जब राम माधव ने पाक राजदूत को दो टूक कहा- कश्मीर भूल जाएं, अब पीओके की फिक्र करें!
जब राम माधव ने पाक राजदूत को दो टूक कहा- कश्मीर भूल जाएं, अब पीओके की फिक्र करें!
नई दिल्ली/दक्षिण भारत। दत्तात्रेय होसबाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नए सरकार्यवाह निर्वाचित हुए हैं। वहीं दो सह-सरकार्यवाह नियुक्त किए जाने के साथ भाजपा नेता राम माधव पुन: संघ में लौट आए हैं। उन्हें संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया है। वे साल 2014 में भाजपा में आए थे और पार्टी महासचिव बनाए गए थे।
राम माधव अच्छे संगठनकर्ता, रणनीतिकार होने के साथ ही लेखक के तौर जाने जाते हैं। उन्हें करीब से जानने वालों की मानें तो वे भारत के उन विचारकों में शामिल हैं जिन्हें चीन और पाकिस्तान के मामलों की बहुत अच्छी जानकारी है।राम माधव उस समय चर्चा में रहे थे जब जम्मू-कश्मीर में भाजपा ने पीडीपी के साथ गठबंधन की सरकार बनाई थी। इसके बाद सरकार गिरने से लेकर अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निष्प्रभावी बनाए जाने जैसे महत्वपूर्ण फैसलों के पीछे राम माधव की भूमिका रही है।
भारत में पाकिस्तान के पूर्व राजदूत अब्दुल बासित ने अपने मुल्क में एक चैनल को दिए साक्षात्कार में इस बात का दावा किया था कि एक बैठक में राम माधव ने उन्हें स्पष्ट कह दिया था कि अब पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर भूल जाए, उसे गिलगित-बाल्टिस्तान और पीओके बचाने की फिक्र करनी चाहिए।
यही नहीं, बासित ने यह भी दावा किया था कि राम माधव का उनके प्रति रुख बहुत ही ‘आक्रामक’ था। बासित के मुताबिक, राम माधव ने उन्हें दो टूक कह दिया था कि कश्मीर को लेकर पाकिस्तान अपना वक्त बर्बाद कर रहा है। उन्होंने बासित के मुंह पर ही कह दिया था कि पाकिस्तान एक आतंकवादी देश है और वह आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। हालांकि बाद में राम माधव ने कहा कि वे सिर्फ दृढ़ता के साथ भारत का नजरिया पेश कर रहे थे।
जब भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को लेकर संसद में घोषणा की तो राम माधव ने कहा था, ‘क्या गौरवशाली दिन है! आखिरकार डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी समेत हजारों शहीदों की भारत में जम्मू-कश्मीर के पूर्ण विलय की इच्छा का सम्मान हुआ और पूरे देश की सात दशक पुरानी मांग हमारी आंखों के सामने पूरी हुई। क्या कभी ऐसा सोचा था?’
भारत सरकार द्वारा सीएए लाए जाने के बाद मचे हंगामे पर राम माधव पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों के साथ दृढ़ता से खड़े नजर आए थे। उन्होंने कहा था कि पड़ोसी देशों में सताए गए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देना भारत का कर्तव्य है क्योंकि वे धर्म के आधार पर देश का बंटवारा करने के फैसले के ‘पीड़ित’ हैं।
इंजीनियर जो बन गया राजनीतिक रणनीतिकार
राम माधव का जन्म 22 अगस्त, 1964 को आंध्र प्रदेश के ईस्ट गोदावरी जिले में हुआ था। वे इंजीनियरिंग के छात्र रहे हैं। उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल किया है। इसके बाद मैसूरु विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर उपाधि भी प्राप्त की है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ राम माधव का जुड़ाव किशोरावस्था से है। वे साल 1981 से संघ के लिए पूर्णकालिक कार्यकर्ता हैं। उन्हें संगठन में कई प्रमुख पदों पर नियुक्त किया गया है। वे दो दशकों तक हिंदी, तेलुगु और अंग्रेजी प्रकाशनों में बतौर पत्रकार सक्रिय रहे हैं। वे राष्ट्रीय समाचार पत्र-पत्रिकाओं में आलेख लिखते हैं। उन्होंने कई पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें ‘नेबर्स: इंडिया एंड चाइना आफ्टर फिफ्टी ईयर्स ऑफ दि वॉर’ बहुत चर्चित रही है।
उत्तर-पूर्व में भाजपा का उदय
राम माधव साल 2003 से 2014 तक संघ के राष्ट्रीय प्रवक्ता रहे हैं। इसके बाद वे भाजपा में आ गए और राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त हुए थे। उन्हें भाजपा महासचिव के रूप में उत्तर-पूर्व में पार्टी के उदय और क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन का श्रेय दिया जाता है।