एसआरएम इंस्टीट्यूट और ला ट्रोब यूनिवर्सिटी ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
डिजिटल प्रौद्योगिकियों और इंजीनियरिंग में सहयोग का मार्ग प्रशस्त करने के लिए संयुक्त उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के वास्ते एमओयू
यह दोनों संस्थानों के बीच अधिक समन्वित तरीके से भविष्य की योजना बनाना संभव करेगा
कट्टनकुलथुर/दक्षिण भारत। एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी और ला ट्रोब यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया ने डिजिटल प्रौद्योगिकियों और इंजीनियरिंग में सहयोग का मार्ग प्रशस्त करने के लिए संयुक्त उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने के वास्ते समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।
समझौता ज्ञापन व्यापार मॉडल या अवधारणाओं के प्रमाण के रूप में विचारों के डिजाइन, विकास और पोषण के अवसर भी खोलेगा।नवोन्मेषी विचारों में निवेश करने के लिए उद्योगों को आकर्षित करने के अलावा, समझौता ज्ञापन संभावित प्रतिभाओं को आकर्षित करेगा और आईओटी और संबंधित क्षेत्रों जैसे मशीन लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डेटा एनालिटिक्स, क्लाउड कंप्यूटिंग और साइबर सुरक्षा लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा।
ला ट्रोब विश्वविद्यालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि ला ट्रोब ने एसआरएम को भारत में शीर्ष रैंकिंग वाले विश्वविद्यालयों में से एक के रूप में मान्यता दी है, जो इंजीनियरिंग, प्रबंधन, चिकित्सा और विज्ञान और मानविकी में यूजी, पीजी और अनुसंधान कार्यक्रमों की विस्तृत शृंखला पेश करता है। यह साझेदारी डिजिटल टेक्नोलॉजी और इंजीनियरिंग में शीर्ष स्तरीय सहयोगी संयुक्त केंद्र की स्थापना करेगी।
एमओयू पर हस्ताक्षर के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए ला ट्रोब यूनिवर्सिटी के एओ - वाइस चांसलर और अध्यक्ष प्रो. जॉन किनले देवार ने कहा कि यह दोनों संस्थानों के बीच अधिक समन्वित तरीके से भविष्य की योजना बनाना संभव करेगा।
प्रो. देवार ने कहा कि हम बहुत उत्सुक हैं कि हमारे विद्यार्थी भारत आएं, जो एक बहुत ही गतिशील देश है। हमारे विद्यार्थी यहां की विशेषज्ञता और प्रतिभा से अवगत होकर और भारतीय जीवन शैली तथा संस्कृति को सीखकर बहुत कुछ सीख सकते हैं।
उन्होंने कहा कि भारतीय विद्यार्थी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसे लघु पाठ्यक्रमों के लिए ऑस्ट्रेलिया जा सकते हैं, जिसमें उनके पास विशेषज्ञता है।
एसआरएम इंस्टीट्यूट के वाइस चांसलर प्रोफेसर सी मुथमिजहेलवन ने कहा कि अगर ला ट्रोब और एसआरएम के फैकल्टी सदस्य शिक्षण और शोध के लिए एक सेमेस्टर खर्च कर सकते हैं और एक बार वापस आने के बाद वे समान सुविधाएं निर्मित कर सकते हैं। संयुक्त सहयोगी शोध इस तरह से हो सकता है और यह ला ट्रोब विश्वविद्यालय के प्रशासनिक कामकाज को देखने के लिए रास्ते भी बनाएगा।
इस अवसर पर डिप्टी वाइस चांसलर (फ्यूचर ग्रोथ) डॉ. स्टेसी फ़रावे, प्रो वाइस चांसलर - एजुकेशनल पार्टनरशिप प्रो. अमालिया डि लोरियो, एसआरएम इंस्टीट्यूट के रजिस्ट्रार डॉ. एस पोन्नुसामी, अंतरराष्ट्रीय संबंध के निदेशक प्रो. लक्ष्मी नरसिम्हन, अंतरराष्ट्रीय संबंध के सहायक निदेशक प्रो. कयालविझी जयवेल भी मौजूद थे।