके चहेते जरूर आगे बढ़ेंगे। वे यूएई, ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा में आलीशान बंगले खरीदते रहेंगे। पिसेगी आम जनता, जिसके लिए अभी तो कोई राहत नहीं है।

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