कहीं कांग्रेस को उलटा न पड़ जाए रावत को लालकुआं भेजने का दांव
लालकुआं विधानसभा सीट परिसीमन के बाद 2008 में अस्तित्व में आई
नैनीताल/दक्षिण्ा भारत/ उत्तराखंड की चर्चित विधानसभा सीटों में से एक लालकुआं विधानसभा क्षेत्र इस बार खासी चर्चाओं में है। काफी राजनीतिक उठापटक के बाद कांग्रेस ने इस सीट से अपने प्रमुख नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को उम्मीदवार घोषित किया है। श्री रावत का निर्वाचन क्षेत्र बदल दिया गया है और उन्हें नए क्षेत्र जोर आजमाइश करनी पड़ेगी। लालकुआं विधानसभा परिसीमन के बाद 2008 में अस्तित्व में आई। इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस दोनों का वर्चस्व रहा है। वर्ष 2017 में मोदी लहर में भाजपा के नवीन दुमका ने कांग्रेस के प्रत्याशी हरीश चंद्र दुर्गापाल को 27 हजार से अधिक मतों के अंतर से हराया। 2012 के चुनाव में इस पर कांग्रेस का कब्जा हुआ। हरीश चंद्र दुर्गापाल ने तब भाजपा के नवीन दुमका को लगभग नौ हजार मतों के अंतर से हराया था।
इस बार कांग्रेस ने पहले चरण में हरीश चंद्र दुर्गापाल का टिकट काटकर महिला उम्मीदवार के रूप में संध्या डालाकोटि को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया। हमेशा की तरह श्री रावत अपने चिर प्रतिद्वंद्वी और पार्टी के कार्यवाहक अध्यक्ष रणजीत सिंह रावत पर भारी पड़े और उन्होंने रणजीत रावत का टिकट कटवा कर अपने को रामनगर सीट से कांग्रेस का सूरमा घोषित करवा दिया था, लेकिन लालकुआं और रामनगर सीट पर एक साथ हुए जबर्दस्त बगावत के चलते कांग्रेस आलाकमान को अपना पांव वापस खींचने पड़े और मजबूरन संध्या डालाकोटि का टिकट काटकर श्री रावत को लालकुआं का उम्मीवार घोषित करना पड़ा। वर्ष 2017 में दो-दो सीटों से पार्टी की लुटिया डूबोने वाले श्री रावत के लिये यह एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई वाला हिसाब था। सुरक्षित सीट की तलाश में हरीश रावत को अंतत: आलाकमान का फैसला मानना ही पड़ा। उनको प्रत्याशी घोषित करने से हरेन्द्र बोरा और पूर्व केबिनेट मंत्री हरीश चंद्र दुुर्गापाल के बगावत के सुर थम गये लेकिन श्री रावत की परेशानी फिर भी कम नहीं हुई।
टिकट कटने से नाराज संध्या डालाकोटि नहीं मानी और उन्होंने श्री रावत एवं कांग्रेस को एक साथ चुनौती दे डाली। उन्होंने चुनाव में निर्दलीय ताल ठोंक दी। वह कांग्रेस से अधिक खलनायक हरीश रावत को मानती हैं और पूरे प्रचार में वह भाजपा के बजाय श्री रावत को निशाने पर ले रही हैं। इसके अलावा हरेन्द्र बोरा और हरीश चंद्र दुर्गापाल खेमा भी श्री रावत की उम्मीदवारी को पचा नहीं पा रहे हैैं।
दूसरी ओर भाजपा ने विधायक नवीन दुमका का टिकट काटकर युवा नेता एवं जिला पंचायत सदस्य मोहन सिंह बिष्ट पर दांव लगाया है। बताया जा रहा है कि यहां पार्टी के रूप में भाजपा की स्थिति अधिक सुदृढ़ नहीं है, लेकिन मोहन सिंह बिष्ट की छवि काफी अच्छी है। वह लोगों के बीच खासा लोकप्रिय हैं। यहां भाजपा के उम्मीदवार के लिए खास बात प्रचलित है कि प्रत्येक परिवार की रसोई तक भाजपा उम्मीदवार श्री बिष्ट की पकड़ है और यही बात श्री रावत के लिए खासी चुनौती बनी हुई है।