देश में बिजली उत्पादन

देश में बिजली उत्पादन

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के कार्यकाल के तीन वर्ष पूरे होने पर सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र में अपनी उपलब्धियों को जनता के समक्ष रखा। ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार का लक्ष्य है कि उन १८००० गांव तक बिजली पहुंचाई जा सके जो आजादी के इतने वर्षों के बाद भी इस बुनियादी आवश्यकता से वंचित हैं। जिनमें से सरकार ने लगभग १३००० गांव तक बिजली पहुंचा भी दी है। बिजली घरों में बिजली के उत्पादन के लिए आवश्यक कोयले और कच्चे माल की आपूर्ति को भी नियमित किया गया है और यही कारण है कि सरकार आवश्यकता से अधिक बिजली का उत्पादन करने में सफल रही है। राष्ट्रव्यापी एलईडी बल्ब वितरण योजना के जरिए सरकार ने बिजली की खपत को कम किया है। साथ ही सरकार सौर ऊर्जा जैसे विकल्पों को भी समर्थन दे रही है। केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के उत्साह की तारी़फ करनी चाहिए क्योंकि ऊर्जा क्षेत्र में इससे पहले कभी इतना काम इतने कम समय सीमा में नहीं किया गया है। पिछले तीन वर्षों में हमारे देश की विद्युत् उत्पादन क्षमता साढे आठ प्रतिशत की दर पर ब़डी है वहीं दूसरी और बिजली की मांग केवल चार प्रतिशत की दर पर ब़डी है। यह गौर करने वाली बात यह है कि संप्रग सरकार के १० वर्षों के कार्यकाल के दौरान यही मांग लगभग छह प्रतिशत की सालाना दर से ब़डी थी। साथ ही वर्ष २०१८ के अंत तक देश के करीबन सा़ढे चार करो़ड घरों तक बिजली पहुँचाने की कोशिश कर रही सरकार को अभी केवल दो प्रतिशत सफलता ही मिली है। बिजली की वाणिज्यिक मांग में भी उम्मीद के अनुसार इजाफा नहीं हुआ है। भारतीय बाजार अभी भी विकास का इंत़जार कर रहा है। अतिरिक्त बिजली के उत्पादन की वजह से हमारे पडोसी देशों को भारत बिजली उपलब्ध तो करा रहा है परंतु यह भी सच है कि देश के अनेक हिस्सों को अभी भी अंधियारे से छुटकारे का इंत़जार है। हमारा देश आवश्यकता से अधिक विद्युत् उत्पादन कर तो रहा है परंतु देश में अभी भी ऐसे कई क्षेत्र हैं जहाँ तक बिजली पहुंचाई नहीं जा सकी है। विद्युत आपूर्ति की मांग मुख्य रूप से देश में विद्युत उपभोक्ताओं की क्षमता और साथ ही विद्युत् सेवा की पहुँच पर आधारित होती है। देश में सौर ऊर्जा और अन्य नवीनतम प्रणालियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है लेकिन मुख्य धारा को विद्युत् आपूर्ति पारम्परिक तंत्र के जरिए ही किया जाता है। देश के अधिकांश विद्युत् निर्माता नुकसान उठा रहे हैं और साथ ही कईयों ने तो अपने संयंत्र बंद करने का भी फैसला ले लिया है। ऐसे में आवश्यकता है कि सरकार बिजली निर्मातों की चुनौतियों को भी समझे और साथ ही ऊर्जा क्षेत्र के चौतरफा विकास पर ध्यान दे। भविष्य में अगर देश की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी तो निश्चित रूप से उद्योग ब़ढेगा और अगर उद्योग ब़ढता है तो विद्युत् की मांग भी ब़ढेगी। सरकार को देश मंे बिजली के अधिकतम उत्पादन को एक उपलब्धि नहीं, बल्कि भविष्य की चुनौती के लिए मिली ब़ढत के रूप में देखना होगा। सरकार जब देश के सभी हिस्सों में चौबीसों घंटे बिजली पहुँचाने में सफल रहेगी तब जाकर उसकी असली जीत होगी। सरकार ने ऊर्जा क्षेत्र में कई महत्वकांक्षी लक्ष्य बनाए हैं और सरकार को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि बिजली उत्पादन में वृद्धि होती रहे ताकि सरकार अपने लक्ष्य को पूरा कर सके।

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