खास बिंदुओं की ओर ध्यान
प्रधानमंत्री ने खादी को बढ़ावा देने की अपील की, जो सराहनीय है
आज कुछ शिक्षक गणित, विज्ञान, अंग्रेज़ी और अन्य विषयों को रोचकता का समावेश करते हुए पढ़ा रहे हैं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' की 112वीं कड़ी में कई खास बिंदुओं की ओर देशवासियों का ध्यान दिलाया है। इस समय हमारे देश के कई खिलाड़ी पेरिस ओलंपिक में मेडल जीतने के लिए जी-तोड़ कोशिश कर रहे हैं, वहीं अंतरराष्ट्रीय गणित ओलंपियाड में भारतीय छात्रों ने शानदार प्रदर्शन किया है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान जिन छात्रों से बातचीत की, उससे एक तथ्य यह भी उभरकर सामने आता है कि अगर किसी विषय को रोचक ढंग से पढ़ाया जाए तो विद्यार्थी न केवल उसमें जल्द महारत हासिल करते हैं, बल्कि परीक्षाओं में प्रदर्शन भी बहुत अच्छा करते हैं। गणित, जिसे आमतौर पर थोड़ा कठिन विषय माना जाता है, जब उसे शिक्षकों ने रोचकता का समावेश करते हुए पढ़ाया तो ये विद्यार्थी अंतरराष्ट्रीय गणित ओलंपियाड तक पहुंच गए और वहां अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। अब समय आ गया है कि स्कूली पाठ्यक्रम की किताबों में रोचकता के समावेश पर भी जोर दिया जाए। प्राय: कई बच्चे शिकायत करते हैं कि उन्हें स्कूली किताबें पढ़ते हुए ऊब महसूस होने लगती है ... एक-दो विषय तो ऐसे हैं, जिनकी किताबें लेकर पढ़ने बैठो तो ज्यादा समय तक पढ़ाई का मन नहीं करता। इसमें कोई संदेह नहीं कि स्कूली पाठ्यक्रम की किताबें उच्च कोटि के विद्वानों द्वारा लिखी जाती हैं, लेकिन इसके साथ यह जरूरी है कि उनकी परख बच्चों के नजरिए से भी की जाए। कुछ बच्चे कहते हैं कि उन्हें स्कूली किताबें पढ़कर ऐसा लगता है कि ये उनके लिए नहीं, बल्कि विद्वान लेखकों ने अपने लिए ही लिखी हैं! यह सुखद है कि आज कुछ शिक्षक गणित, विज्ञान, अंग्रेज़ी और अन्य विषयों को रोचकता का समावेश करते हुए पढ़ा रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनके वीडियो खूब पसंद किए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में खादी को बढ़ावा देने की अपील की, जो सराहनीय है। खादी ग्रामोद्योग का कारोबार पहली बार डेढ़ लाख करोड़ रुपए के पार पहुंच गया है। खादी की बिक्री 400 प्रतिशत बढ़ गई है। प्रधानमंत्री जिस तरह खादी को बढ़ावा दे रहे हैं, उससे यह आंकड़ा नए कीर्तिमान को स्पर्श कर सकता है। खादी का हमारी आज़ादी की लड़ाई से बहुत गहरा संबंध रहा है। महात्मा गांधी ने इसे राष्ट्रीय एकता और स्वदेशी का प्रतीक बना दिया था। हालांकि आज़ादी के बाद भारत में विदेशी ब्रांड छा गए और खादी उपेक्षित होती रही। जिस बाज़ार से हर साल अरबों रुपए विदेशी कंपनियां कमा सकती हैं, वहां खादी इतनी पीछे क्यों रही, जबकि इसका तो बहुत गौरवशाली इतिहास रहा है? बात सिर्फ खादी की नहीं है। अस्सी के दशक तक ऐसे कई नाम थे, जिनकी बाज़ार में अच्छी पैठ थी, लेकिन नब्बे का दशक आते-आते वे कहीं गायब हो गए। अगर सरकारों ने समय रहते उनकी गुणवत्ता में सुधार किया होता, बाज़ार की मांग के अनुरूप कदम उठाए होते, तो वे उत्पाद भी आज शिखर पर होते। प्रधानमंत्री ने ड्रग्स की चुनौती की चर्चा कर एक ज्वलंत मुद्दा उठाया है। आज शहरों से लेकर गांवों तक कई लोग इस नशे की चपेट में आ चुके हैं। खासकर युवाओं में इसका बढ़ता चलन बहुत घातक हो सकता है। सरकार टोल फ्री नंबर के जरिए ड्रग्स से लड़ने में मदद कर रही है, लेकिन इसके साथ-साथ नशे के नेटवर्क पर भरपूर प्रहार करना जरूरी है। प्रधानमंत्री ने सत्य कहा कि अपनी संस्कृति पर गौरव करते हुए ही कोई देश आगे बढ़ सकता है। ऐसे प्रयासों को बढ़ावा देने में 'प्रोजेक्ट परी' महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। सड़कों के किनारे, दीवारों पर, अंडरपास आदि जगहों पर सुंदर चित्र सबका मन मोह लेते ही हैं, वहीं आम लोगों के बीच यह धारणा अधिक मजबूत होती है कि हमें सार्वजनिक स्थानों की सुंदरता को बरकरार रखना है। ऐसे प्रोजेक्ट का अन्य स्थानों तक विस्तार संस्कृति को और समृद्ध बनाएगा।