द्वीप बन गए 'दीप'

नेताजी सच्चे अर्थों में महानायक थे

द्वीप बन गए 'दीप'

नेताजी हमारे दिलों में हमेशा ज़िंदा रहेंगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के वीर सपूत नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 126वीं जयंती पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के 21 द्वीपों का नाम परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखकर प्रशंसनीय कार्य किया है। आज़ाद हिंद फ़ौज की कमान संभालने के बाद जब नेताजी ने इस धरती पर तिरंगा फ़हराया था तो भारत माता की सदियों की प्रतीक्षा पूरी हुई थी, देश में स्वतंत्रता प्राप्ति की उमंग और प्रबल हो गई थी। 

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नेताजी सच्चे अर्थों में महानायक थे, जिन्होंने अपने सभी सुखों का त्याग कर पूरा जीवन देश की स्वतंत्रता के लिए अर्पित कर दिया था। यह हमारा दुर्भाग्य रहा कि उनका जीवन रहस्यों के ऐसे घने कोहरे में चला गया, जब देश को उनकी सबसे ज़्यादा ज़रूरत थी। अगस्त 1945 में विमान हादसे में उनकी मृत्यु हुई थी या नहीं, इस पर मतभेद रहेंगे, लेकिन नेताजी हमारे दिलों में हमेशा ज़िंदा रहेंगे। परमवीरों के नामकरण के बाद अंडमान और निकोबार के ये 21 द्वीप वास्तव में ऐसे 'दीप' बन गए हैं, जो हमें स्वतंत्रता, वीरता, एकता और अखंडता का प्रकाश देते रहेंगे। 

खासतौर से युवाओं को जानना चाहिए कि इन परमवीरों की कैसे परवरिश हुई, इनके क्या सपने थे और इन्होंने रणभूमि में किस तरह वीरता दिखाई थी। अगर युवा इनके बारे में पढ़ेंगे तो पाएंगे कि इनमें से ज़्यादातर ने बचपन में सपना देखा था कि वे सैनिक बनकर देश की रक्षा करेंगे। परमवीर चक्र, महावीर चक्र समेत विभिन्न वीरता सम्मान पाने वाले ज़्यादातर सैनिकों को उनके बचपन में ही माता या पिता से वीरों की कहानियां सुनने को मिली थीं। बालमन पर उसका बहुत गहरा प्रभाव हुआ और एक दिन वे वही बन गए। सच ही है, इन्सान जैसा सोचता है, वैसा बनता है।

अगर बच्चों को बचपन से ही नेताजी सुभाष, वीर भगत सिंह, खुदीराम बोस, लक्ष्मीबाई, महाराणा प्रताप, छत्रपति शिवाजी महाराज, पृथ्वीराज चौहान जैसे योद्धाओं की कहानियां सुनाई जाएं, देशप्रेम के संस्कार दिए जाएं तो वे परमवीर धन सिंह थापा, अर्देशिर बुर्जोरजी तारापोर, करम सिंह, बाना सिंह, अल्बर्ट एक्का, अरुण खेत्रपाल, मनोज पांडे, होशियार सिंह, शैतान सिंह, जदुनाथ सिंह, योगेंद्र सिंह, अब्दुल हमीद, रामा राघोबा राणे, रामास्वामी परमेश्वरन, विक्रम बत्रा, जोगिंदर सिंह, जीएस सलारिया, पीरू सिंह, सोमनाथ शर्मा, निर्मलजीत सिंह, संजय कुमार के नाम से जाने जाते हैं। युवाओं के आदर्श ये होने चाहिएं। 

दुर्भाग्य से आज कई युवा भटकाव के दौर से गुजर रहे हैं। वे ऐसे लोगों की आदतों और तौर-तरीकों का अनुसरण करते दिखाई देते हैं, जो उन्हें नैतिक पतन की ओर लेकर जा रहे हैं। अभद्र वाणी, नशा, उच्छृंखलता, मर्यादाहीन जीवन - यह नायक नहीं सिखाता। नायक वह सिखाता है, जो नेताजी सुभाष ने सिखाया, जो हमारे परमवीरों ने सिखाया। यह सुखद है कि आज सोशल मीडिया के माध्यम से युवा इनके बारे में जान रहा है, सवाल कर रहा है। वह स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और सैनिकों के शौर्य को नमन कर रहा है। इंटरनेट के प्रसार ने उसके लिए वे दरवाजे खोल दिए हैं, जहां वह इनके बारे में वीडियो देख सकता है, किताबें पढ़ सकता है। 

इन योद्धाओं के जीवन से अधिकाधिक युवाओं को प्रेरणा मिले, इसके लिए जरूरी है कि स्कूलों और कॉलेजों में इनके बारे में बताया जाए। इसके लिए कोई एक दिन तय किया जा सकता है। इन पर प्रश्नोत्तरी और प्रतियोगिताएं आयोजित की जा सकती हैं। जो युवा इनके त्याग और बलिदान से परिचित होगा, वह इनके पदचिह्नों का अनुसरण करेगा और भविष्य में देश की एकता और अखंडता की रक्षा भी ज्यादा मजबूती से करने में सक्षम होगा।

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