पूरा होगा नंदी का इंतज़ार? ज्ञानवापी के वजू खाने में शिवलिंग के दावे के बाद अब तक क्या-क्या हुआ?
हिंदू पक्ष के एक वकील ने संवाददाताओं से कहा कि सर्वे दल को परिसर में नंदी की एक प्रतिमा और एक शिवलिंग मिला है
वाराणसी/भाषा। उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में सोमवार को तीसरे दिन कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का सर्वे-वीडियोग्राफी कार्य संपन्न हो गया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
इस बीच, हिंदू पक्ष के एक वकील ने संवाददाताओं से कहा कि सर्वे दल को परिसर में नंदी (भगवान शिव की सवारी) की एक प्रतिमा और एक शिवलिंग मिला है।इससे पहले, वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने संवाददताओं से कहा था, सोमवार को दो घंटे 15 मिनट से अधिक समय तक सर्वे करने के बाद अदालत द्वारा गठित आयोग (कोर्ट कमीशन) ने सुबह करीब 10.15 बजे अपना काम समाप्त कर दिया। सर्वे कार्य से सभी पक्ष संतुष्ट थे।
उल्लेखनीय है कि ज्ञानवापी मस्जिद प्रतिष्ठित काशी विश्वनाथ मंदिर के करीब स्थित है। स्थानीय अदालत महिलाओं के एक समूह द्वारा इसकी बाहरी दीवारों पर मूर्तियों के सामने दैनिक प्रार्थना की अनुमति की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है।
हिंदू पक्ष के वकील मदन मोहन यादव ने संवाददाताओं से बातचीत में दावा किया कि सर्वे दल को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में नंदी की प्रतिमा के सामने वजू खाने (मस्जिद के अंदर वह जगह, जहां लोग नमाज पढ़ने से पहले हाथ, पैर और मुंह धोते हैं) के पास शिवलिंग मिला है।
यादव ने यह भी कहा कि उन्होंने और वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने शिवलिंग को सुरक्षित स्थिति में रखने के लिए सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार की अदालत में एक अर्जी दाखिल की है।
वादी पक्ष के पैरोकार सोहनलाल आर्य ने भी दावा किया कि सर्वे के दौरान ‘बाबा’ मिल गए हैं। उन्होंने कहा कि गुंबद, दीवार और फर्श के सर्वे के दौरान कई साक्ष्य दबे हुए से दिखे।
जिलाधिकारी शर्मा ने बताया कि काशी विश्वनाथ मंदिर के द्वार संख्या 4 को अदालत द्वारा गठित आयोग (कोर्ट कमीशन) के काम के दौरान भक्तों के लिए बंद कर दिया गया था, क्योंकि उस गेट का इस्तेमाल कोर्ट कमीशन के सदस्यों की आवाजाही के लिए किया जाता था।
जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं का आना दिन में भी जारी रहा और उन्हें दर्शन-पूजन से नहीं रोका गया।
पत्रकारों द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या सर्वे कार्य के दौरान कोई नारेबाजी हुई, शर्मा ने कहा, सिर्फ उद्घोष सुनाई दिया, जो आमतौर पर काशी विश्वनाथ मंदिर में किया जाता है। किसी भी प्रकार के असामान्य नारे नहीं लगाए गए।
हिंदू पक्ष के एक प्रतिनिधि पैरोकार के ‘बाबा के मिलने’ संबंधी दावे पर जिलाधिकारी ने कहा, अधिवक्ता आयुक्त ने सभी पक्षों को निर्देश दिया है कि 17 मई को अदालत में रिपोर्ट पेश किए जाने तक किसी को भी इस बात को लेकर कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं करनी चाहिए कि मस्जिद परिसर में क्या-क्या मिला है। हालांकि, अगर कोई खुद ऐसे दावे कर रहा है तो इसकी प्रामाणिकता साबित नहीं की जा सकती।
शर्मा ने स्पष्ट किया, केवल अदालत ही इस जानकारी की संरक्षक है। अगर किसी और ने आपको कोई जानकारी दी है तो कोर्ट कमीशन का इससे कोई लेना-देना नहीं है।
