साइकिल बचाएगी धरती

साइकिल ऐसा वाहन है, जिससे भरपूर व्यायाम भी होता है

साइकिल बचाएगी धरती

यूरोप में तो साइकिलों का प्रयोग कई जगह बहुत सफल हुआ है

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया द्वारा लोगों से यह अपील कि 'स्वस्थ रहने और धरती को हरी-भरी बनाए रखने के लिए साइकिल चलाएं', अत्यंत प्रासंगिक है। साइकिल ऐसा वाहन है, जो गंतव्य तक पहुंचाने के साथ भरपूर व्यायाम भी करा देता है। 

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देश में ईंधन आधारित वाहनों के बढ़ने के बाद साइकिल कहीं गुम सी हो गई है। पहले यह सादगी-पसंद और मेहनतकश लोगों का वाहन समझी जाती थी। गांव-देहातों में आज भी लोग साइकिल का उपयोग करते हैं, लेकिन बड़े शहरों में यह 'गायब' ही मालूम होती है। महानगरों और बड़े शहरों की सड़कें ऐसी हैं कि वे साइकिल चालकों के लिए उपयुक्त नहीं मानी जा सकतीं। तेज रफ्तार वाली कारों और मोटरसाइकिलों के बीच साइकिल सवार कितना सुरक्षित और सहजता से यात्रा कर सकता है? सरकारों को इस ओर भी ध्यान देना होगा। 

अक्सर बड़े शहरों में भी कई जगह सड़कों की हालत खराब मिलती है। बरसात के मौसम में यह समस्या और बढ़ जाती है। ऐसे में कारें और मोटरसाइकिलें तो निकल जाती हैं, लेकिन साइकिल वाले के लिए यह सफर बड़ा मुश्किल होता है। कोरोना की दूसरी लहर में लोगों को साइकिल का महत्व एक बार फिर समझ में आ गया था और इसकी मांग में बढ़ोतरी होने लगी थी। स्थिति यह थी कि कई शहरों में तो लोगों को अपनी पसंद की साइकिल ही नहीं मिली, क्योंकि ऑर्डर काफी ज्यादा आ रहे थे। अब स्थिति सामान्य होते ही फिर पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों पर जोर है।

साइकिल से शारीरिक व्यायाम तो होता ही है, यह कम दूरी तक आवागमन के लिए सर्वाधिक उपयुक्त है। अगर साइकिलों के लिए सड़कों पर राह सुगम हो और सरकारें विभिन्न योजनाओं से इसके उपयोग को प्रोत्साहन दें तो यह वाहन कमाल कर सकता है। इससे लोगों के स्वास्थ्य में बेहतरी आएगी और पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होने से विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव कम होगा। साइकिल पर्यावरण प्रदूषण को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसके अलावा यह सड़क दुर्घटनाओं में कमी ला सकती है। 

यूरोप में तो साइकिलों का प्रयोग कई जगह बहुत सफल हुआ है। वहां विभिन्न देशों के प्रधानमंत्री से लेकर मंत्री और कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी तक साइकिलों से दफ्तर जाते दिख जाते हैं। उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होती हैं, जिससे जनता भी साइकिल खरीदने के लिए प्रोत्साहित होती है। हालांकि भारत में सुरक्षा की दृष्टि से यह उचित नहीं है कि शीर्ष राजनेता रोज इससे आवागमन करें, लेकिन सरकारों को ऐसी नीतियां बनानी चाहिएं, ताकि साइकिल के उपयोग को बढ़ावा मिले। इसकी खरीद पर सब्सिडी का प्रावधान हो सकता है। नियमित रूप से साइकिल का उपयोग करने वाले लोगों को सम्मानित किया जा सकता है, चूंकि उन्होंने पर्यावरण संरक्षण और विदेशी मुद्रा की बचत में योगदान दिया है। 

भारत में दुपहिया वाहनों का बड़ा बाजार है। अगर यहां साइकिल की मांग बढ़ेगी तो न केवल रोजगार के अवसर सृजित होंगे, बल्कि भारत की इस 'साइकिल क्रांति' का संदेश पूरी दुनिया में जाएगा। भारतीय साइकिलों की विदेशों में भी भारी मांग हो सकती है। अब बाजार में जो साइकिलें आ रही हैं, वे आकर्षक डिजाइन, चलाने में आसान और कई सुविधाओं से लैस हैं। अगर उनकी तुलना दो दशक पुरानी साइकिलों से की जाए तो ये उनसे बहुत बेहतर हैं। 

इस समय भारत के पास बड़ा अवसर है। हमें अपनी युवा शक्ति को साइकिल के उपयोग के लिए प्रोत्साहन देना चाहिए। साइकिल को अच्छे स्वास्थ्य, पर्यावरण संरक्षण और विदेशी मुद्रा की बचत के आंदोलन के रूप में बढ़ावा मिलने लगे तो कोई आश्चर्य नहीं कि आगामी एक दशक में ही इसके भरपूर लाभ नागरिकों के जीवन और अर्थव्यवस्था में दिखाई देने लग जाएं।

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