अब शोध में साहित्यिक चोरी करने वालों की खैर नहीं, यह सॉफ्टवेयर बता देगा हकीकत!
अब शोध में साहित्यिक चोरी करने वालों की खैर नहीं, यह सॉफ्टवेयर बता देगा हकीकत!
नई दिल्ली/भाषा। मानव संसाधन विकास मंत्रालय अनुसंधान एवं शोध में मूल विचारों एवं लेखों की मौलिकता सुनिश्चित करने के लिए विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में साहित्यिक चोरी निरोधी सॉफ्टवेयर ‘शोधशुद्धि’ लागू करने जा रहा है।
मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, यह सेवा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के एक इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर (आईयूसी) इंफार्मेशन एंड लाइब्रेरी नेटवर्क (आईएनएफएलआईबीएनईटी) द्वारा लागू की जा रही है।उन्होंने बताया कि साहित्यिक चोरी निरोधी सॉफ्टवेयर (पीडीएस) ‘शोधशुद्धि’ शोधार्थियों के मूल विचारों एवं लेखों की मौलिकता सुनिश्चित करते हुए अनुसंधान परिणाम की गुणवत्ता में सुधार लाने में काफी मदद करेगा।
अधिकारी ने बताया कि शुरू में यह सेवा लगभग 1,000 विश्वविद्यालयों/ संस्थानों और राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों को प्रदान की जा रही है। इनमें केंद्रीय विश्वविद्यालय, केंद्र द्वारा वित्तपोषित तकनीकी संस्थान, राज्यों के सरकारी विश्वविद्यालय, डीम्ड विश्वविद्यालय, निजी विश्वविद्यालय और अंतर विश्वविद्यालय केंद्र शामिल हैं।
साहित्यिक चोरी रोकने की यह पहल ऐसे समय में की गई है जब हाल ही में एक रिपोर्ट में बड़े पैमाने पर फर्जी जर्नल में शोध प्रकाशित होने की बात सामने आई है।
यूजीसी ने इस संदर्भ में एमफिल-पीएचडी के नियमन में संशोधन प्रस्तावित किए हैं। इसमें प्रवेश परीक्षा को अनिवार्य बनाने की बात कही गई है जिसमें 50 प्रतिशत अंक अनिवार्य होंगे। टेस्ट में 50 प्रतिशत सवाल रिसर्च एप्टीट्यूड से होंगे जबकि 50 प्रतिशत विषय के प्रश्न होंगे। आरक्षित वर्ग को टेस्ट में 5 प्रतिशत अंकों की छूट रहेगी।