'ओलंपिक, अहोम साम्राज्य, प्रोजेक्ट परी, हर घर तिरंगा' ... 'मन की बात' में यह बोले मोदी
प्रधानमंत्री ने कहा कि 'हर घर तिरंगा अभियान' के लिए सबका जोश हाई रहता है
Photo: narendramodi FB page
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को 'मन की बात' कार्यक्रम में कई महत्त्वपूर्ण विषयों पर देशवासियों के समक्ष अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि इस समय पूरी दुनिया में पेरिस ओलंपिक छाया हुआ है। ओलंपिक हमारे खिलाड़ियों को विश्व पटल पर तिरंगा लहराने का मौका देता है, देश के लिए कुछ कर गुजरने का मौका देता है। आप भी अपने खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाइए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ दिन पहले मैथ्स की दुनिया में भी एक ओलंपिक हुआ है- अंतरराष्ट्रीय गणित ओलंपियाड। इस ओलंपियाड में भारत के छात्रों ने बहुत शानदार प्रदर्शन किया है। इसमें हमारी टीम ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए चार स्वर्ण पदक और एक रजत पदक जीता है।प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय गणित ओलंपियाड में 100 से ज्यादा देशों के युवा हिस्सा लेते हैं और कुल मिलाकर संख्या में हमारी टीम शीर्ष पांच में आने में सफल रही है। देश का नाम रोशन करने वाले इन छात्रों के नाम हैं- पुणे के रहने वाले आदित्य वेंकट गणेश, पुणे के ही सिद्धार्थ चोपड़ा, दिल्ली के अर्जुन गुप्ता, ग्रेटर नोएडा के कनव तलवार, मुंबई के रुशील माथुर और गुवाहाटी के आनंदो भादुरी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 13वीं शताब्दी से शुरू होकर अहोम साम्राज्य 19वीं शताब्दी की शुरुआत तक चला। इतने लंबे कालखंड तक एक साम्राज्य का बने रहना बहुत बड़ी बात है। शायद अहोम साम्राज्य के सिद्धांत और विश्वास इतने मजबूत थे कि उसने इस राजवंश को इतने समय तक कायम रखा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मैदाम, टीलेनुमा एक ढांचा होता है, जो ऊपर मिट्टी से ढका होता है और नीचे एक या उससे ज्यादा कमरे होते हैं। ये मैदाम, अहोम साम्राज्य के दिवंगत राजाओं और गणमान्य लोगों के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान प्रकट करने का यह तरीका बहुत अद्वितीय है। इस जगह पर सामुदायिक पूजा भी होती थी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि असम के चराईदेउ मैदाम को यूनेस्को वैश्विक धरोहर स्थल में शामिल किया जा रहा है। इस लिस्ट में यह भारत की 43वीं, लेकिन उत्तर-पूर्व की पहली साइट होगी। चराईदेउ अहोम राजवंश की पहली राजधानी थी। अहोम राजवंश के लोग अपने पूर्वजों के शव और उनकी कीमती चीजों को पारंपरिक रूप से मैदाम में रखते थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी वर्ष 9 मार्च को मुझे अदम्य साहस और शौर्य के प्रतीक महान अहोम योद्धा लसित बोरफुकन की सबसे ऊंची प्रतिमा के अनावरण का सौभाग्य मिला था। इस कार्यक्रम के दौरान अहोम समुदाय आध्यात्मिक परंपरा का पालन करते हुए मुझे अलग ही अनुभव हुआ था। लसित मैदाम में अहोम समुदाय के पूर्वजों को सम्मान देने का सौभाग्य मिलना मेरे लिए बहुत बड़ी बात है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रोजेक्ट परी, पब्लिक आर्ट को लोकप्रिय बनाने के लिए उभरते कलाकारों को एक मंच पर लाने का बड़ा माध्यम बन रहा है। आप देखते होंगे, सड़कों के किनारे, दीवारों पर, अंडरपास में बहुत ही सुंदर पेंटिंग्स बनी हुई दिखती हैं। ये पेंटिंग्स और ये कलाकृतियां यही कलाकार बनाते हैं जो परी से जुड़े हैं। इससे जहां हमारे सार्वजनिक स्थानों की सुंदरता बढ़ती है। वहीं, हमारी संस्कृति को और ज्यादा लोकप्रिय बनाने में भी मदद मिलती है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन्होंने 'उन्नति स्वयं सहायता समूह' से जुड़कर ब्लॉक प्रिंटिंग और रंगाई में ट्रेनिंग हासिल की। कपड़ों पर रंगों का जादू बिखेरने वाली ये महिलाएं आज लाखों रुपए कमा रही हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 'मन की बात' में अब बात 'रंगों की'... ऐसे रंगों की जिन्होंने हरियाणा