भोगवाद की चकाचौंध

भोगवाद की चकाचौंध

मुंशी प्रेमचंद ने देश की आज़ाद से पहले ही बता दिया था कि यह प्रथा किसी महिला के जीवन को किस तरह प्रभावित कर सकती है


मुंशी प्रेमचंद की चर्चित कहानियों में से एक है- 'मिस पद्मा', आज उसे फिर पढ़ने की जरूरत है। खासतौर से नौजवानों को वह जरूर ही पढ़नी चाहिए। पिछले कुछ दशकों से पाश्चात्य तौर-तरीकों के अंधानुकरण और भारतीय संस्कृति एवं दर्शन से जुड़ी हर व्यवस्था का उपहास उड़ाने का जो सिलसिला तेजी पकड़ रहा है, लिव-इन रिलेशनशिप के नाम पर जिस खतरनाक प्रयोग को लुभावना बनाकर पेश किया जा रहा है, उसके परिणाम आने शुरू हो गए हैं। 

Dakshin Bharat at Google News
मुंशी प्रेमचंद ने उक्त कहानी में देश की आज़ाद से पहले ही बता दिया था कि यह प्रथा किसी महिला के जीवन को किस तरह प्रभावित कर सकती है। अब तो लिव-इन रिलेशनशिप और इसके बहाने से स्थापित होने वाले उन्मुक्त संबंधों का महिमा-मंडन किया जा रहा है। उनका समर्थन करने के लिए फिल्में बनती हैं। युवा उन्हें आदर्श मानते हैं और वही सब अपने जीवन में दोहराने की कोशिश करते हैं, क्योंकि उनके सामने पहले से 'मिसाल' मौजूद है। अगर फिल्मी किरदार ऐसा कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं? 

दिल्ली में श्रद्धा हत्याकांड के बाद समाज को एक बार इस पर गंभीरता से चिंतन करना चाहिए कि कहीं हमारी परिवार व्यवस्था की नींव खोखली करने का षड्यंत्र तो नहीं चल रहा है? आफताब अमीन पूनावाला नामक जिस युवक पर श्रद्धा की हत्या का आरोप है, वह काफी समय से उसके साथ लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहा था। शुरू-शुरू में सब ठीक रहा। प्राय: युवाओं को यह सब किसी फिल्मी कहानी जैसा लगता है, जहां ठंडी हवाएं चलती हैं, वायलिन की मधुर धुन सुनाई देती है और फूल बरसते हैं! लेकिन असल जीवन ऐसा नहीं है। यहां कदम-कदम पर संघर्ष और परीक्षाएं हैं।

जल्द ही श्रद्धा को पता चल गया कि लिव-इन के नाम पर जो सुनहरे ख्वाब देखे थे, वे ताश के महल की तरह ढह गए हैं, उसके साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ है। श्रद्धा के परिजन इस रिश्ते के खिलाफ थे। वे अपना फर्ज समझते हुए उसे इस किस्म के संबंधों से बचने की नसीहत देते थे, लेकिन युवती को लगता था कि अब वह कानूनन बालिग, लिहाजा अपना भला खुद समझने और उसके मुताबिक कदम उठाने के लिए आजाद है। 

इस मामले का सबसे ज्यादा डरावना पहलू यह है कि आफताब ने श्रद्धा के शव के करीब तीन दर्जन टुकड़े किए! उसने बड़ा-सा फ्रिज तक खरीद लिया, ताकि टुकड़ों को धीरे-धीरे ठिकाने लगा सके। ताज्जुब की बात है कि जब वह इन टुकड़ों को फेंकने जाता था तो पुलिस की नजर में नहीं आया। जैसा कि ऐसे संबंधों में होता है, श्रद्धा चाहती थी कि वह शादी करे, लेकिन आफताब टालता जाता। 

हर मतलबी प्रेमी यही करता है। जब उसकी 'ख्वाहिश' पूरी हो जाती है तो दिलचस्पी भी कम हो जाती है। फिर वह दूसरा 'शिकार' चाहता है। यह प्रवृत्ति कलह की वजह बनती है। जो युवतियां कुछ सौभाग्यशाली होती हैं, वे जीवित रह जाती हैं, लेकिन जीवनभर यह कड़वा अनुभव उन्हें सताता है। अगर प्रेमी कट्टर, हिंसक, उग्र, शातिर एवं आपराधिक प्रवृत्ति का हुआ तो उसका दु:खद अंजाम हो सकता है। 

माता-पिता को चाहिए कि अपने बच्चों को उतनी आज़ादी अवश्य दें, जिससे उनके जीवन का विकास हो, लेकिन पूरी तरह से आंखें न मूंदें रहें। उनके मित्र बनें और बताएं कि भोगवाद की चकाचौंध के कितने गंभीर परिणाम हो सकते हैं। अपने संस्कारों से दूर होते जाने का खामियाजा कई पीढ़ियों को भुगतना पड़ सकता है।
 

Tags:

About The Author

Dakshin Bharat Android App Download
Dakshin Bharat iOS App Download

Latest News

जर्मनी क्रिसमस बाजार घटना: हमलावर के बारे में दी गई थी चेतावनी, कहां हुई चूक? जर्मनी क्रिसमस बाजार घटना: हमलावर के बारे में दी गई थी चेतावनी, कहां हुई चूक?
मैगडेबर्ग/दक्षिण भारत। जर्मन शहर मैगडेबर्ग में क्रिसमस बाजार में हुई घातक घटना के पीछे संदिग्ध, एक सऊदी नागरिक जिसकी पहचान...
आज का भारत एक नए मिजाज के साथ आगे बढ़ रहा है: मोदी
रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनने के भारत के प्रयास का समर्थन दोहराया
इमरान के समर्थकों पर आई आफत, 9 मई के दंगों के जिम्मेदार 25 लोगों को सुनाई गई सजा
रूस: कज़ान में कई आवासीय इमारतों पर ड्रोन हमला किया गया
कर्नाटक: कंटेनर ट्रक के कार पर पलटने से 6 लोगों की मौत हुई
क्या मुकेश खन्ना और सोनाक्षी सिन्हा के बीच रुकेगी जुबानी जंग?