बीजिंग को संदेश
चीन के आगमन ने आतंकवादियों को भी चिंता में डाल दिया है कि अगर ड्रैगन का यहां कब्जा हो गया तो उनका दबदबा नहीं रहेगा
इस साल चीन पर कई चोटें पड़ी हैं। कोरोना वायरस के पुनः प्रसार ने उसकी अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। राजनीतिक कलह फूटती दिखाई दे रही है। पाकिस्तान में सीपेक के नाम पर किया गया ‘निवेश’ डूब गया। चीन की नीतियों का भंडाफोड़ हो गया, जिसमें भारतीय मीडिया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
कर्जजाल में फंसाने के लिए कुख्यात चीन पर उसके ‘मित्र देश’ पाकिस्तान के लोगों को ही भरोसा नहीं रहा। हाल में जिस तरह पाक में चीनियों पर हमले हुए हैं, उन्हें साधारण घटना मानने की भूल नहीं करनी चाहिए। कराची जैसे शहर में चीनी डेंटिस्ट को गोली मारना और दो लोगों को घायल कर देने की घटना बताती है कि चीन-पाक जिस ‘शहद से मीठी’ दोस्ती का दम भरते थे, अब उसमें अरब सागर का कड़वा पानी घुल गया है।यह पहली घटना नहीं है, जब पाकिस्तान में चीनियों पर घातक हमले हुए। इसी साल अप्रैल में कराची यूनिवर्सिटी परिसर में बीएलए की एक फिदायीन ने चीनी नागरिकों को ले जा रहे वाहन को उड़ा दिया था, जिसमें तीन चीनियों समेत एक पाकिस्तानी की मौत हो गई थी। पिछले साल जुलाई में चीनी इंजीनियरों को लेकर जा रही बस को धमाके से उड़ा दिया गया था। चीन को इन घटनाओं के संकेतों को गंभीरता से समझना होगा। यह न केवल उसके कर्जजाल के प्रति हिंसक प्रतिक्रिया है, उसकी उन नीतियों का परिणाम भी है, जिसके तहत वह आतंकवादियों का तुष्टीकरण एवं रक्षण करता रहा है।
चीन बबूल का पेड़ बो रहा है, जिससे आम की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए। पाकिस्तान में आतंकवादी हमेशा ही बेखौफ रहे हैं। वे सरकार के नियंत्रण में नहीं रहते। हालांकि वहां सरकार ही उन्हें पालती-पोसती रही है। जब मौका पड़ता है, वे सरकार से जुड़े लोगों पर हमले से नहीं हिचकते। सरकार और फौज से अलग आतंकवादी संगठन भी सत्ता हथियाने की दौड़ में शामिल हैं।
इन सबके बीच चीन के आगमन ने आतंकवादियों को भी चिंता में डाल दिया है कि अगर ड्रैगन का यहां कब्जा हो गया तो उनका दबदबा नहीं रहेगा। इसलिए वे समय-समय पर चीनी नागरिकों पर हमले कर बीजिंग तक संदेश पहुंचाते रहते हैं। हाल में चीनी डेंटिस्ट पर जो हमला हुआ, उसके बाद चीन सरकार सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता में है। हमलावर मरीज के वेश में आया था। उसने मौका पाते ही डेंटिस्ट पर गोलियां चला दीं। इस गोलीबारी में डेंटिस्ट की पत्नी भी घायल हो गई।
पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों का व्यापक जाल है। वे कब और किस वेश में आकर रेकी कर जाएं, पाक और चीन की एजेंसियों के लिए जानना लगभग असंभव है। कोई आश्चर्य नहीं कि इसी तर्ज पर अन्य शहरों में भी हमले होने लगें। हाल में बलोचिस्तान में चीनी शराब का कारखाना बहुत चर्चा में रहा था, जिस पर आतंकवादी संगठनों का भी कड़ा रुख रहा है। बलोचिस्तान तो पहले से ही अशांत है। बहुत संभव है कि इस कारखाने समेत चीनी स्पा, मसाज सेंटर, रेस्तरां और अन्य प्रतिष्ठान निशाने पर आ जाएं।
चीन के नागरिक ऐसे हमलों के आदी नहीं रहे हैं। जब धमाकों की खबरें उनके देश जाएंगी तो सरकार के खिलाफ आक्रोश भड़क सकता है, जिसे रोक पाना बहुत मुश्किल होगा। यह सर्वविदित है कि चीन पाकिस्तान को कर्ज के जाल में उलझाकर उस पर कब्जे का इरादा रखता है। पाक की अर्थव्यवस्था चौपट हो चुकी है, जो चीन के लिए सुनहरे मौके से कम नहीं है। दोनों के करीब आने का आधार मैत्री एवं परस्पर सहयोग नहीं, बल्कि भारत-विरोध है। इसलिए घृणा और नकारात्मकता की नींव पर ये वही पा रहे हैं, जो उक्त दोनों बुराइयां सृष्टि के आरंभ से देती आई हैं।