चीन का व्यापारिक बहिष्कार

चीन का व्यापारिक बहिष्कार

सीमा पर चीन के अि़डयल रवैये को देखते हुए देश में मांग उठ रही है कि चीनी माल का बहिष्कार किया जाए। बात सही है। परन्तु प्रश्न है कि चीन के माल की यह घुसपैठ हो कैसे रही है? भारत और चीन दोनों एक ही विश्व बाजार में स्थित हैं। दोनों देशों को विश्व बाजार से एक ही दाम पर कच्चा माल खरीदना होता है जैसे तेल, कोयला एवं लौह खनिज। तब चीन का माल सस्ता और भारत का माल महंगा क्यों प़डता है? मंडी में एक व्यापारी चीन से आयातित सस्ता आलू बेच रहा है और दूसरा भारत में उत्पादित महंगा आलू बेच रहा है। ’’अब हमारे विचारक कह रहे हैं कि चीन के सस्ते आलू का बहिष्कार किया जाए। वे यह क्यों नहीं सोचते कि भारत में उत्पादित आलू की लागत ज्यादा क्यों आ रही है? भारत में लागत ज्यादा आने का मूल कारण भ्रष्टाचार है जो कि बुनियादी संरचना की खस्ता हालत में भी दिखता है।’’ भ्रष्टाचार किसान अथवा उद्यमी को अनेक प्रकार से प्रभावित करता है। जैसे भ्रष्टाचार के कारण नहर की मरम्मत नहीं होती है, पानी का रिसाव होता है और किसान को नहर का सस्ता पानी नहीं मिलता है। भ्रष्टाचार के कारणों से भारत में उत्पादन लागत ज्यादा आती है और चीन का माल घुसपैठ करने में सफल होता है। भारतीय किसान को खेती में घाटा लग रहा है परन्तु खपत ब़ढाने की ललक है। केवल कृषि क्षेत्र में ही नहीं, यह हाल देश के स्तर पर भी हमें व्यापार में ़फायदा नहीं हो रहा लेकिन खपत लगातार ब़ढ रही है। हमारी उत्पादन लागत ज्यादा आ रही है। हमारे निर्यात में लगातार कमी आ रही है और हमारे आयात ब़ढते जा रहे हैं। देश के उद्योग को ब़ढावा देने के लिए व्यापक कदम उठाने की आवश्यकता है। अगर हमारे देश में हम चीन से कम दाम पर वस्तुओं को उपलब्ध करने में विफल रहते हैं तो यह हमारे लिए शर्म की बात है। भारत चीन से किसी भी तरह से तकनीक और विज्ञान में पिछ़डा हुआ नहीं है। हमारे देश के उद्योग के अवसरों को बेहतर करने पर ही हम चीन पर वैश्विक बाजार में ब़ढत हासिल कर सकेंगे। वहीं दूसरी और चीन में पर्यावरण की क्षति करने पर सरकार द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती है। चीन के कई क्षेत्रों में भूमिगत पानी और हवा दोनों गंभीर प्रदूषण का शिकार बन चुके हैं। भारत पेरिस में हुए जलवायु परिवर्तन के समझौते के अपने लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध है और सम्भवता इस कारण विकसित बा़जारों द्वारा अपनाए जा रहे नए व्यापार नियमों के तहत किसी भी पदार्थ के उप्तादन प्रक्रिया में प्रदूषण के नियमों की तर्ज पर भारत को चीन के खिलाफ अच्छी ब़ढत मिली हुई है। अगर हम उत्पादन प्रणाली को सुधार सकते हैं तो हमारे बा़जारों में चीन के उत्पादों के बदले हमारे देश में ही बना सामान ऩजर आएगा।

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