बेंगलूरु: मेट्रो का खंभा गिरने के मामले का कर्नाटक उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लिया
जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू करते हुए हादसे के बारे में प्रकाशित ख़बरों का हवाला दिया
उसने प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया
बेंगलूरु/दक्षिण भारत। बेंगलूरु में एचबीआर लेआउट के पास 10 जनवरी को मेट्रो का निर्माणाधीन खंभा गिरने से दुपहिया वाहन सवार महिला और उसके बेटे की मौत के मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की है।
इस संबंध में मुख्य न्यायाधीश प्रसन्ना बी वराले और न्यायमूर्ति अशोक एस किनागरी ने जनहित याचिका पर सुनवाई शुरू करते हुए हादसे के बारे में प्रकाशित ख़बरों का हवाला दिया और चिंता भी व्यक्त की।न्यायालय ने किए गए सुरक्षा उपायों को लेकर संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब भी किया और पूछा कि क्या निविदा दस्तावेजों में सुरक्षा उपायों को निर्दिष्ट किया गया है। न्यायालय ने यह भी पूछा कि क्या राज्य सरकार ने सुरक्षा उपायों पर आदेश जारी किए हैं और निर्माण में शामिल ठेकेदारों और अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की है।
बता दें कि उच्च न्यायालय ने मामले में प्रतिवादियों के रूप में राज्य सरकार, बीबीएमपी और बेंगलूरु मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लि. (बीएमआरसीएल) को शामिल किया है। उसने प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया।
हादसे में सॉफ्टवेयर इंजीनियर तेजस्विनी के साथ उसके ढाई साल के मासूम बेटे की भी जान चली गई थी, जिसके बाद लोगों में भारी आक्रोश है।
बीएमआरसीएल ने मामले की स्वतंत्र जांच कराने के लिए भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) की मदद मांगी है। उसने निर्माण में शामिल अपने इंजीनियरों को भी निलंबित कर दिया है। नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी और बीएमआरसीएल के एक उप मुख्य अभियंता और एक कार्यकारी अभियंता सहित सात अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है।
इस मामले की सोशल मीडिया पर भी काफी चर्चा है। लोगों ने अधिकारियों की लापरवाही पर सवाल उठाए हैं।