गंगा की स्वच्छता

गंगा की स्वच्छता

पिछले कई दशकों से गंगा की सफाई के प्रयास किए जाते रहे हैं और अभी भी गंगा को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए बहुत काम बाकी है। वर्ष २०१४ में मोदी सरकार ने ‘नमामि गंगे’’ नाम की महत्वाकांक्षी योजना की घोषणा कर इसके लिए २०,००० करो़ड रुपए आवंटित किए। इस राशि का उपयोग वर्ष २०१५ से २०२० के बीच होना है जहाँ अभी तक लगभग ७५०० करो़ड रुपए खर्च हो चुके हैं। गंगा लगभग २,५०० किलोमीटर का लम्बा रास्ता तय करती है और उत्तरी भारत के अनेक प्रमुख शहर गंगा किनारे बसे हैं । प्रतिदिन चार सौ करो़ड लीटर शहर का गन्दा पानी गंगा में बहा दिया जाता है और साथ ही ७०० से अधिक कारखानों से निकलने वाला औद्योगिक कचरा भी गंगा में अवैध तरीके से बहा दिया जाता है। पिछले ही दिनों गंगा के प्रदूषण पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण(एनजीटी) के सख्त रवैये के बाद केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और कई स्थानीय निकायों द्वारा की जा रही कारवाही पर भी सवाल उठाये जा सकते हैं। अगर गंगा के प्रदूषण में कोई ख़ास बदलाव नहीं आया है तो इतनी ब़डी रखें का उपयोग कैसे किया गया है ? एनजीटी ने गंगा के ५०० मीटर के दायरे में अगर किसी भी व्यक्ति या इकाई द्वारा हरिद्वार से लेकर उन्नाव तक कहीं भी कचरा फेका जाता है तो ५०,००० रुपए तक दंड लगाए जाने की सिफारिश कर दी है। एनजीटी नदी के किनारे से १०० मीटर के अंदर किसी प्रकार के निर्माण को रोकने के पक्ष में भी है। हालाँकि नमामि गंगे योजना के लिए आवंटित की गई राशि का अधिकांश भाग बिना खर्च हुए प़डा है परंतु सच तो यह है की सरकार ने इस योजना को पूरा करने का लक्ष्य अगले साल के अंत तक रखा है जिसकी संभावना बहुत कम ऩजर आती है अगर सरकार को निर्धारित लक्ष्य हासिल करने की कोशिश करनी है तो निश्चित रूप से अनेक सीवेज प्लांट चालू किए जाने हैं लेकिन अभी भी ११८ शहरों व कस्बों का तीन चौथाई अशोधित मल सीधे गंगा में जा रहा है। गंगा की स्वच्छता सरकार के लिए बहुत ब़डी चुनौती है और अगर सरकार गंगा को स्वच्छ बनाने में सफल हो जाती है तो यह एक ऐतिहासिक सफलता होगी। एक तरह से गंगा को मैली करने में शहरों और कस्बों के बीच हो़ड लगी हुई है। सरकार के समक्ष जनता को जागरूक करने की भी जिम्मेदारी है। नमामि गंगे योजना के लिए केंद्रीय मंत्री उमा भारती भी क़डी मशकत कर रही है लेकिन इस योजना की सफलता उसके मजबूत क्रियान्वयन पर ही निर्भर है। कारखानों को गंगा किनारे से अगर हटाया जाता है तो उनके स्थानांतरण में सरकार को सहयोग करना होगा।

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