के रोहतक जिले की ढ़ाई-सौ से ज्यादा महिलाओं के जीवन में समृद्धि के रंग भर दिए हैं। हथकरघा उद्योग से जुड़ीं ये महिलाएं पहले छोटी-छोटी दुकानें और छोटे-मोटे काम कर गुजारा करती थीं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 7 अगस्त को हम 'राष्ट्रीय हथकरघा दिवस' मनाएंगे। आजकल जिस तरह हथकरघा उत्पादों ने लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई है, वह वाकई बहुत सफल है, जबरदस्त है। अब तो कई निजी कंपनियां भी एआई के माध्यम से हथकरघा उत्पाद और सस्टेनेबल फैशन को बढ़ावा दे रही हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि खादी ग्रामोद्योग का कारोबार पहली बार 1.5 लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच गया है और खादी की बिक्री 400 प्रतिशत बढ़ी है। खादी की, हथकरघा की, यह बढ़ती हुई बिक्री बड़ी संख्या में रोजगार के नए अवसर भी बना रही है। इस उद्योग से सबसे ज्यादा महिलाएं जुड़ी हैं, तो सबसे ज्यादा फायदा भी उन्हीं को हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आपने अब तक खादी के वस्त्र नहीं खरीदे, तो इस साल से शुरू कर लें। अगस्त का महीना आ ही गया है। यह आजादी मिलने का महीना है, क्रांति का महीना है। इससे बढ़िया अवसर और क्या होगा, खादी खरीदने के लिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने एक विशेष केंद्र खोला है, जिसका नाम है - 'मानस'। ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई में ये बहुत बड़ा कदम है। कुछ दिन पहले ही 'मानस' की हेल्पलाइन और पोर्टल को लॉन्च किया गया है। सरकार ने एक टोलफ्री नंबर'1933' जारी किया है। इस पर कॉल करके कोई भी जरूरी सलाह ले सकता है या फिर पुनर्वास से जुड़ी जानकारी ले सकता है।
अगर किसी के पास ड्रग्स से जुड़ी कोई दूसरी जानकारी भी है, तो वो इसी नंबर पर कॉल करके 'नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो' के साथ साझा भी कर सकते हैं। 'मानस' के साथ साझा की गई हर जानकारी गोपनीय रखी जाती है। भारत को 'ड्रग्स मुक्त' बनाने में जुटे सभी लोगों से, सभी परिवारों से, सभी संस्थाओं से मेरा आग्रह है कि मानस हेल्पलाइन का भरपूर उपयोग करें।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में तो 'बाघ' हमारी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है। हम सब बाघों से जुड़े किस्से-कहानियां सुनते हुए ही बड़े हुए हैं। जंगल के आस-पास के गांव में तो हर किसी को पता होता है कि बाघ के साथ तालमेल बिठाकर कैसे रहना है। हमारे देश में ऐसे कई गांव हैं, जहां इंसान और बाघ के बीच कभी टकराव की स्थिति नहीं आती, लेकिन जहां ऐसी स्थिति आती है, वहां भी बाघों के संरक्षण के लिए अभूतपूर्व प्रयास हो रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जन-भागीदारी का ऐसा ही एक प्रयास है कुल्हाड़ी बंद पंचायत। राजस्थान के रणथंभौर से शुरू हुआ कुल्हाड़ी बंद पंचायत अभियान बहुत दिलचस्प है। स्थानीय समुदायों ने स्वयं इस बात की शपथ ली है कि जंगल में कुल्हाड़ी के साथ नहीं जाएंगे और पेड़ नहीं काटेंगे। इस एक फैसले से यहां के जंगल, एक बार फिर से हरे-भरे हो रहे हैं, और बाघों के लिए बेहतर वातावरण तैयार हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 'मन की बात' कार्यक्रम में आपसे 'एक पेड़ मां के नाम' कार्यक्रम की चर्चा की थी। मुझे खुशी है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में बड़ी संख्या में लोग इस अभियान से जुड़ रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले स्वच्छता के लिए प्रसिद्ध इंदौर में एक शानदार कार्यक्रम हुआ। यहां 'एक पेड़ मां के नाम' कार्यक्रम के दौरान एक ही दिन में 2 लाख से ज्यादा पौधे लगाए गए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से तो पूरे देश में 'हर घर तिरंगा अभियान' के लिए सबका जोश हाई रहता है। गरीब हो, अमीर हो, छोटा घर हो, बड़ा घर हो, हर कोई तिरंगा लहराकर गर्व का अनुभव करता है। तिरंगे के साथ सेल्फी लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करने का क्रेज भी दिखता है।