यह पूछे जाने पर कि क्या सर्वे में शामिल किसी सदस्य को आयोग की कार्यवाही से वंचित रखा गया था, शर्मा ने कहा, कल हमें सूचना मिली थी कि एक सदस्य को आयोग की गतिविधियों से 15-20 मिनट के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया था, लेकिन बाद में उसे कार्यवाही का हिस्सा बनने की अनुमति दे दी गई थी। दरअसल, इस सदस्य ने अदालत के निर्देशों के खिलाफ गोपनीय जानकारी साझा की थी।
वहीं, वाराणसी के पुलिस आयुक्त ए सतीश गणेश ने कहा, एक तरफ सुरक्षा बलों की तैनाती थी, दूसरी तरफ पुलिस द्वारा विश्वास बहाली के उपाय शुरू किए गए थे। नतीजतन, तीन दिनों का काम शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गया।
उन्होंने दावा किया कि सर्वे कार्य एक आदर्श माहौल में संपन्न हुआ और इस दौरान कानून-व्यवस्था की स्थिति प्रभावित नहीं हुई।
गणेश ने कहा, हम काशी के लोगों का आभार जताते हैं, जिन्होंने पुलिस और जिला प्रशासन द्वारा लागू की गई व्यवस्था का पालन किया।
उन्होंने कहा, मीडिया के मित्रों ने तथ्यात्मक रिपोर्टिंग की। मैं उनसे केवल आधिकारिक बयानों पर ध्यान देने का अनुरोध करूंगा, न कि किसी अन्य बयान पर।
रविवार को जिलाधिकारी शर्मा ने कहा था कि सोमवार का सर्वे कार्य सुबह आठ बजे से शुरू होगा और इस दौरान सभी पक्षों को मस्जिद परिसर में मौजूद रहने का निर्देश दिया गया है।
हिंदू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने रविवार को कहा था कि आज सर्वे का लगभग 65 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और यह कल (सोमवार को) भी जारी रहेगा।
यादव ने कहा था कि चूंकि, इस तरह के सर्वे कार्य के लिए अधिवक्ता अभ्यस्त नहीं हैं और यह पूरी तरह से पुरातात्विक सर्वे का कार्य है, इसलिए इसमें थोड़ा समय लग रहा है।
वाराणसी की एक अदालत ने ज्ञानवापी-शृंगार गौरी परिसर का सर्वे-वीडियोग्राफी कार्य कराने के लिए नियुक्त अधिवक्ता आयुक्त (कोर्ट कमिश्नर) अजय मिश्रा को पक्षपात के आरोप में हटाने की मांग संबंधी याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी थी। अदालत ने स्पष्ट किया था कि ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर भी वीडियोग्राफी कराई जाएगी।
दीवानी अदालत के न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर ने अधिवक्ता आयुक्त मिश्रा को हटाने संबंधी याचिका को नामंजूर करते हुए विशाल सिंह को विशेष अधिवक्ता आयुक्त और अजय प्रताप सिंह को सहायक अधिवक्ता आयुक्त के तौर पर नियुक्त किया था। उन्होंने संपूर्ण परिसर की वीडियोग्राफी करके 17 मई तक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश भी दिए थे।
जिला अदालत ने कहा था कि यदि सर्वेक्षण की खातिर परिसर के कुछ हिस्सों तक पहुंचने के लिए चाबियां उपलब्ध नहीं हैं तो ताले तोड़े जा सकते हैं। अदालत ने अधिकारियों को सर्वे कार्य में अवरोध उत्पन्न करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का भी निर्देश दिया था।
इससे पहले, उच्चतम न्यायालय ने बीते शुक्रवार को सर्वेक्षण पर यथास्थिति का अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया था। हालांकि, शीर्ष अदालत सर्वेक्षण के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की एक याचिका को सूचीबद्ध करने पर विचार करने के लिए सहमत हुई है।