जब बेंगलूरु में कथित ‘चुड़ैल’ के डर से दरवाजे पर लिखते थे यह बात, इसी से जुड़ी ‘स्त्री’ की कहानी
जब बेंगलूरु में कथित ‘चुड़ैल’ के डर से दरवाजे पर लिखते थे यह बात, इसी से जुड़ी ‘स्त्री’ की कहानी
मुंबई। भय, डर, खौफ .. ये नाम अलग-अलग हैं लेकिन सबकी अनुभूति एक जैसी है। दुनिया की हर भाषा में इसके लिए कोई शब्द जरूर है। साथ ही हर गांव-शहर में ऐसी कई कहानियां, जो किसी अलौकिक शक्ति के होने का समर्थन करती है। हालांकि आधुनिक विज्ञान इन्हें खारिज करता है, पर इससे उन लोगों पर कोई फर्क नहीं पड़ता जो इन कहानियों, मान्यताओं आदि पर यकीन करते हैं।
राजकुमार राव और श्रद्धा कपूर स्टारर मूवी ‘स्त्री’ भी ऐसी ही एक कहानी पर आधारित है। इसके मुताबिक, कोई चुड़ैल हर साल पूजा की चार रात शहर में दाखिल होती है। वह मर्दों को मार डालती है और निशानी के तौर पर उनके कपड़े छोड़ जाती है। पर्दे पर यह सब देखना एक अलग अनुभूति देता है। दरअसल यह फिल्म कर्नाटक की एक घटना पर आधारित है। 1990 में यह बेंगलूरु में खूब चर्चा में रही थी।जिन लोगों ने वह दौर देखा है, वे आज तक उसे याद करते हैं। तब लोग कन्नड़ में घर के मुख्य द्वार पर लिखा करते थे- ‘नाळे बा’ यानी कल आना। लोगों का मानना था कि एक चुड़ैल रात को सड़कों पर घूमती थी। वह मर्दों की तलाश में रहती थी ताकि उनका कत्ल कर सके। इसके लिए वह लोगों के दरवाजे खटखटाती थी।
लोगों की मान्यता के मुताबिक, वह इस काम में कई हथकंडे अपनाती। चुड़ैल आवाज बदलकर बोलती। वह मर्दों को उनकी मां, पत्नी आदि की आवाज में बाहर बुलाती। फिर जैसे ही वे दरवाजा खोलते, वह उनका काम तमाम कर देती। इसलिए लोग अपने दरवाजों पर ‘नाळे बा’ लिखने लगे। उनका मानना था कि इसे पढ़कर चुड़ैल लौट जाती और अगले दिन आने का कार्यक्रम बनाती। अगले दिन फिर ‘नाळे बा’ पढ़कर वह दोबारा लौट जाती।
लोगों का मानना था कि यह क्रम चलता रहता और इससे लोगों की जान बच जाती। बेंगलूरु में कई लोगों को वे दिन याद हैं। अब ‘स्त्री’ मूवी ने उन्हें फिर ताजा कर दिया है। बहरहाल यह एक मूवी है जिसे मनोरंजन के तौर पर ही देखा जाना चाहिए और किसी भी किस्म की अफवाह से बचना चाहिए।