उत्तराखंड: चमोली में हिमस्खलन के बाद अब कैसे हैं हालात?

उत्तराखंड: चमोली में हिमस्खलन के बाद अब कैसे हैं हालात?

उत्तराखंड: चमोली में हिमस्खलन के बाद अब कैसे हैं हालात?

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह। फोटो स्रोत: भाजपा ट्विटर अकाउंट।

नई दिल्ली/दक्षिण भारत। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में उत्तराखंड के चमोली जिले में हिमस्खलन की घटना पर वक्तव्य दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि 7 फरवरी को सुबह लगभग 10 बजे ऋषिगंगा नदी के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में हिमस्खलन की घटना हुई। इससे नदी के जलस्तर में अचानक काफी वृद्धि हो गई। बाढ़ से 13.2 मेगावाट की छोटी जलविद्युत परियोजना बह गई। अचानक आई बाढ़ ने निचले क्षेत्र में तपोवन में धौलीगंगा नदी पर स्थित एनटीपीसी की निर्माणाधीन 520 मेगावाट की जलविद्युत परियोजना को भी नुकसान पहुंचाया।

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उत्तराखंड सरकार ने बताया है कि बाढ़ से निचले क्षेत्र में कोई खतरा नहीं है। इसके अलावा जल स्तर में भी कमी आ रही है। केंद्र और राज्य की सभी संबंधित एजेंसियां स्थिति पर कड़ी निगाह रखे हुए हैं। उपग्रह डेटा के अनुसार ऋषिगंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में समुद्रतल से लगभग 5,600 मीटर ऊपर स्थित ग्लेशियर के मुहाने पर हिमस्खलन हुआ, जो कि लगभग 14 वर्ग किमी का था। इससे ऋषिगंगा नदी के निचले क्षेत्र में फ्लैश फ़्लड की स्थिति बन गई।

गृह मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड सरकार से प्राप्त सूचना के अनुसार, अभी तक 20 लोगों की जानें जा चुकी हैं और 6 लोग घायल हैं, 197 व्यक्ति लापता हैं जिसमें एनटीपीसी की निर्माणाधीन परियोजना के 139 व्यक्ति, ऋषिगंगा कार्यरत परियोजना के 46 व्यक्ति और 12 ग्रामीण शामिल हैं। राज्य सरकार ने यह सूचना विभिन्न स्रोतों के माध्यम से इकठ्ठा की है, जिसमे परिवर्तन संभव है।

गृह मंत्री ने कहा कि एनटीपीसी परियोजना के 12 व्यक्तियों को एक टनल के अंदर से सुरक्षित बचा लिया गया है। ऋषि गंगा परियोजना के भी 15 व्यक्तियों को सुरक्षित बचा लिया गया है। एनटीपीसी परियोजना की एक दूसरी टनल में लगभग 25 से 35 लोगों के फंसे होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इस टनल में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने हेतु बचाव अभियान युद्ध स्तर पर जारी है। साथ ही लापता व्यक्तियों को ढूंढ़ने का कार्य भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।

गृह मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने जान गंवाने वालों के परिजन के लिए 4 लाख रुपए की सहायता की घोषणा की है। घटनास्थल के नजदीक 13 छोटे गांवों से एक पुल बह जाने कारण संपर्क कट गया है। इन गांवों के लिए रसद और जरूरी मेडिकल सामान हेलीकॉप्टर द्वारा लगातार पहुंचाया जा रहा है।

गृह मंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में बताया कि स्थिति की उच्चतम स्तर पर निगरानी की जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं स्थिति पर गहरी निगाह रखे हुए हैं। गृह मंत्रालय के दोनों कंट्रोल रूम द्वारा स्थिति पर चौबीसों घंटे नजर रखी जा रही है और राज्य को हर संभव सहायता मुहैया कराई जा रही है।

गृह मंत्री ने कहा कि विद्युत् मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) ने घटनास्थल का दौरा किया और चल रहे राहत एवं बचाव कार्य का जायजा लिया। आईटीबीपी ने अपना कंट्रोल रूम स्थापित किया है और उनके 450 जवान, सभी जरूरी साजो—सामान के साथ घटनास्थल पर राहत और बचाव अभियान में लगे हुए हैं।

गृह मंत्री ने कहा कि एनडीआरएफ़ की 5 टीमें घटनास्थल पर पहुंच चुकी हैं और राहत व बचाव अभियान में लगी हुई हैं। सेना की आठ टीमें, जिसमें एक ईटीएफ भी शामिल है, घटनास्थल पर बचाव कार्य कर रही हैं। एक मेडिकल कॉलम और दो एंबुलेंस भी घटनास्थल पर तैनात हैं। नेवी की एक गोताखोर टीम भी घटनास्थल पर बचाव कार्य के लिए पहुंच चुकी है। एयरफोर्स के 5 हेलीकॉप्टरों को भी इस कार्य में लगाया गया है। जोशीमठ में एक कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है।

गृह मंत्री ने कहा कि घटनास्थल पर विपरीत परिस्थिति में भी लगातार राहत और बचाव कार्य जारी है। टनल में फंसे लोगों को बाहर निकालने के लिए रातभर के अथक प्रयास के बाद सेना द्वारा टनल के मुंह पर पड़े मलबे को साफ कर लिया गया है। केंद्रीय जल आयोग के जो कर्मचारी अलकनंदा और गंगा बेसिन हरिद्वार तक में कार्यरत हैं, को अलर्ट पर रखा गया है।

सशस्त्र सीमा बल की एक टीम भी घटनास्थल पर पहुंच चुकी है। डीआरडीओ की एक टीम, जो हिमस्खलन की निगरानी करती है, घटनास्थल पर पहुंच चुकी है। एनटीपीसी के सीएमडी भी घटनास्थल पर पहुंच चुके हैं। इस संबंध में नेशनल क्राइसिस मैनेजमेंट कमेटी (एनसीएमसी) की बैठक 7 फरवरी को कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में हुई जिसमें सभी संबंधित एजेंसियों को समन्वय के साथ कार्य करने और राज्य प्रशासन को सभी जरूरी सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया।

गृह मंत्री ने राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि केन्द्रीय एजेंसियों के साथ जिला प्रशासन, पुलिस और राज्य आपदा प्रबंधन विभाग भी राहत और बचाव कार्य में जुटे हुए हैं। एसडीआरएफ की दो टीमें भी राहत और बचाव में कार्यरत हैं। राज्य स्वास्थ्य विभाग की 7 टीमें, 8 एंबुलेंस मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी के साथ तैनात हैं। इसके अतिरिक्त राज्य सरकार ने 5 हेलीकॉप्टरों को भी बचाव और राहत कार्यों के लिए तैनात किया हुआ है। घटना के बाद सभी जगह बिजली की बहाली लगभग कर दी गई है। बीआरओ और राज्य पीडब्ल्यूडी द्वारा 5 पूर्ण रूप से टूटे हुए पुलों की मरम्मत की जा रही है।

गृह मंत्री ने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में राज्य आपदा जोखिम प्रबंधन कोष में 1041.00 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जिसमें केंद्रीय अंश की प्रथम किस्त 468.50 करोड़ रुपए की राशि राज्य सरकार को जारी की जा चुकी है। गृह मंत्री ने आश्वासन दिया कि राहत और बचाव कार्यों के लिए सभी संभव उपाय राज्य सरकार के साथ समन्वय से किए जा रहे हैं और जो भी आवश्यक कदम उठाना जरूरी है, वे उठाए जा रहे हैं।

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