अरब सागर में 36 किलोमीटर तैराकी कर इतिहास रचने की तैयारी कर रहा एक दिव्यांग
अरब सागर में 36 किलोमीटर तैराकी कर इतिहास रचने की तैयारी कर रहा एक दिव्यांग
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में फतेहाबाद के गांव भूथनकलां के सुरेंद्र ढाका जो कि दिव्यांग हैं, उनके दोनों पैर काम नहीं करते लेकिन तैराकी की बात करें तो उन जैसा तैराक कोई नहीं है। इसी हौसले के चलते वह इंटरनेशनल पैरा तैराक बन चुके हैं। कई अलग-अलग प्रतिस्पर्धाओं में वो कई गोल्ड मेडल जीत चुके हैं। इसी हौंसले के साथ अब सुरेंद्र अरब सागर में ३६ किलोमीटर की दूरी पार करने की ठानी है। इस हौंसले के साथ उसने तैयारियां शुरू कर दी है, लेकिन यह तैयारी किसी स्विमिंग पुल में नहीं बल्कि नहर में शुरू की है, सुरेंद्र के इस मुकाम को हासिल करने के हौंसले के साथ गांव के ग्रामीण भी हैं जो उसका साथ दे रहे हैं।सुरेंद्र ढाका ने गांव गोरखपुर के काजल हेड से अपनी ट्रेनिंग की शुरूआत की है। सुरेंद्र ने अरब सागर को पार करने की ट्रेनिंग करने के लिए पूरी तरह से तैयार होकर ग्रामीणों के साथ गांव गोरखपुर से काजल हेड नहर के पास पहुंचे। पहले दिन इंटरनेशनल पैरा तैराक सुरेंद्र का हौंसला ब़ढाने के लिए वरिष्ठ भाजपा नेता वीरेंद्र सिवाच भी पहुंचे, जहां ग्रामीण उसकी ट्रेनिंग को शुरू करवाने के लिए नहर के पुल पर ले गए। इसके बाद सुरेंद्र ने नहर में छलांग लगाते हुए अपनी ट्रेनिंग शुरू कर दी। पहले दिन की ट्रेनिंग में सुरेंद्र ने नहर में दस किलोमीटर तैराकी की।सुरेंद्र का कहना है कि मुझे अरब सागर को ३६ किलोमीटर तक पार करना है और इतिहास रचना है। अभी तक किसी ने भी इस मुकाम को हासिल नहीं किया, लेकिन मैं इस मुकाम को जरूर हासिल करके दिखाऊंगा और अपने जिले-गांव का नाम रोशन करूंगा, इस मुकाम को हासिल करने में १८ लाख रुपए लगेंगे। दानी सज्जनों से अपील है कि वह सहयोग करें।गांव भूथनकलां निवासी सुरेंद्र ढाका ने कर्नाटक में हुई स्विमिंग प्रतियोगिता में दो गोल्ड, दो गोल्ड जयपुर में और २ गोवा में हुई प्रतियोगिता में जीत चुके हैं। वहीं वर्ष २०१४ में एशिया में हुई इंटरनेशनल पैरा तैराकी में वह विजेता रह चुके हैं। दोनों पांव से अशक्त होने के बावजूद वह ४ साल से तैराकी कर रहे हैं।